‘गरबड़े-गरबड़े पुन्यों की रात’। अंधेरे से उजाले की ओर जाने का संदेश देता है गरबड़े का त्योहार। नहीं रही पहले सी रौनक।
अरुण कुमार कैहरबा
इन्द्री, 11 अक्तूबर
अंधेरे से उजाले की जाने का संदेश देने वाला गरबड़े का त्योहार परंपरागत श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया। लेकिन त्योहार पर गांव के गलियारों में बच्चों के बड़े-बड़े टोले व किलकारियां देखने-सुनने को नहीं मिली। अनेक घरों में तो शाम को गरबड़ों में दिया जलाया गया और पूजा-अर्चना के साथ गरबड़े की औपचारिकता पूरी कर ली गई।
गरबड़े बच्चों का प्रिय त्योहार है। कईं दिन पूर्व ही बच्चे इसकी तैयारियां करनी शुरू कर देते हैं। परिवार में हरएक बच्चे के लिए कुम्हारों द्वारा बनाए गए मिट्टी के पात्र, जिन्हें गरबड़ा कहा जाता है, खरीदे जाते हैं। कुम्हारों द्वारा अनेक डिजाईनों के गरबड़े बनाए जाते हैं। गरबड़े के त्योहार वाले दिन पूजा-अर्चना की जाती है जिसमें अभिभावक बच्चों की लंबी उम्र की कामना करते हैं। गांव के सभी बच्चे हाथों में दीप जला गरबड़ा लेकर गलियों में ‘गरबड़े-गरबड़े पुन्यों की रात’ का नारा लगाते हुए घर-घर घूमते हैं। लोग सभी बच्चों को यथासामथ्र्य पैसे देते हैं। गांवों में नकद पैसे की बजाय बच्चों को अनाज दिया जाता है।
लेकिन मंगलवार को पहले-सरीखा गरबड़े का उत्साह दिखाई नहीं दिया। सामाजिक कार्यकर्ता गुंजन, महिला जसविन्द्र, सुदेश, सरोज देवी, बाला देवी व वरिष्ठ नागरिक कृष्णा देवी ने बताया कि भौतिकता ने गरबड़े के त्योहार में बच्चों की मस्ती को भी अपनी चपेट में ले लिया है। अब बड़़े-बुजुर्गों द्वारा बच्चों को किसी के घरों में नहीं जाने की हिदायत दी जाती है। घर में बैठ कर ही बढिय़ा व्यंजन बनाकर खाए जाते हैं और पूजा-अर्चना कर ली जाती है। उन्होंने कहा कि त्योहारों की कम होती मिठास के कारण समाज में दूरियां बढ़ती जा रही हैं।
Why garbade festival is celebrated
ReplyDeleteTo give blessings to our kids. This is festival of joy children love this festival as they got many goods from their elders. As Eid is celebrated in muslims and children got eidi such as far bade is celebrated for joy and coming light nights.....
Deletewhat is the story behind this festival?
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