Thursday, December 30, 2021

HINDI IDIOM COMPETITION IN GHS KARERA KHURD YNR.

 मुहावरों से भाषा बनती प्रभावी और गतिशील: अरुण कैहरबा

करेड़ा खुर्द के राजकीय स्कूल में मुहावरा प्रश्रोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित

प्रेमचंद टीम ने पहला और कबीर टीम ने पाया दूसरा स्थान

गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में मुहावरा आधारित प्रश्रोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा के संयोजन में आयोजित प्रतियोगिता के संचालन में संस्कृत अध्यापिका रजनी शास्त्री व लैब सहायक रवि कुमार ने सहयोग किया। प्रतियोगिता में टीम-बी प्रेमचंद ने 65 अंक लेकर पहला स्थान प्राप्त किया। टीम में प्रेम, श्रीराम, आर्यन, अमन व रीतिक शामिल रहे।

टीम-ए कबीर ने 55 अंकों के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया। टीम में मीनाक्षी, भावना, तृप्ति, मुस्कान व मोहिनी शामिल रहे। टीम-डी महादेवी वर्मा व टीम सी राजेश जोशी ने 45-45 अंक प्राप्त किए। महादेवी वर्मा टीम में मानसी, मुस्कान, प्रीति, महक, करिश्मा शामिल हुए और राजेश जोशी टीम में खुशी, चीनू, मंजू, भावना व साक्षी की हिस्सेदारी रही।


हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि मुहावरे भाषा में विशेष स्थान रखते हैं। भाषा को जानदार, रूचिकर व गतिशील बनाने में इनकी अहम भूमिका है। जिसकी भाषा मुहावरों और लोकोक्तियों से सुसज्जित होती है, उसका श्रोताओं और पाठकों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि मुहावरा ऐसा शब्द समूह है, जो सामान्य अर्थ देने की बजाय विशिष्ट अर्थ प्रकट करता है। उन्होंने कहा कि शब्द की तीन शक्तियां होती हैं-अभिधा, लक्षणा व व्यंजना शब्द शक्ति। अभिधा शब्द शक्ति के अनुसार जो कुछ कहा जाता है, वही उसका अर्थ होता है। लेकिन मुहावरों में जो कुछ कहा जाता है, उसकी लक्षणा शक्ति और कभी-कभी व्यंजना शक्ति का प्रयोग होता है। मुहावरों का विशिष्ट अर्थ समझना अभ्यास से होता है। ऐसा ही भाषा को मुहावरेदार बनाने के लिए करना पड़ता है। मुहावरों के प्रयोग से भाषा में चित्रमयता का समावेश होता है। मुहावरों के बिना भाषा निष्प्रभावी और निस्तेज हो जाती है। उन्होंने प्रात:कालीन सभा और स्कूल में समय-समय पर होने वाले कार्यक्रमों का प्रयोग करके अपनी मौखिक अभिव्यक्ति को निखारने का आह्वान किया। 30/12/2021

DAINIK JAGRAN 31-12-2021

AMAR UJALA 31-12-2021


Monday, December 27, 2021

APC DR. DHARAMVEER AND SUBHASH CHAND VISITED GHS KARERA KHURD

 सुविधाओं के अभाव में कितनों ने मेहनत से चमकाई अपनी प्रतिभा: डॉ. धर्मवीर

शिक्षा सशक्त बनाती है: सुभाष चन्द

जिला सहायक परियोजना समन्वयकों ने किया स्कूल का दौरा

यमुनानगर, 27 दिसंबर

गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में समग्र शिक्षा में जिला सहायक परियोजना समन्वयक डॉ. धर्मवीर व सुभाष चन्द ने दौरा किया। दोनों अधिकारियों ने स्कूल में लगाए जा रहे फूलों के पौधे, रंग-रोगन व विकास कार्यों का जायजा लिया और उत्साहवर्धन किया। उन्होंने विभिन्न कक्षाओं में विद्यार्थियों से संवाद करते हुए शिक्षा के आगामी पड़ावों व करियर के बारे में परामर्श दिया। मुख्याध्यापक विपिन कुमार मिश्रा व हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने आए अतिथियों का स्वागत किया।


