बोल कबीरा
क्यूं होते बलत्कार कबीरा
सोच ही है बेकार कबीरा।
घटना पर चिल्लाते हैं सब
फिर चुप्पी की मार कबीरा।
भाषा में सजती हैं गाली
मन में बसे विकार कबीरा।
महिलाओं पर वार कबीरा।
हवस छुपी रहती है मन में
बतलाते हैं प्यार कबीरा।
हाथरस की घटना से तो
देश हुआ शर्मसार कबीरा।
लल्लो चप्पो भौं-भौं-भौं
चैनलों का ये सार कबीरा।
रोज अगर हैं होते अपराध
कहाँ पे है सरकार कबीरा।
-अरुण कुमार कैहरबा
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