Tuesday, December 31, 2024

MID DAY MEAL WORKER SALOCHNA DEVI RETIRES AFTER 16 YEARS OF TENURE

 16 साल के कार्यकाल के बाद मिड-डे-मील वर्कर सलोचना देवी सेवानिवृत्त

स्कूल ने सम्मान के साथ दी भावभिनी विदाई

सेेवानिवृत्त कर्मचारी व परिजनों को किया सम्मानित
गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में मिड-डे-मील कर्मी सलोचना देवी की सेवानिवृत्ति पर उन्हें भावभीनी विदाई देते प्रधानाचार्य व अध्यापक। 

इन्द्री, 31 दिसंबर 

गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 16 वर्ष के कार्यकाल के बाद मिड-डे-मील वर्कर सलोचना देवी सेवानिवृत्त हो गई। स्कूल में आयोजित सम्मान समारोह में स्टाफ के सदस्यों ने सलोचना देवी को सम्मानित करते हुए भावभीनी विदाई दी। समारोह में सेवानिवृत्त मिड-डे-मील वर्कर की पुत्री कविता और पुत्र अमित कुमार को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य राम कुमार सैनी ने की और संचालन हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. सुभाष भारती, सतीश राणा, स्टाफ सचिव राजेश सैनी, संजीव कुमार, नरेश मीत, सीमा गोयल, निशा कांबोज, मिड-डे-मील वर्कर सुषमा, उनकी पुत्री कविता कांबोज सहित स्टाफ सदस्यों ने सलोचना देवी के योगदान और कार्यकाल को रेखांकित करते हुए अपने विचार व्यक्त किए। 


प्रधानाचार्य राम कुमार सैनी ने कहा कि मिड-डे-मील राष्ट्रीय महत्व की योजना है। मिड-डे-मील वर्कर इस व्यवस्था की रीढ़ हैं, जिनके द्वारा बनाया गया खाना हमारे देश के भविष्य के पोषण में अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि सलोचना देवी ने मेहनत से कार्य किया है। समय पर स्कूल में पहुंचना और खाना बनाने में जुट जाना उनका नियमित कर्म रहा। उन्होंने उन्हें आगामी जीवन की शुभकामनाएं दी। सुभाष भारती ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद में कर्मचारी की दिनचर्या बदल जाती है। क्योंकि काम करने के लिए समय पर कार्यस्थल पर पहुंचने की चिंता नहीं होती। उन्होंने सलोचना देवी के बेटे को उनके स्वास्थ्य और सम्मान का ध्यान रखने की अपील की।


हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने सेवानिवृत्त हो रही कर्मचारी सलोचना देवी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यमुना नगर के गांव बुबका में उनका जन्म हुआ। बड़े परिवार में उन्हें कम ही पढऩे का मौका मिला। गांव ब्याना में उनका विवाह हुआ। 2007 में उनके जीवन साथी का असामयिक देहांत हो गया। उसके बाद उन्होंने पहले आंगनवाड़ी और बाद में स्कूल में मिड-डे-मील वर्कर के तौर पर कार्य किया। उन्होंने बताया कि 2008 में जब मिड-डे-मील योजना का छठी से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए विस्तार किया गया तभी से स्कूल में उन्होंने मिड-डे-मील वर्कर के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया था। सेवानिवृत्ति के आखिरी दिन तक उन्होंने लगन व मेहनत से काम किया। 


समारोह के बाद में प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा, मिड-डे-मील प्रभारी रमन बग्गा, नरेश मीत, सीमा गोयल, संगीता, मीना, कविता कांबोज उन्हें सम्मानपूर्वक उनके घर छोडऩे के लिए गए। सलोचना देवी ने समस्त स्टाफ सदस्यों का आभार ज्ञापन किया। इस मौके पर प्राध्यापक विनोद भारतीय, बलविन्द्र सिंह, सलिन्द्र मंढ़ाण, डॉ. महाबीर सिंह, सन्नी चहल, संदीप कुमार, विनोद आचार्य, विवेक कुमार, राजेश कुमार, दिनेश कुमार, गोपाल दास, मुकेश खंडवाल, अश्वनी भाटिया, अश्वनी भाटिया, महेश कुमार, रमन सैनी, निर्मल सिंह, विनीत सैनी, स्नेह लता, गोपाल सिंह, जितेन्द्र कुमार, विजय कुमार, सुरेन्द्र कुमार, लिपिक आशीष कांबोज, अरुण कांबोज, प्रवीण कौर सहित समस्त स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।



