कहानी
सुंदर सपना
मीनू जब बिस्तर पर लेटने ही वाली थी तभी उसकी माँ आई - ‘बेटी सोने से पहले ब्रश कर लो और पैर धो लो। अच्छी नींद आएगी ।’ मीनू-‘अच्छा माँ’ बोल कर चली गई। वह ब्रश करने और पैर धोने के बाद जल्द ही सो गई।मीनू को सपना आया। वह अब हरे-भरे मैदान में दोस्तों के साथ खेल रही थी। कुछ देर बाद जाने क्या बात हुई कि उसके सारे मित्र कट्टी करके चले गए थे। वह जोर-जोर से रोयी-चिल्लाई- ‘मुझे कोई दोस्त दे दो।’
तभी वहां एक परी प्रकट हुई। परी ने पूछा-‘तुम क्यों रो रही हो।’
मीनू बोली-‘मेरा कोई मित्र नहीं है, जो भी था वह कट्टी करके चला गया।’
‘तुम मेरे साथ चलो। वहां तुम्हें बहुत मजा आएगा’-परी बोली।
‘हां, क्यों नहीं।’ बोलते हुए मीनू परी के साथ चल दी।
परी उसे अपने देश में ले गई। वहां पर कईं परियां थी। वहां पर मीनू जो भी मांगती। परियां छड़ी घुमाकर पलक झपकते ही ला देती। उसने मीनू की सारी इच्छाएं पूरी कर दी। परी ने मीनू को एक बार भी उदास होने नहीं दिया। परी मीनू को मां जैसा प्यार दे रही थी।
तभी मीनू की मां की आवाज आई-‘मीनू जल्दी उठो। स्कूल के लिए जल्दी तैयार हो जाओ।’ तभी मीनू उठती है। वह परियों के सुंदर सपने से अब सच्ची दुनिया में लौट आती है। वह कहती है-‘ओह! यह तो सपना था।’ वह जल्दी से स्कूल के लिए तैयार हो जाती है और सोचती है- कितना सुंदर सपना था, जहां प्यार और रिश्तों की मिठास थी। क्या हमारा समाज भी ऐसा ही बन सकता है?
रचनाकार-सार्थक
कक्षा-चौथी
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