डॉ. धर्मवीर ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि सुविधाओं की कमी या अधिकता आगे बढऩे में नगण्य भूमिका निभाते हैं। डॉ. भीमराव अंबेडकर, श्रीनिवास रामानुजन व लाल बहादुर शास्त्री सहित कितनी ही शख्सियतों ने साधन व सुविधाओं के अभाव के बावजूद अपनी पहचान बनाई। आजादी की लड़ाई में ही महात्मा गांधी व जवाहर लाल नेहरू सहित कितने ही व्यक्तित्वों ने सुविधाओं के बावजूद अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उन्होंने कहा कि पढऩे और आगे बढऩे के लिए सबसे अधिक जरूरत लगन व जुनून की है। उन्होंने खुद का ही उदाहरण देते हुए कहा कि उनके समय में आज की तुलना में बहुत ही कम सुविधाएं होती थी। वे खेत व पशुपालन के कितने ही कामों को करते हुए भी पढ़ते थे। उन्होंने कहा कि उनकी पीढ़ी के कितने ही लोगों ने भी सुविधाओं व साधनों का अकाल देखा है। लेकिन पढऩे की इच्छा और अध्यापकों के मागदर्शन से आज वे यहां तक पहुंचेे हैं।


उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आज वे जिस तरह के कपड़े पहनते हैं, वे कपड़े उन्हें नसीब भी नहीं होते थे। कितने ही लोगों को पढ़ते हुए बिजली की रोशनी नसीब नहीं हुई, इसके बावजूद वे पढ़े। उन्होंने विद्यार्थियों को मौजूद सुविधाओं का लाभ उठाते हुए आगे बढऩे का आह्वान करते हुए कहा कि दसवीं के बाद शिक्षा जिन शाखाओं में बंट जाती है, उनके बारे में उचित ज्ञान प्राप्त करें। अपनी दिलचस्पियों के अनुसार विषयों का चयन करते हुए आगे बढ़ें।

एपीसी सुभाष चन्द ने कहा कि कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता है। सभी काम महत्वपूर्ण हैं। विद्यार्थियों की रूचियां-अभिरूचियां जिस भी क्षेत्र की हैं, उसी को अपने अध्ययन एवं करियर का क्षेत्र बनाएं। उन्होंने कहा कि सभी का सशक्त और आत्मनिर्भर बनना जरूरी है। सशक्त बनने के लिए शिक्षा को औजार बनाएं। उन्होंने छात्र-छात्राओं की अभिरूचि के विभिन्न कार्यों का जिक्र करते हुए कहा कि खाली समय व छुट्टी के दिनों को सीखने में बिताने वाले ही आगे बढ़ते हैं। समय बहुत कीमती है। समय की पूंजी का सदुपयोग करने वाले अपने ज्ञान व अनुभवों में वृद्धि करते हैं। 

इस मौके पर ईएसएचएम विष्णु दत्त, अध्यापक सुखिन्दर कौर, रजनी शास्त्री, विजय गर्ग, राजरानी, वीरेन्द्र कुमार, वंदना शर्मा, डिंपल, मंजू, रवि कुमार उपस्थित रहे। 

dainik bhaskar 29-12-2021

amar ujala 29-12-2021

Friday, December 24, 2021

NISHTHA 2.0 TRAINING WORKSHOP

 अध्यापकों ने स्कूली शिक्षा की पहलों पर की चर्चा

दो दिवसीय निष्ठा 2.0 कार्यशाला सम्पन्न

रादौर, 24 दिसंबर

स्थानीय राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में दो दिवसीय निष्ठा 2.0 शंका समाधान कार्यशाला सम्पन्न हुई। कार्यशाला में डाइट तेजली के प्राध्यापक डॉ. संजीव कुमार व प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने रिसोर्स पर्सन की भूमिका निभाई। डाइट तेजली के वरिष्ठ प्राध्यापक अशोक कुमार राणा व तेजपाल वालिया ने कार्यशाला का निरीक्षण किया। अशोक राणा ने प्रतिभागियों को बताया कि माध्यमिक स्तर पर शिक्षण करने वाले सभी अध्यापकों-प्राध्यापकों के लिए निष्ठा 2.0 के 12 मोड्यूल दिए गए थे। उन मोड्यूल को समझने के लिए यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है। उन्होंने दीक्षा एप के माध्यम से सभी मोड्यूल सम्पन्न करने की अपील की।