HARYANA PRADEEP 1-1-2025




INDORE SAMACHAR 1-1-2025



Friday, December 27, 2024

ARTICLE ON SHAHEED SOMNATH & SHAHEED KAMLESH

 डबवाली अग्रिकांड की वर्षगांठ और सोमनाथ शहीदी दिवस पर विशेष

डबवाली अग्रिकांड में सोमनाथ और उनकी कमलेश ने बच्चों को बचाया

विपरीत परिस्थितियों में भी लड़ी मूल्यों की लड़ाई

अरुण कुमार कैहरबा
अवमूल्यन के इस दौर में भले ही कुछ लोग शहीदे आजम भगत सिंह व देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जैसे त्यागमयी लोगों की प्रजाति के लुप्त होने की अटकलें लगा रहे हों, लेकिन सादगी, ईमानदारी, त्याग और बलिदान आदि मूल्यों का परचम लहराने वालों की कमी नहीं रही है। सिर्फ ऐसी शख्सियतों को देखने और पहचानने की जरूरत है। डबवाली अग्रिकांड में बच्चों को बचाते हुए सपत्नीक शहीद हुए वहां के तत्कालीन एसडीएम सोमनाथ भी ऐसी ही शख्सियत हैं, जिन्होंने घोर गरीबी और अभावों के साथ कड़ा मुकाबला करते हुए हरियाणा सिविल सेवा तक का सफर तय किया और विभिन्न प्रशासनिक पदों पर काम करते हुए अत्यंत विपरीत परिस्थितियों की अग्रि में अपने मूल्यों के सोने को कुंदन-सा चमकाया। सोमनाथ द्वारा स्थापित किए गए उच्च मूल्यों की विरासत को आगे बढ़ाने की जरूरत है।


