किसान रहा पुकार कबीरा
किसान रहा पुकार कबीरा
सुने नहीं सरकार कबीरा।
ऐसे बिल है लेकर आई
जिसकी नहीं दरकार कबीरा।
दुगनी आय की बातें करके
कर ना अत्याचार कबीरा
मिट्टी में मिलकर है होती
फसल की पैदावार कबीरा।
डूबती हुई अर्थव्यवस्था को
कर सकता है पार कबीरा।
घाटे का सौदा क्यों अब तक
खेती कारोबार कबीरा।
अन्नदाता जिसको हैं कहते
क्यों उसे रहे दुत्कार कबीरा।
मजदूर और किसान उठा तो
होगी हाहाकार कबीरा।
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