कार्यशाला के दूसरे दिन का कार्यक्रम प्रार्थना के साथ शुरू हुआ। रिसोर्स पर्सन अरुण कैहरबा ने विश्वास गीत के माध्यम से स्कूल शिक्षा में पहलकदमियां विषय की शुरूआत की। सभी प्रतिभागियों ने मिलकर गीत गाया। अरुण कैहरबा ने कहा कि अध्यापकों व स्कूल मुखियाओं के सामने शिक्षण व स्कूल प्रबंधन का कार्य करते हुए अनेक प्रकार की समस्याएं आती हैं। वे समस्याएं चुनौती की तरह सामने आकर खड़ी हो जाती हैं और उनके समाधान के लिए उनके द्वारा अनेक प्रकार की पहलकदमियां उठाई जाती हैं। नई सोच से शुरू हुई पहलें जब एक मुकाम तक पहुंचती हैं तो समस्याओं का समाधान होता है। योजना, साहस व सामूहिकता के साथ की गई पहलें चर्चा में आती हैं, जिनसे अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलती है। उन्होंने स्कूल का नामांकन बढ़ाने, स्कूल सौंदर्यीकरण का विद्यार्थियों के नामांकन व उपस्थिति पर प्रभाव और बाल विवाह को समाप्त करने आदि विषयों पर अध्यापकों द्वारा की गई पहलों पर चर्चा की। उन्होंने प्रसिद्ध शिक्षाविद गिजूभाई द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए प्रयोगों पर चर्चा करते हुए उनकी प्रयोग आधारित पुस्तक दिवास्वप्र पढऩे की अपील की।


डॉ. संजीव कुमार ने काव्यात्मक अंदाज में स्कूल लीडर की भूमिकाओं को रेखांकित करते हुए कहा कि मुखिया संस्थान का नेता होता है, जोकि अपने अध्यापकों में उत्साह का संचार करता है। योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने में अग्रणी भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि सफर जो इख्तियार करते हैं, वही दरिया को पार करते हैं।


प्रधानाचार्य उमेश खरबंदा ने रसायनशास्त्र विषय के शिक्षण व स्कूल सुधार के क्षेत्र में किए गए प्रयोगों पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि स्कूल में शिक्षकों की सामूहिकता बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

प्रधानाचार्य जगपाल सिंह ने आने वाले समय में विद्यार्थियों की परीक्षाओं को देखते हुए मन लगाकर शिक्षण कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने हरियाणवी कवयित्री मुकेश यादव का लिखा हुआ गीत तरन्नुम में गाया। राजेश अत्री व अजय पोसवाल ने खुद के द्वारा ली गई पहलकदमियों पर चर्चा की। इस मौके पर प्रधानाचार्य राज कुमार बख्शी, महकार सिंह आदि उपस्थित रहे।