सोमनाथ का जन्म 8 मार्च, 1955 को करनाल जिला के इन्द्री खण्ड के गाँव खेड़ा में इमरती देवी व राजाराम के घर पर हुआ। घर में उस समय अभावों का साम्राज्य था। सोमनाथ फटे कपड़े पहन कर स्कूल जाता था और पिता की सवा एकड़ जमीन पर जी-तोड़ मेहनत करता था। जब रात को मिट्टी के तेल की ढि़बरी जलाकर वह पढ़ता था, तो कच्ची कोठरी धूएँ से भर जाती थी। उसकी माँ कहती थी-बेटा बस कर आँखें खराब हो जाएंगी। सोमनाथ माँ को कहता- ‘माँ, पढऩे से आँखें खराब नहीं होती। पढऩे से ज्ञान की आँखें मिलती हैं।’
कम बोलने वाले संकोचशील प्रकृति के सोमनाथ ने मन में ठान रखा था कि पढ़ाई और परिश्रम से $गरीबी को ठेंगा दिखाना ही है। स्कूल में जाते हुए वह दिनभर अपनी थोड़ी-सी जमीन पर काम मन लगाकर काम करता और अपनी पढ़ाई का भी ध्यान रखता। उस वक्त तो किसी ने भी नहीं सोचा था कि बालक सोमनाथ एचसीएस अधिकारी के तौर पर हरियाणा के उच्च पदों को सुशोभित करेगा। सपनों को साकार करते हुए 1983 में उसका हरियाणा सिविल सेवा में चयन हुआ। वह इस प्रतिष्ठित सेवा में चयनित होने वाला इन्द्री क्षेत्र का पहला युवक था। प्रशिक्षण उपरांत उन्होंने अंडर सैक्रेटरी खाद्य एवं आपूर्ति विभाग चंडीगढ़, नगराधीश जींद, उपमंडल अधिकारी सिरसा, उपमंडल अधिकारी लौहारू, प्रबंध निदेशक चीनी मिल पलवल, प्रबंध निदेशक चीली मिल जींद, मुख्य कार्यकारी अधिकारी सिरसा, महाप्रबंधक रोडवेज हिसार, नगराधीश कुरूक्षेत्र, प्रशासक मेडिकल कॉलेज रोहतक व उपमंडल अधिकारी डबवाली आदि अनेक पदों को सुशोभित किया। अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारियों का निर्वाह वे बड़ी ईमानदारी से किया करते थे। राजनैतिक दबावों के आगे उन्होंने कभी सिर नहीं झुकाया। राजनैतिक प्रलोभनों व दबावों को हमेशा ठेंगा दिखाने की अपनी साहसिक प्रवृत्ति के कारण 11-12 वर्ष के छोटे से कार्यकाल में उनके अनेक बार तबादले हुए। यह भी संयोग ही था कि जिस दिन एसडीएम होने के नाते वे डीएवी स्कूल डबवाली के 1300 छात्रों और 700 अभिभावकों व अन्य गणमान्य लोगों के समारोह में अतिथि के तौर पर शिरकत कर रहे थे और देश के इतिहास के सबसे दर्दनाक अग्रिकांड में बच्चों को बचाते हुए शहीद हुए, तब भी 3 दिन पूर्व ही उनका तबादला गुहला चीका में हो चुका था। लेकिन उन्होंने वहां का कार्यभार ग्रहण नहीं किया था।
सोमनाथ का मानना था-‘‘प्रशासनिक अधिकारियों को उनकी जनपक्षीय सोच और कत्र्तव्यनिष्ठा की सजा देने के लिए सरकारों के पास एक ही जरिया है और वह है-तबादला। परंतु इसका मुझे डर नहीं। मजे से हरियाणा घूमने का मौका मिलेगा।’’ इस प्रकार सरकार के हाथ का कोड़ा अपने आदर्शों के प्रति दृढ़ सोमनाथ के हाथ में पहुँचकर महकता हुआ फूल बन जाता था। अपने दबंग व फक्कड़ स्वभाव के कारण आज भी उनके साथी रहे प्रशासनिक अधिकारी उनकी तारीफ करते हैं। सोमनाथ के साथ नियुक्त हुए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी बी.एस. मलिक ने एक चर्चा के दौरान बताया था-‘सोमनाथ ने अपने आदर्शों और दायित्वों से कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने न तो कभी पद की गरिमा को आँच आने दी और न ही पद का घमंड किया।’
सोमनाथ बहुत ही साधारण और सादे इन्सान थे। उन्होंने पद और रूतबे के नीचे कभी अपनी इन्सानियत को दफन नहीं होने दिया। दिखावा और कृत्रिमता उनमें लेशमात्र भी नहीं थी। गरीबी के खिलाफ जंग लडऩे के बावजूद उन्होंने पैसे को कभी तरजीह नहीं दी। सादगी, सच्चाई और ईमानदारी उनके जीवन के उच्चादर्श थे। आज भी गांव खेड़ा के लोग उन्हें याद करते हुए बताते हैं कि बड़े पदों पर होते हुए भी जब वे गाँव में आते थे, तो सभी के साथ बड़ी ही विनम्रता व अपनेपन के साथ बात करते थे और पहले की भाँति ही खुरपा-दांति लेकर खेत में नलाई-गुड़ाई के काम में जुटे रहते थे।
सोमनाथ के ससुर एवं शहीद कमलेश के पिता यशपाल वर्मा जी ने एक बातचीत में बताया था कि 23 दिसम्बर 1995 को मंडी डबवाली में डीएवी स्कूल के वार्षिक समारोह में हुए दुनिया के भीषणतम और हृदयविदारक अग्रिकांड में सोमनाथ व उनकी पत्नी कमलेश के पास भागने का अच्छा अवसर था। लेकिन अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए उन्होंने भागने की बजाय जल रहे बच्चों को बचाना बेहतर समझा और अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनकी पत्नी कमलेश भी अपने जीवन साथी सोमनाथ का इस पुण्य कार्य में साथ देते हुए शहीद हो गई। सरकार ने बच्चों को बचाते हुए प्राण न्यौछावर करने वाले सोमनाथ व कमलेश को शहीद का दर्जा दिया है।
शहादत के बाद सोमनाथ व कमलेश की शोकसभा गांव खेड़ा में हुई। इसमें हरियाणा सरकार के लोक निर्माण मंत्री अमर सिंह धानक और मुख्य सचिव ने जब गाँव का घर देखा तो वे हतप्रभ रह गए। वर्षों तक विभिन्न जिलों में उच्च प्रशासनिक पदों को सुशोभित करने वाले सोमनाथ का अपना घर ईंटों व कच्ची छत से बना है। उनके लिए यह अजूबे से कम नहीं था। उनकी शहादत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल ने रेस्ट हाऊस हिसार में कहा था, ‘सोमनाथ जैसा ईमानदार अधिकारी मैंने कभी नहीं देखा। उनकी शख्सियत हम सबके लिए प्रेरणास्रोत है।’
शहीद सोमनाथ की याद में इन्द्री में आईटीआई खोलने का सरकारी वादा तो आज तक पूरा नहीं हुआ। लेकिन खुशी की बात यह है कि उनके द्वारा पोषित मूल्यों की विरासत को संभालने के लिए क्षेत्र के कुछ लोग प्रयासरत हैं। वे शहीद सोमनाथ जी की याद में इन्द्री में पुस्तकालय स्थापना के लिए सपना देख रहे हैं।
अरुण कुमार कैहरबा
लेखक व हिन्दी प्राध्यापक
वार्ड नं.-4, रामलीला मैदान, इन्द्री,  
करनाल (हरियाणा)
मो.नं.-94662-20145   
JAGAT KRANTI 23-12-2024

