Tuesday, September 8, 2020

स्वयंभू कोरोना योद्धा फूल कर कुप्पा

 व्यंग्य

घर बैठे बने कोरोना योद्धा!

अरुण कुमार कैहरबा

कोरोना वायरस से उपजी महामारी ने दुनिया के हर वर्ग को बुरी तरह से प्रभावित किया है। करोड़ों लोगों का रोजगार छीन लिया है। लाखों लोग मारे गए हैं। धुरंधर देशों की अर्थव्यवस्था रसातल में जा लगी है। लेकिन फिल्मी गीत- ‘दीवाने दीवाने तो दीवाने हैं’ की तर्ज पर बहुत से लोग ऐसे वातावरण में भी मटरगश्ती करने से बाज नहीं आ रहे। संकट को अवसर की तरह भुनाना कोई उनसे सीखे। लॉकडाउन में डर के मारे घरों में दुबके पड़े रहे। लॉकडाउन के साथ ही रोजगार और आशियाना छिनने के बाद जब मजदूर अपने परिवार के साथ सामानों की पोटली व बोरिया-बिस्तर संभाले भूखे प्यासे अपने घरों की ओर जा रहे थे और रास्ते में पुलिस से पिट-छित रहे थे। तब यह अवसरवादी लोग अपने मोबाइलों पर गेम खेल रहे थे और सोशल मीडिया पर मनोरंजन करने में व्यस्त थे। इनमें से बहुत से लोग घरों में बैठे हुए कोरोना योद्धा का खिताब प्राप्त करके खुशी में फूले नहीं समा रहे थे। निठल्ले लोगों में कोरोना योद्धा बनने की होड़ लगी थी। अवसर का लाभ उठाकर कुछ लोगों ने इसे व्यवसाय नहीं तो एक शौंक में जरूर तब्दील कर दिया। रहनुमा की शक्ल में वे प्रशंसा-पत्र बांटने लगे। देखते ही देखते सोशल मीडिया रंगीन हो गया। फेसबुक की टाइमलाइनों पर प्रशंसा-पत्र चमचमाने लगे। लाइक और कमेंट करने वालों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। बिना कुछ किए सोशल मीडिया पर पीठ थपथपाने वालों की कमी नहीं है। एक तरफ लोग जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं और दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर मिलने वाली बधाइयों से स्वयंभू कोरोना योद्धा फूल कर कुप्पा हुए जा रहे हैं। कुछ लोग वाह-वाह कर रहे हैं और कुछ लोग पीड़ा में आह-आह कर रहे हैं।
JAGMARG 9-9-2020

जिन संस्थाओं के नाम कभी सुनने तक को ना मिले थे, वे आज प्रमाण-पत्र बांटने का काम कर रही हैं। प्रशंसा-पत्रों में उन लोगों का नाम छोटे अक्षरों में लिखा गया था जिनको यह दिए जा रहे हैं और जो देने वाले हैं उनके नाम बड़े बड़े अक्षरों में अंकित थे। बाहर नहीं निकल पाने की विवशता के कारण यह एक नया मनोरंजक खेल जैसा है जिसमें खाए-पीए-अघाए लोग मशगूल हैं। हमारे एक पड़ोसी हर दूसरे दिन कोरोना योद्धा का एक नया प्रमाण पत्र फेसबुक पर अपलोड करते हैं। जब मिलते हैं तो अपने रसूख की शान बघारते हैं। कहते हैं कि देश के लगभग राज्यों से उन्हें प्रशंसा-पत्र मिले हैं। उनसे कोई यह पूछे कि उन्होंने ऐसा क्या किया, जिससे आपकी इतनी प्रशंसा हो रही है। दरअसल पं्रशंसा-पत्र बांटने वाले अवसर को भुनाते हुए अपना नाम चमकाने में लगे हैं। जिन हजारों लोगों को वे प्रशंसा-पत्र बांट रहे हैं, वे उनकी संस्था को सबसे बड़ी समाजसेवी संस्था बताते हैं। प्रशंसा-पत्र पाने वाले और बांटने वाले दोनों महान कोरोना योद्धा बन बैठे हैं। संकट के दौर में मिलीभगत का इससे बड़ा और उदाहरण ना मिलेगा।
महामारी में जो लाचारी पसरी हुई है। रोजगार छिनने के बाद जो लोग सडक़ों पर आ गए हैं। उनका भी राम ही रखवाला है। सारी स्थितियों को नजदीकी से देख रहे और लोगों की मदद कर रहे लोग कुढ़ते रहें तो कुढ़ते रहें। अपनी तो सरकार भी पल्ला झाड़ चुकी है। कोरोना योद्धा तो कर ही क्या सकते हैं। हां सरकार भी प्रशंसा-पत्र ही दे सकती है। अपने नेता जी ने तो लॉकडाउन शुरू होते ही प्रशंसा-पत्र बांटने शुरू कर दिए थे। उनकी सिफारिश पर प्रशासन ने भी अपनी वैबसाइट पर योद्धाओं की सूची डाल दी थी। रोजगार व अन्य सहायता तो मिल नहीं सकती। हाँ, कोई प्रशंसा-पत्र चाहिए, तो मिल जाएगा। वो भी बिना कुछ करे-धरे।
मो.नं.-9466220145
PRAVASI SANDESH 09-09-2020

JAMMU PARIVARTAN 09-09-2020

 
NABH CHHOR 8-9-2020


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