Wednesday, December 22, 2021

FLOWER CAMPAIGN IN GHS KARERA KHURD

 विद्यालय में चल रही फूलों की मुहिम

अध्यापक व विद्यार्थी क्यारियां बनाकर लगा रहे पौध

यमुनानगर, 22 दिसंबर
गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में फूलों की मुहिम चली हुई है। मुख्याध्यापक विपिन कुमार मिश्रा, हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा व अध्यापकों की अगुवाई में चलाई जा रही मुहिम में विद्यार्थी सक्रिय रूप से हिस्सा ले रहे हैं। बुधवार को भी विद्यार्थियों ने नई क्यारी बनाकर उसमें फूलों की पौध रोपी। पहले से बनाई गई क्यारियों में पानी दिया। अभियान में श्रीराम, प्रेम, अरमान, आर्यन, अमन, रीतिक, अक्षय, मनु, तनुज व किशन सहित कईं विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।
मुख्याध्यापक विपिन कुमार मिश्रा ने बताया कि उनका स्कूल सौंदर्यीकरण की राह पर बढ़ रहा है। स्कूल में लगाने के लिए जहां एक तरफ नर्सरियों से पौधे लाए गए हैं। वहीं फूलों की मुहिम से लेकर भी पौध लगाई जा रही है।
हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि प्रकृति सबसे बड़ी है। प्रकृति की गोद में इन्सान खुश रहता है। जहां-जहां भी हम खिले फूल व पेड़-पौधे देखते हैं, हमारी आंखों का सुकून मिलता है। स्कूल में शिक्षा का काम होता है। लेकिन सीखने-सिखाने के लिए अनुकूल माहौल बहुत अधिक जरूरी है। प्राकृतिक वातावरण में विद्यार्थियों का पढऩे और अध्यापकों का पढ़ाने में मन लगता है। उन्होंने कहा कि इसी को देखते हुए स्कूल में फूलों की पौध रोपी जा रही है। विद्यार्थियों को मेहनत से जोडऩे और श्रम की अहमियत को समझाने के लिए इस अभियान से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में इस अभियान को लेकर उत्साह देखते ही बनता है। उन्होंने कहा कि फ्लावर मैन से विख्यात डॉ. रामजी जयमल के द्वारा हरियाणा के विभिन्न स्थानों पर फूलों की पौध लगाई है। जिसे प्राप्त करके हम अपने स्कूलों की शोभा बढ़ा सकते हैं। जगाधरी में भी बुडिय़ा चौंक के पास पार्क में हरविन्द्र कौर ढि़ल्लों के सहयोग से पौध लगी हुई है। स्कूल में मौलिक मुख्याध्यापक विष्णु दत्त, पंजाबी अध्यापिका सुखिन्दर कौर, संस्कृत अध्यापिका रजनी शास्त्री, राजरानी, विज्ञान अध्यापक विजय गर्ग, लिपिक मंजू, डिंपल, रवि कुमार, राजेन्द्र कुमार अभियान में हिस्सा ले रहे हैं।

Saturday, December 18, 2021

BOOKS UMR KI SANJH PAR & ADHURI KAVITA KA VIMOCHAN

 समाज को दिशा देते हैं साहित्यकार: कंवर पाल गुर्जर 

शिक्षा मंत्री ने उमेश प्रताप वत्स के कहानी संग्रह 'उम्र की साँझ पर' और बलदेव राज भारतीय के काव्य संग्रह 'अधूरी कविता' का किया विमोचन

साहित्यकारों ने की समीक्षा


अरुण कुमार कैहरबा

जगाधरी स्थित सरस्वती पब्लिक स्कूल में शिक्षा मंत्री कँवर पाल गुर्जर ने डॉ. उमेश प्रताप वत्स के कहानी संग्रह "उम्र की साँझ पर" तथा बलदेव राज भारतीय के काव्य संग्रह "अधूरी कविता" का प्रमुख साहित्यकारों की उपस्थिति में विमोचन किया। 

पुस्तक विमोचन समारोह में मुख्यअतिथि के रूप में उपस्थित माननीय शिक्षा मंत्री ने में कहा कि साहित्यकार समाज की आवाज होते हैं। साहित्यकार अपनी कलम से समाज को एक नई का काम करते हैं। उन्होंनेे कहा कि जब जब भी समाज राह भूलता है, साहित्यकार अपनी रचनाओं के जरिए सही राह दिखाता है। उन्होंने  दोनों साहित्यकारों को उनकी रचना के लिए शुभकामनाएं दी। समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला शिक्षा अधिकारी सतपाल कौशिक ने संबोधित करते हुए दोनों साहित्यकारों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भविष्य में राष्ट्र हित व बच्चों को केंद्रित कर लिखा जाना चाहिए। 
कहानी संग्रह "उम्र की साँझ पर" पुस्तक की समीक्षा करते हुए डॉ. कँवल नयन कपूर ने कहा कि पुस्तक में दस कहानियां हैं जोकि अलग-अलग विषयों पर सामाजिक परिस्थियों से संघर्ष करती हुई एवं शिक्षा का मार्ग प्रशस्त करती हुई समाप्ति की ओर जाती है। डॉ. प्रमोद कुमार वाजपेयी जी ने कहा कि काव्य संग्रह" अधूरी कविता" में कवि ने सभी रंगों का खुलकर प्रयोग किया है। कवि की कलम जहां सामाजिक बुराइयों की ओर संकेत करती दिखाई देती है। वहीं राजनैतिक षडयंत्रकारियों का भी पर्दाफाश करती हुई दिखाई देती है। काव्य संग्रह की प्रथम कविता ही  कवि की चिंता को प्रकट कर देती है जिसमें मां भारती के माध्यम से पूछा गया है कि " आज कहां है भगत सिंह, कहां शेखर आजाद? ढूंढे मेरी नजरें तुममें नेता सुभाष?"  एक अन्य कविता "बताओगे क्या" भी ऐसे ही प्रश्न खड़े करती है। वाजपेयी ने कहा कि काव्य संग्रह का नाम बेशक "अधूरी कविता" रखा गया है मगर इसकी सभी कविताएं अपने आप में पूर्ण हैं। 