INDORE SAMACHAR 23-12-2024

HIMACHAL DASTAK 23-12-2024

DAINIK JAGMARG 23-12-2024

NIPUN HARYANA: SHIKSHA DIKSHA PARYAVEKSHAN IN GPS MANAK MAJRA GADIYAN

समझ, सुधार और बदलाव के लिए शिक्षा जरूरी: अरुण कैहरबा

निपुण हरियाणा के तहत प्राथमिक पाठशाला का शिक्षा दीक्षा पर्यवेक्षण

बच्चों ने कविताएं, गीत व पहाड़े सुनाकर मोहा मन

स्कूल सुधार पर अध्यापकों, अभिभावकों व एसएमसी सदस्यों में हुई गंभीर मंत्रणा
गांव मनक माजरा गादियान स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला में शिक्षा दीक्षा पर्यवेक्षण के दौरान हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा के साथ अध्यापक व विद्यार्थी।

इन्द्री, 27 दिसम्बर 

निपुण हरियाणा के तहत उपमंडल के गांव मनक माजरा गादियान स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला में शिक्षा दीक्षा पर्यवेक्षण राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक  विद्यालय ब्याना के हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने किया। उन्होंने सुबह जल्दी स्कूल में पहुंच कर स्कूल की सभी क्रियाओं का आकलन किया। स्कूल प्रभारी अमित कुमार की अध्यक्षता में स्कूल की प्रात:कालीन सभा में सभी बच्चों व अध्यापकों ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। अध्यापक ओम प्रकाश ने उनके जीवन व प्रधानमंत्री के रूप में कार्यों पर प्रकाश डाला। अध्यापिका सोनिया मान के नेतृत्व में नन्हें बच्चों द्वारा सुनाए गए गीत-कविताओं ने सबका मन मोह लिया। अरुण कैहरबा ने विद्यार्थियों को रोचक गीत सिखाए। स्कूल में तीसरी कक्षा के बच्चों को 16 तथा चौथी व पांचवीं कक्षा के विद्यार्थियों 25 तक के पहाड़े मुंहजबानी याद थे। 

गांव मनक माजरा गादियान स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला में शिक्षा दीक्षा पर्यवेक्षण के दौरान हाव-भाव के साथ कविता की प्रस्तुति करते हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा

अरुण कैहरबा ने एक-एक कक्षा में जाकर शिक्षकों के शिक्षण कार्य का निरीक्षण किया। मिड-डे-मील के अन्तर्गत बनाए गए दाल-चावल को चखा। परिसर, सभी कमरे, पुस्तकालय, मैदान का निरीक्षण किया और पर्यवेक्षण के ऑनलाइन फार्मों में जानकारी भर कर प्रेषित की। छुट्टी से पहले अभिभावकों, स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों व अध्यापकों की बैठक को संबोधित करते हुए हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा सभी सुविधाओं से सुसज्जित और कुशल अध्यापकों वाले इस स्कूल बच्चों के नामांकन को बढ़ाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ना जाने किस दबाव में अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में महंगी शिक्षा देने को मजबूर हो रहे हैं। जबकि सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा रही है। सभी ने मिलजुल कर स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने की योजना पर काम करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा में दिखावे के स्थान पर गुणवत्ता की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि शिक्षा से समझ बढ़ती है, जीवन में सुधार होता है और समाज सकारात्मक बदलाव की ओर कदम बढ़ावा है। सबको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का कार्य सरकारी स्कूल ही कर सकते हैं। 


स्कूल प्रभारी अमित कुमार ने अभिभावकों को गांव में आयोजित होने वाले सार्वजनिक समारोहों में शिक्षा की बात करने और बच्चों की शैक्षणिक व सहायक शैक्षिक गतिविधियां आयोजित करने की जरूरत बताई। बच्चों की माताओं ने मनक माजरा के स्कल को अपग्रेड करके मिडल स्कूल का दर्जा प्रदान करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि पांचवीं के बाद में लड़कियों को शेखपुरा व अन्य स्कूलों में जाने में अनेक प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। स्कूल शिक्षक अमित कुमार, ओमप्रकाश, सोनिया मान ने पर्यवेक्षण के लिए आए अरुण कैहरबा का मार्गदर्शन के लिए आभार जताया। 



INDORE SAMACHAR

DAINIK JAGMARG 28-12-2024

AMBALA COVERAGE


Tuesday, December 24, 2024

BEO DR. GURNAM MANDHAN VISIT IN GMSSSS BIANA

 दो केन्द्रों पर 466 विद्यार्थियों ने दी बुनियाद परीक्षा

तीन स्तरीय परीक्षा में सफल रहने वाले विद्यार्थियों को खंड स्तरीय केन्द्र में मिलेगी शिक्षा: गुरनाम मंढ़ाण

इन्द्री, 24 दिसंबर
इन्द्री के पीएम श्री राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय और गांव ब्याना के राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में बुनियाद लेवल-1 की परीक्षा का आयोजन किया गया। शिक्षा विभाग की तरफ से गठित उडऩदस्ते में शामिल खंड शिक्षा अधिकारी डॉ. गुरनाम मंढ़ाण और बीआरपी धर्मेन्द्र चौधरी ने परीक्षा का निरीक्षण किया और परीक्षा ड्यूटी दे रहे पर्यवेक्षकों को परीक्षा के सुचारू रूप से संचालन के लिए उचित दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि इन्द्री के स्कूल में खंड के विभिन्न स्कूलों में पढऩे वाले आठवीं कक्षा के 218 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी और 13 विद्यार्थी अनुपस्थित रहे। वहीं ब्याना स्कूल में 248 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी और 22 विद्यार्थी अनुपस्थित रहे। बीईओ गुरनाम मंढ़ाण ने जानकारी देते हुए बताया कि पहले स्तर की परीक्षा का परिणाम जनवरी के पहले सप्ताह तक आ जाएगा। इसके बाद चुने हुए विद्यार्थियों की लेवल-2 की परीक्षा होगी और उसे उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थी तृतीय स्तर की परीक्षा में बैठेंगे। सभी स्तरों पर सफल होने वाले विद्यार्थियों को कक्षा नौवीं से पीएम श्री स्कूल इन्द्री में बनाए गए केन्द्र में गणित व विज्ञान की उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिलेगा। इस मौके पर राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ब्याना के प्रधानाचार्य राम कुमार सैनी, प्राध्यापक डॉ. सुभाष चंद, अरुण कुमार कैहरबा, परीक्षा प्रभारी राजेश कुमार, विनोद आचार्य, सलिन्द्र मंढ़ाण, राजेश सैनी, संजीव कुमार, मुकेश खंडवाल, अश्वनी भाटिया व निर्मल सिंह सहित अध्यापक मौजूद रहे।






