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HAMARA BHUMANDAL JULY 2020
दुश्मन नहीं, दोस्त हैं वन्य जीव, आओ इन्हें बचाएं
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अरुण कुमार कैहरबा
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PURVANCHAL PRAHARI 29 JUNE, 2020
अपने मास्साब भी कुछ ना कुछ रचते ही रहते हैं। इस बार मास्साब एक वन्य प्राणी गोह के साथ दिखे तो लोगों को भी हैरत हुई। यह क्या इतने खतरनाक माने जाने वाले जीव को मास्साब ऐसे उठाए हुए हैं कि जैसे कोई बच्चा उठा रखा हो। यह जीव नकली भी नहीं है। कमाल की बात यह है कि यह मास्साब को कुछ कह भी नहीं रहा। किस्सा तो आपके मन में भी जिज्ञासा जगा ही रहा होगा।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgSFxfaBVxknG06nYGbb1jade-jRwPbf66qHryOhkqb6KMoZxqUKBG_OoHuUMTnsUrPOG222aA2704du760kCpfrELkupKXWPcojr1ABMAg_jXcpnV4OI0wKOQuorFqjwyjEai9uSEDxtow/s1600/23455860.jpg)
आपको पता ही है कि गर्मी की छुट्टियों व कोरोना वायरस की वजह से स्कूल में बच्चे तो आ नहीं रहे। इसके बावजूद विभाग ने मास्टर-मास्टरनियों को स्कूल में आने का हुक्म दिया है। खैर, अपने मास्साब तो वैसे भी स्कूल के बिना नहीं रह सकते। वे गांव में बच्चों से मिलकर स्कूल आए तो स्कूल का माली दौड़ा-दौड़ा आया और बताया कि गांव के नाले में एक कछुआ दिखाई दे रहा है। मास्साब माली के साथ-साथ हो लिये-चलो दिखाओ कहाँ है। नाले के पास पहुंचे तो एक मुंडी दिखाई दी। बाकी हिस्सा नाले में डूबा हुआ था। मास्साब ने कड़ी मेहनत करके पीड़ा और गुस्से से फन्नाते जिस जीव को निकाला वह माली द्वारा बताया गया कछुआ तो हरगिज नहीं था। वह था चार फुट लंबा सरिसृप प्रजाति का गोह। तड़पती-सी गोह। ओह! ये नाले में कैसे? मास्साब गोह को उठा लाए अपने ठिए-स्कूल में। नाले की गंदगी को धोने के लिए उसे साफ पानी में धोया। उसके शरीर पर तेज घावों के निशान थे, जैसे बल्लम से नुकीले हथियारों से उसे मारा गया हो। मास्साब को स्थिति समझते देर ना लगी। मार से शिथिल पड़ा जीव बीच-बीच में अपना फन उठाता, लेकिन अपने आप को बेबस पाता।
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JAMMU PARIVARTAN 30-6-2020 |
मास्साब ने पशुओं व जीवों के डाक्टर से बात की। डाक्टर के बताए मुताबिक मास्साब ने गोह के घावों पर हल्दी-तेल का मल्हम लगाया। अब देखने वाले तो तमाशा देख रहे थे। मास्साब का मन दुखी था- ये कैसी दुनिया है? जिस इन्सान को सर्वश्रेष्ठ प्राणी बताया जाता है, वही अपना धर्म आखिर क्यों भूल गया है। निरीह जीवों पर हमलावर होकर वह टूट पड़ता है और जीवों को मार कर अपने आप को बहादुर बताता है। धिक्कार है ऐसी बहादुरी पर, जिसमें दूसरों पर निर्ममता हो। बहादुरी तो वह हो सकती है, जिसमें किसी की जान बचाई जाए। जिसमें किसी की जान ली जाए, वह बहादुरी कैसे हो सकती है।
क्या यह धरती केवल मनुष्य के लिए बनाई गई है? हरगिज नहीं। धरती पर प्राकृतिक संतुलन में सभी जीवों का अहम स्थान है। सभी जीव, जंगल, वनस्पतियां, हवा, पानी आदि हैं, तभी तो धरती है। वन्य जीव ना तो मनुष्य के दुश्मन हैं और ना ही उसके उपभोग की वस्तु। ये जीव मनुष्य के संगी हैं। हां कुछ जीव मानव बस्ती में ना घुसें तो बेहतर है। लेकिन इसके लिए यह भी तो जरूरी है कि मनुष्य इन जीवों की बस्ती-जंगल में अतिक्रमण ना करे। मनुष्य जंगलों को अंधाधुंध काट कर कंकरीट के जंगल खड़े करके इसे अपनी उपलब्धि बताते हुए इतरा रहा है। कथित विकास की परियोजनाओं के लिए भी जंगलों को उजाड़ा जा रहा है। सडक़ों के किनारे खड़े पेड़ सडक़ों के चौड़ाकरण की भेंट चढ़ रहे हैं। ऐसे में हम देखते हैं कि बंदर व नीलगाय तक के रहने लायक जंगल नहीं रह गए हैं। बंदर बस्तियों में घुसते हैं तो बंदों को परेशानी होती है। नीलगाय फसलें चट करती हैं तो बंदे बंदूकें उठाकर मारने को दौड़ते हैं।
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DAILY NEWS ACTIVIST 03 JULY, 2020 |
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AAJ SAMAJ 30-6-2020 |
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