साहित्यकार अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि काव्य संग्रह का शीर्षक अधूरी कविता है किंतु इसमें पूरी इक्यावन कविताएं हैं जो कि अलग-अगल विषयों पर प्रकाश डालती हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस संग्रह की लगभग सभी कविताएं पढ़ी हैं। सभी कविताएं समाज को कोई न कोई संदेश जरूर देती हैं। कहीं पर कविताएं बेटियों को बराबरी का संदेश देती हैं, और कोई कविता पर्यावरण की चिंता प्रकट करती हैं। संग्रह की बंटवारा कविता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कवि ने मानव के बदले व्यवहार पर चिंता प्रकट की है। "धरती बांटी, अंबर बांटा बांट दिया जग सारा।"  

वक्ता के रूप में दीपक कुमार ने कहा कि डॉ. वत्स के कहानी संग्रह का शीर्षक उम्र की साँझ पर नाम से जो कहानी मैंने पढ़ी इसमें लेखक ने एक प्रतिभावान, प्रतिष्ठित, यशस्वी जीवन जीने वाले व्यक्ति की आयु बढ़ने के साथ-साथ बदलती जा रही परिस्थितियों की ओर संकेत किया है। कहानी बताती है कि हमें बुजुर्गों को अनदेखा नहीं करना चाहिए अपितु सदैव उनका सम्मान करना चाहिए। समीक्षक के रूप में पंचकूला से आये उपन्यासकार नरेश चौधरी ने कहा कि लेखक की सभी दस कहानियां लीक से हटकर लिखी गई है। कहानियों में लेखक के विचार, परिवेश, छात्र जीवन एवं सामाजिक मूल्यों के साथ-साथ देशप्रेम की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। कहानी 'चरखों की पंचायत' महिलाओं के आपसी सहयोग, सामाजिक बात-चीत एवं आर्थिक स्वावलंबन के विषय में बताती हैं तो आइपीएस नेता राजनैतिक गुंडागर्दी की ओर संकेत करती है। 

समारोह में विशिष्ट अतिथि एमसी शर्मा, मुलखराज दुआ एवं डॉ. रामेंद्र सिंह ने भी दोनों साहित्यकारों की पुस्तकों की समीक्षा की एवं शुभकामनाएं दीं। साहित्यकार आरती शर्मा, राजेंद्र शर्मा बराड़ा, रामसरूप चौहान, रामेश्वर एवं पी सी भारद्वाज ने भी संबोधन किया। अंत में डॉ. उमेश प्रताप वत्स एवं बलदेव राज भारतीय ने कार्यक्रम में उपस्थित विद्वत जन, वरिष्ठ साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमियों, प्रधानाचार्य दीपक सिंगला, प्रधानाचार्य सुमित जिंदल तथा विद्यालय प्रबंधन समिति का आभार प्रकट किया। वंदेमातरम् गीत के साथ पुस्तक विमोचन समारोह का समापन किया गया। मंच संचालन गजल रचनाकार अनिल खारवन ने किया तथा व्यवस्था कार्य हाकम सिंह, नवनीत शर्मा, आशीष मैहता, श्रीश कुमार बेंजवाल, राकेश शर्मा आदि ने संभाला।

इस अवसर पर डीओसी संदीप गुप्ता, जगदीश शर्मा, शिष्टा शर्मा, संजीव ककडोनी, डॉ. रवि कपूर, सतनाम सिंह, साहित्यकार वीरेन्द्र भीलपुरा, सुन्दर प्रताप सिंह, ऋषिपाल कौशिक, जंगशेर शास्त्री, अर्जुन गुप्ता, सीमंत आहुजा, बलजीत कुमार, हरीश कुमार, राजेश कुमारी , महेश प्रताप, अभिषेक वत्स, सुमन शर्मा, कुसुम शर्मा, सुष्मा शर्मा, राधेश्याम, अश्वनी शर्मा, सुरेन्द्र आदि उपस्थित रहे।
HARYANA PRADEEP 18-12-2021