Monday, December 23, 2024

ORIENTATION WORKSHOP ON INCLUSIVE EDUCATION IN KARNAL

समावेशी शिक्षा के लिए मिलजुल कर काम करना होगा: ज्योत्सना मिश्रा

जिला स्तरीय ओरियेंटेशन कार्यशाला का हुआ आयोजन

दिव्यांगता एवं समावेशी शिक्षा, ऑटिस्म, लर्निंग डिसऑर्डर व समुदाय की भूमिका पर हुआ गहन विमर्श

करनाल, 23 दिसंबर

समग्र शिक्षा के तहत रेलवे रोड स्थित राजकीय कन्या मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में समावेशी शिक्षा की जिला स्तरीय ओरियेंटेशन कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ जिला परियोजना संयोजक ज्योत्सना मिश्रा ने किया। कार्यशाला का संयोजन एवं संचालन सहायक परियोजना संयोजक पवन कुमार ने किया। इस मौके पर बीईओ डॉ. राममूर्ति शर्मा, सीमा मदान, डॉ.सतपाल बग्गा, बलजीत सिंह, रविन्द्र, बीआरसी नीलोखेड़ी धर्मपाल चौधरी, प्रधानाचार्य एवं बीआरसी आईईडी महेन्द्र नरवाल, वंदना चावला, जसमीत, पवन, राजेन्द्र सहित शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।


डीपीसी ज्योत्सना मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि स्कूलों में सामान्य बच्चों के साथ बहुत से विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थी भी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उनकी समस्याओं और विशेष आवश्यकताओं को समझने के लिए जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला स्कूल मुखियाओं और अध्यापकों को विशेष बच्चों के बारे में संवेदनशील बनाने के लिए है। उन्होंने कहा कि हमें मिलजुल कर काम करते हुए सभी बच्चों के समावेश के रास्ते तैयार करने हैं।


कार्यशाला में दिव्यांगता एवं समावेशी शिक्षा विषय पर बोलते हुए रिसोर्स पर्सन एवं स्पेशल एजूकेटर प्रमोद चहल ने कहा कि समावेशी शिक्षा सभी बच्चों को बाधामुक्त वातावरण प्रदान करने के लिए है। इसमें बच्चों के अनुकूल शिक्षा का अनुकूलन किया जाता है। दया के स्थान पर विद्यार्थियों का अध्ययन करके उन्हें अच्छी शिक्षा बनाने की रणनीति बनाई जाती है। नागरिक अस्पताल करनाल में परामर्शदाता डॉ. हवा सिंह ने आटिस्म स्पैक्टरम डिसआर्डर विषय पर अपने अनुभव सांझा करते हुए चर्चा की। उन्होंने कहा कि ऑटिस्म वातावरण और जेनेटिक कारणों से होता है। वातावरण को अनुकूल बनाकर हम बच्चों की स्थितियों और शिक्षा में सुधार कर सकते हैं। परामर्शदाता डॉ. कांता रानी ने विशिष्ट सीखने की अक्षमताओं पर चर्चा की। स्पेशल एजूकेटर अमित कुमार ने विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों के विकास एवं शिक्षा में समुदाय की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि अभिभावकों व समुदाय के सहयोग के बिना समावेशी शिक्षा की योजना को सफल नहीं बनाया जा सकता। एपीसी पवन कुमार ने आए अधिकारियों, स्कूल मुखियाओं व अध्यापकों का आभार ज्ञापन किया।


कार्यशाला को सफल बनाने में विशेष अध्यापक मुकेश कुमार, सीमा सुखीजा, रेणू, रूपिन्द्र कौर, मीना, रूचि, मीनू, पुरूषोत्तम लाल, मीनाक्षी, शीतल, जगबीर सिंह, सुरेश कुमार, निशा, प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा, एबीआरसी युगल किशोर, ललित कुमार का योगदान रहा।

