Wednesday, September 30, 2020

BOL KABIRA

 बोल कबीरा


क्यूं होते बलत्कार कबीरा
सोच ही है बेकार कबीरा।

घटना पर चिल्लाते हैं सब
फिर चुप्पी की मार कबीरा।

भाषा में सजती हैं गाली
मन में बसे विकार कबीरा।

शत्रुता निकालने को करते
महिलाओं पर वार कबीरा।

हवस छुपी रहती है मन में
बतलाते हैं प्यार कबीरा।

हाथरस की घटना से तो
देश हुआ शर्मसार कबीरा।

लल्लो चप्पो भौं-भौं-भौं
चैनलों का ये सार कबीरा।

रोज अगर हैं होते अपराध
कहाँ पे है सरकार कबीरा।
-अरुण कुमार कैहरबा

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