Tuesday, December 14, 2021

Flower Campaign

फूलों की मुहिम दूर दूर तक बिखेर रही खुश्बू

फूलों की पौध लेने के लिए कैथल से इन्द्री आए अध्यापक

फ्लावर मैन डॉ. रामजी जयमल ने उत्तरी भारत के कईं राज्यों में लगाई है फूलों की पौध

अरुण कुमार कैहरबा




फ्लावर मैन राम जी जयमल का फूलों का अभियान लगातार आगे बढ़ रहा है। इन्द्री क्षेत्र में धमनहेरी स्थित लेक व्यू फार्म, नन्हेड़ा और रायतखाना के राजकीय स्कूलों में लगाई गई फूलों की पौध लेने के लिए जगह-जगह से लोग आ रहे हैं। कैथल जिला से अध्यापकों का दल धमनहेरी स्थित फार्म में पहुंचा और 15 किस्म के फूलों की पौध प्राप्त की। यह पौध जिला कैथल के विभिन्न स्कूलों में लगाई जाएगी। फार्म के मालिक परमजीत सिंह, प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा व सबरेज अहमद ने अध्यापकों का स्वागत किया और पौध निकालने में सहयोग किया।


कैथल जिला के गांव कौलेखां स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय के गणित अध्यापक मनोज पवार,  त्योंठा

के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के कम्प्यूटर विज्ञान प्राध्यापक अनिल, खेड़ी गुलाम अली के राजकीय स्कूल में मनोविज्ञान प्राध्यापक मनोज और चीका में कृषि विकास अधिकारी ईश्वर इन्द्री पहुंचे। धमनहेरी के लेक व्यू कर्नल फार्म से डहेलिया, कोसमोस, बर्फ, स्वीट वीलियम, कैलेंडोला सहित 15 किस्म की पौध जुटाई। पौध निकालने के साथ-साथ अरुण कुमार और सबरेज अहमद ने पौध को कागज में लपेट कर छोटे छोटे बंडल बनाए ताकि पौध को रोपे जाने तक कोई नुक़सान ना हो।

दूसरी तरफ नन्हेड़ा स्कूल से हरियाणा तालाब प्राधिकरण सदस्य तेजेन्द्र बिड़लान, बल्ला राजकीय स्कूल के प्रधानाचार्य, खंड घरौंडा के राजकीय स्कूल के अध्यापक और साहित्यकार राधेश्याम भारतीय, राजकीय माध्यमिक विद्यालय डेरा हलवाना के मुख्याध्यापक मदन लाल मधु, इन्द्री न्यायालय के माली राजेंद्र कांबोज ने विविध प्रकार की पौध प्राप्त की। स्कूल प्रभारी महिन्द्र खेड़ा, अध्यापक सुनील सिवाच, उधम सिंह व माली सुदर्शन लाल ने पौध प्रदान की। रायतखाना स्कूल प्रभारी देवेन्द्र सिंह देवा भी पौध वितरण के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं।

अरुण कैहरबा, महिन्द्र खेड़ा और सबरेज अहमद ने कहा कि फूलों का अभियान निरंतर प्रगति कर रहा है। फ्लावर मैन डॉ. रामजी जयमल के नेतृत्व में उत्तरी भारत के विभिन्न राज्यों में कईं स्थानों पर लगाई गई पौध लोग उत्साह से प्राप्त कर रहे हैं और लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा में परिवेश का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। फूलों से सुसज्जित और सुगंधित परिवेश बच्चों को आकर्षित करता है। इससे स्कूलों में बहार आ रही है। ऐसे परिवेश में स्कूलों और शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार होना तय है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को लेकर जताई जा रही चिंताओं का उपचार भी फूलों की इस अनोखी मुहिम में छिपा हुआ है।

कैथल से आए बदलाव टीम के अग्रणी साथी मनोज पवार ने कहा कि इस बार इन्द्री से पौध कैथल के स्कूलों को गुलजार करेगी। अब वे भी फूलों की मुहिम से जुड़ गए हैं। अगली बार डॉ. जयमल से अनुरोध करके कैथल में फूलों की पौध तैयार की जाएगी।