Saturday, December 21, 2024

PRAHARI CLUB IN GMSSSS BIANA

नशे का विरोध करें और नशे के जाल को काटें: अरुण 

ब्याना के राजकीय स्कूल में सतीश राणा की अगुवाई में प्रहरी क्लब का गठन

नशे के खिलाफ मुहिम चलाएगा प्रहारी क्लब

इन्द्री, 20 दिसम्बर 

गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में नशा मुक्ति अभियान के तहत गणित प्राध्यापक व नशा जागरूकता प्रभारी सतीश राणा के नेतृत्व में प्रहरी क्लब का गठन किया गया। क्लब में सभी कक्षाओं के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया। क्लब की बैठक को प्रभारी सतीश राणा, प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा, बलविन्द्र सिंह, बलराज कांबोज, सलिन्द्र मंढ़ाण, राजेश कुमार, नरेश मीत, निशा कांबोज, संगीता शर्मा, मीना ने संबोधित किया और विद्यार्थियों को नशे से दूर रहने और नशे की बुराई को समाज से समाप्त करने का आह्वान किया। 


हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि क्लब के सभी सदस्यों को नशे का विरोध करना है। लेकिन नशे के जाल में फंस चुके साथियों को दुश्मन नहीं मानना है। कोई भी विद्यार्थी यदि जाने-अनजाने नशे का सेवन करने लगा है तो उसे नशे के जाल से निकलने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारा वातावरण नशे के फैलने का कारण है। कोई भी व्यक्ति दूसरों की देखादेखी, प्रलोभन या उकसावे में इसके प्रयोग के प्रति आकर्षित हो सकता है। कुसंगति भी इसका कारण है कि अपने आपको हमारा दोस्त बताने वाले हमें नशे का एक बार इस्तेमाल करने का प्रस्ताव देते हैं और वे दोस्ती की बजाय दुश्मनी का कार्य करते हैं। एक बार इसके जाल में फंसने के बाद इसमें से निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता है। यदि सहानुभूति की बजाय कड़ाई से कोई नशा छुड़वाने का प्रयास करता है तो यह काम और अधिक मुश्किल हो जाता है। गणित प्राध्यापक सतीश राणा ने प्रहरी क्लब के सदस्यों को जिम्मेदारी का अहसास करवाते हुए कहा कि वे स्कूल ही नहीं अपने आस-पास के वातावरण और गांव को भी नशा मुक्त बनाने के लिए मिलजुल कर कार्य करें। अपने कक्षा-कक्ष, स्कूल परिसर और गांव को नशे के चंगुल से बचाना है। बलराज कांबोज ने कहा कि नशा मुक्ति एक सामाजिक जिम्मेदारी और समाज सेवा का कार्य है। नशा समाज को खोखला बना रहा है। नशे को भगा कर हमें समाज को गर्त में जाने से बचाना है। बलविन्द्र सिंह ने कहा कि नशा वन वे रास्ता है। इसमें जाने का रास्ता तो है, इससे वापिस आने का रास्ता नहीं मिलता। हमें नशे से लौटने का रास्ता भी बनाना है। 


MATHS QUIZ IN GMSSSS BIANA (KARNAL)

गणित प्रश्नोत्तरी में आर्यभट्ट टीम रही विजेता 

इन्द्री, 20 दिसंबर 
गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में गणित विभाग की तरफ से गणित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में आर्यभट्ट टीम ने सर्वाधिक 30 अंक प्राप्त करके पहला स्थान प्राप्त किया। विजेता टीम में अक्षित, देवांशी, भरत, हिमांशी शामिल रहे। प्रतियोगिता में रामानुजन टीम और भास्कराचार्य टीम ने 15-15 अंक और आर्कमिडीज टीम ने सात अंक प्राप्त किए।प्रतियोगिता का संचालन गणित प्राध्यापक सतीश राणा, गोपाल दास, जीव विज्ञान प्राध्यापक डॉ. महाबीर सिंह, रसायन विज्ञान प्राध्यापक अनिल पाल, अर्थशास्त्र प्राध्यापक बलराज कांबोज ने किया। आयोजन टीम ने प्रश्नोत्तरी के रह राउंड में नए-नए प्रश्न किए। प्रतियोगिता में विद्यार्थियों की उत्सुकता और उत्साह देखते ही बनता था। प्रधानाचार्य राम कुमार सैनी, प्राध्यापक राजेश सैनी व अरुण कुमार कैहरबा ने सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि स्कूल में आयोजित होने वाली प्रत्येक गतिविधि विद्यार्थियों को सीखने का अवसर और अनुभव प्रदान करती है। जो विद्यार्थी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं, उन्हें सीखने का मौका मिलता है। 








