मजे के साथ शुरू हुई नशे की लत बर्बादी की तरफ ले जाती है: अरुण कैहरबा
कहा: लक्ष्य निर्धारित करके उसे पाने में जुटे रहें
नशा मुक्ति अभियान के तहत स्कूल में हुआ जागरूकता कार्यक्रम
इन्द्री, 17 दिसंबर
गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में नशा मुक्ति अभियान के तहत जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य राम कुमार सैनी ने की और संयोजन नशा मुक्ति अभियान के स्कूल प्रकोष्ठ प्रभारी सतीश राणा ने किया।
मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि आज के समय में बच्चों व युवाओं के सामने शिक्षा और आगे बढऩे के रास्ते में अनेक प्रकार की चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए विद्यार्थियों के लिए जरूरी है कि वे अपने लक्ष्य का निर्धारण करके उसे पूरा करने के लिए जुट जाएं। क्योंकि खाली दिमाग सैतान का घर होता है। खाली दिमााग में अनेक प्रकार की खुराफात आती हैं। वे गलत संगत का शिकार हो सकते हैं और फिर व्यसनों की लत विद्यार्थियों के जीवन को बर्बाद कर सकती है। उन्होंने कहा कि व्यसनों में नशा सबसे खतरनाक है। इसकी आदत की शुरूआत मजे के साथ होती है। अपने आसपास के लोगों को हम बीड़ी-तंबाकू आदि का सेवन करता हुआ देखते हैं और फिर उसका स्वाद लेने की मन में इच्छा पैदा होती है। इसके बाद नशों की अनंत शृंखला है। एक बार शिकार होने पर यह लत हमारा पीछा नहीं छोड़ती है। उन्होंने कहा कि नशे की लत हमें अभाव, दरिद्रता, बीमारियां देती है और हमारा पैसा, शांति, शिक्षा और सद्भावना छीन लेती है। एक अच्छे विद्यार्थी या अच्छे इंसान की छवि को भी ग्रस लेती है। इसलिए यह जरूरी है कि अपने लक्ष्य पर नजर रख करके मेहनत का रास्ता अख्तियार किया जाए। उन्होंने विद्यार्थियों को मोबाइल की लत के चक्कर में नहीं पडऩे और फास्ट फूड नहीं लेने का संदेश दिया।
अरुण कैहरबा ने तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि जाकिर हुसैन का जब जन्म हुआ था तो उनके पिता उस्ताद अल्ला रक्खा खान ने तबला बजाया था। बचपन से ही उन्हें संगीत की संगत मिली और उन्होंने आजीवन संगीत की साधना की। तबले पर रखा उनका हाथ थिरकता हुआ जादू करता था। उन्होंने अपने तबले से ऐसे-ऐसे भावों की सहजता से अभिव्यक्ति की, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं पाता था। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊंचाईयां दी। भारतीय संगीत और पश्चिमी संगीत का मेल करते हुए नए प्रयोग किए।
प्रधानाचार्य राम कुमार सैनी ने कहा कि विद्यार्थियों को सद्संगत करनी चाहिए। सबसे अच्छी दोस्त किताबें हैं। किताबों की दोस्ती करके कभी पछताना नहीं होता। किताबों की दोस्ती हमें ऊंचाईयों तक लेकर जाती है। उन्होंने नशे से दूर रहने का संदेश दिया।
इस मौके पर डॉ. सुभाष भारती, विनोद भारतीय, बलविन्द्र सिंह, नरेन्द्र कुमार, बलराज कांबोज, डॉ. महाबीर सिंह, राजेश सैनी, अनिल पाल, विवेक कुमार, संदीप कुमार, विनोद कुमार, दिनेश कुमार, संजीव कुमार, सलिन्द्र मंढ़ाण, सन्नी चहल, मुकेश खंडवाल, सीमा गोयल, गोपाल दास, नरेश मीत, अश्वनी कांबोज, रमन बगा, संगीता शर्मा, मीना, रमन सैनी उपस्थित रहे।
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