SMC Training in GHS Karera Khurd

स्कूल के विकास में एसएमसी का अहम योगदान

एसएमसी का प्रशिक्षण सम्पन्न

13 दिसंबर, 2021 को गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय और राजकीय प्राथमिक पाठशाला में स्कूल प्रबंधन समिति का प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए मुख्याध्यापक विपिन कुमार ने प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि स्कूल के विकास में समिति सदस्यों का अहम योगदान और जिम्मेदारी होती है। उन्होंने कहा कि बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने में स्कूल अध्यापकों को पूरे समुदाय और अभिभावकों का सहयोग लेने के लिए हमें मिल कर कार्य करना होगा। उन्होंने स्कूल में किए जा रहे अनेक विकास कार्यों और बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं से परिचित करवाया।


नई शिक्षा नीति 2020 के बारे में हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश की सबसे पहली शिक्षा नीति 1968 में आई थी। उसके बाद 1986 में दूसरी शिक्षा नीति आई थी। काफी चर्चा के बाद लेकर आई गई नई शिक्षा नीति ने 10+2 की स्कूली शिक्षा प्रणाली को 5-3+3+4 का रूप दिया है। जिसके अनुसार तीन साल की पूर्व प्राथमिक शिक्षा और पहली-दूसरी कक्षा का एकीकरण करने की योजना बनाई गई है। आंगनवाड़ियों को सशक्त बनाकर पांच साल तक की शिक्षा उनके माध्यम से देने की बात की जा रही है। इस व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर प्रबंधन समिति के सदस्यों में काफी देर चर्चा हुई। अरुण कैहरबा ने कहा कि शिक्षा नीति मिड-डे-मील को बारहवीं तक के बच्चों को प्रदान करने और  सभी बच्चों को सुबह नाश्ते का प्रावधान किया गया है। उन्होंने सभी सदस्यों को गांव के सभी बच्चों के नामांकन और अच्छी शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित करने का आह्वान किया। इएसएचएम विष्णु दत्त, संस्कृत अध्यापिका रजनी शास्त्री, प्राथमिक पाठशाला प्रभारी वीरेंद्र कुमार, वंदना शर्मा ने बच्चों की शिक्षा और सदस्यों की जिम्मेदारी पर अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर अध्यापक विजय गर्ग, राजरानी, सुखविन्द्र कौर, प्रधान जयवीर, रोशनी, उपप्रधान रेखा शर्मा, पूर्व प्रधान मीनू, बेबी, रजनी देवी, सुलोचना देवी, उर्मिला देवी, ममता रानी, सर्बजीत कौर, कोमल, रोशनी, सुमन रानी उपस्थित रहे।

AMAR UJALA 14-12-2021

Monday, December 6, 2021

Report: Training Workshop on Basic Research Methodology

 

Research should become priority in education & society: Ravinder Ailawadi

Training Workshop on Basic Research Methodology 

Report by Arun Kaharba

An Online Training on Basic Research Methodology was held from 1st to 3rd December 2021 with motivation from Dr. Rishi Goel Director SCERT Haryana. The introductory session began with a welcome to all the participants and emphasis on the importance of research by Ravinder Ailawadi Dy. Director SCERT. He said that Education is an integral aspect of every society. Educational research must become a priority in a progressive society. Research plays a vital role in the overall development of pedagogy, learning programs, and policy formulation. He said educational research is a spectrum that bothers on multiple fields of knowledge and this means that it draws from different disciplines. As a result of this, the findings of this research are multi-dimensional. He said that every teacher should undertake research.

The session began at on Zoom platform with Ms. Rupam Jha, Programme Coordinator, briefing the participants about the training. The participants also shared their expectations from the training and also the relevant topics on which they personally would like to conduct research studies.

The 1st resource person was Dr. Rajender Pal from NCERT New Delhi who introduced what is research and told participants to dispel any fears they have regarding research. In the 2nd session, Dr. D.N. Sansanwal (Retd. Professor) delivered a lecture on Title, Objectives/ Research Questions. A Day Brief was conducted by Ms. Rupam Jha in which participants spoke about their experiences of the day and also mentioned that there was clarity in their minds regarding research. A Google form bearing 5 questions based on the lecture of Dr. Rajender Pal was shared on the Whatsapp group with the participants.

Day 2, during the feedback session by Ms. Rupam Jha, Dr. Suman Sharma  Wing Incharge addressed the participants and all queries too were resolved.  Dr. Sansanwal took the first session on Sampling types and procedures. Dr. Alka Singh of CIET, NCERT took the 2nd session on Data collection, tools and techniques. The highlight was an online quiz at the end of the session with a leader board as well. The Day brief was all talk of the quiz.