Tuesday, December 17, 2024

NASHA MUKTI ABHIYAN IN GMSSSS BIANA

 मजे के साथ शुरू हुई नशे की लत बर्बादी की तरफ ले जाती है: अरुण कैहरबा

कहा: लक्ष्य निर्धारित करके उसे पाने में जुटे रहें

नशा मुक्ति अभियान के तहत स्कूल में हुआ जागरूकता कार्यक्रम

इन्द्री, 17 दिसंबर 

गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में नशा मुक्ति अभियान के तहत जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य राम कुमार सैनी ने की और संयोजन नशा मुक्ति अभियान के स्कूल प्रकोष्ठ प्रभारी सतीश राणा ने किया। 

मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि आज के समय में बच्चों व युवाओं के सामने शिक्षा और आगे बढऩे के रास्ते में अनेक प्रकार की चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए विद्यार्थियों के लिए जरूरी है कि वे अपने लक्ष्य का निर्धारण करके उसे पूरा करने के लिए जुट जाएं। क्योंकि खाली दिमाग सैतान का घर होता है। खाली दिमााग में अनेक प्रकार की खुराफात आती हैं। वे गलत संगत का शिकार हो सकते हैं और फिर व्यसनों की लत विद्यार्थियों के जीवन को बर्बाद कर सकती है। उन्होंने कहा कि व्यसनों में नशा सबसे खतरनाक है। इसकी आदत की शुरूआत मजे के साथ होती है। अपने आसपास के लोगों को हम बीड़ी-तंबाकू आदि का सेवन करता हुआ देखते हैं और फिर उसका स्वाद लेने की मन में इच्छा पैदा होती है। इसके बाद नशों की अनंत शृंखला है। एक बार शिकार होने पर यह लत हमारा पीछा नहीं छोड़ती है। उन्होंने कहा कि नशे की लत हमें अभाव, दरिद्रता, बीमारियां देती है और हमारा पैसा, शांति, शिक्षा और सद्भावना छीन लेती है। एक अच्छे विद्यार्थी या अच्छे इंसान की छवि को भी ग्रस लेती है। इसलिए यह जरूरी है कि अपने लक्ष्य पर नजर रख करके मेहनत का रास्ता अख्तियार किया जाए। उन्होंने विद्यार्थियों को मोबाइल की लत के चक्कर में नहीं पडऩे और फास्ट फूड नहीं लेने का संदेश दिया।

अरुण कैहरबा ने तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि  जाकिर हुसैन का जब जन्म हुआ था तो उनके पिता उस्ताद अल्ला रक्खा खान ने तबला बजाया था। बचपन से ही उन्हें संगीत की संगत मिली और उन्होंने आजीवन संगीत की साधना की। तबले पर रखा उनका हाथ थिरकता हुआ जादू करता था। उन्होंने अपने तबले से ऐसे-ऐसे भावों की सहजता से अभिव्यक्ति की, जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं पाता था। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊंचाईयां दी। भारतीय संगीत और पश्चिमी संगीत का मेल करते हुए नए प्रयोग किए।

प्रधानाचार्य राम कुमार सैनी ने कहा कि विद्यार्थियों को सद्संगत करनी चाहिए। सबसे अच्छी दोस्त किताबें हैं। किताबों की दोस्ती करके कभी पछताना नहीं होता। किताबों की दोस्ती हमें ऊंचाईयों तक लेकर जाती है। उन्होंने नशे से दूर रहने का संदेश दिया। 

इस मौके पर डॉ. सुभाष भारती, विनोद भारतीय, बलविन्द्र सिंह, नरेन्द्र कुमार, बलराज कांबोज, डॉ. महाबीर सिंह, राजेश सैनी, अनिल पाल, विवेक कुमार, संदीप कुमार, विनोद कुमार, दिनेश कुमार, संजीव कुमार, सलिन्द्र मंढ़ाण, सन्नी चहल, मुकेश खंडवाल, सीमा गोयल, गोपाल दास, नरेश मीत, अश्वनी कांबोज, रमन बगा, संगीता शर्मा, मीना, रमन सैनी उपस्थित रहे। 

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