Day 3 and in  the feedback session participants had doubts of the task assigned to them, the making of a research proposal and it was decided that the research associate would take a brief session on writing a research proposal. The 1st session by Dr D N Sansanwal on Data analysis & interpretation, followed by Dr Sangita’s session on Report writing. Instead of the Day Brief, Dr. Sheenu Dahiya, Research Associate, REAP Cell SCERT explained in brief about what is a research proposal.  Sunil Bajaj Dy. Director SCERT concluded the 3 day training with the valedictory session and also asked the participants to promote research and what they learnt in the training among their colleagues.  The participants were to answer 5 questions in Google form based on Dr. Sangit’s lecture. The participants were given a week’s time to submit their research proposals online to REAP Cell.

From the Tech Team, Sh. Ankur Bharadwaj junior programmer, created the Zoom link and live streaming on You Tube too was done by him. Devanand, data entry operator, created one of the two Google forms. 


 

Friday, December 3, 2021

GENDER INCLUSION IN SCHOOLING PROCESS / NISHTHA 2.0 WORKSHOP

 स्कूली प्रक्रियाओं में जेंडर समावेशन आवश्यक: अरुण

दो दिवसीय निष्ठा 2.0 प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू

अध्यापकों ने की समूह चर्चाएं

रादौर स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में दूसरे समूह की दो दिवसीय निष्ठा 2.0 शंका समाधान अध्यापक प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ 3 दिसंबर को हुआ। कार्यशाला की शुरूआत रिसोर्स पर्सन अरुण कुमार कैहरबा ने पढऩा-तुम पढ़ाना तुम चांद से आगे जाना तुम गीत के साथ की और सभी प्रतिभागी प्राध्यापकों ने साथ में गीत गाया। सामूहिक रूप से गाए गए गीत से बने वातावरण में स्कूली प्रक्रियाओं में जेंडर समावेशन विषय पर चर्चा की शुरूआत की गई।


अरुण कैहरबा ने इस विषय के सभी पहलुओं पर चर्चा की और प्रतिभागियों ने चर्चा में सक्रिय हिस्सेदारी की। अरुण कैहरबा ने कहा कि आम तौर पर जेंडर और सैक्स को एक ही अर्थ में ले लिया जाता है। जबकि सैक्स एक जैविक व शारीरिक अवधारणा है। जबकि जेंडर सामाजिक संरचना है। हमारे समाज में लडक़ा, लडक़ी और ट्रांसजेंडर के बारे में अलग-अलग प्रकार की सोच व्याप्त है। लडक़े और लडक़ी के पैदा होने पर भी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिलती हैं। लडक़े के पैदा होने पर खुशी मनाई जाती है, जबकि लडक़ी के पैदा होने पर खुशी की बजाय मातम मनाया जाता है। यह सोच और दृष्टिकोण का अंतर ही जेंडर भेदभाव को जन्म देता है। उन्होंने कहा कि जेंडर की अवधारणा पर चर्चा करने का मुख्य मकसद सभी के लिए समानता की सोच विकसित करना है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2015 में तय किए गए 17 वैश्विक लक्ष्यों में से दो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और जेंडर समानता के लक्ष्य हैं। यह लक्ष्य तय करने वाले 193 देशों में से भारत भी एक था। 



अरुण कैहरबा ने कहा कि भारत का संविधान, नई शिक्षा नीति-2020 भी समान व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पक्षधरता करती है। लेकिन हमारा समाज इसके अनुकूल सोच नहीं रखता है। जेंडर भेदभाव और जेंडर पूर्वाग्रह इस मार्ग की बाधाएं हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल में भी कईं बार समाज की परंपराओं और परिपाटियों को बनाए रखा जाता है और कईं बार स्कूल यदि हस्तक्षेपकारी भूमिका नहीं अपनाता है और जेंडर भेदभाव मजबूत भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि स्कूल व शिक्षा बदलाव के लिए हैं। इसलिए स्कूल को अपने पूरे ढ़ांचे और प्रक्रियाओं को सचेत रूप से तय करना होगा। उन्होंने प्रच्छन्न पाठ्यक्रम से परिचित करवाते हुए कहा कि अध्यापकों की बहुत सी क्रियाएं इसके अन्तर्गत आती हैं। कईं बार अध्यापक बच्चों को विभिन्न प्रकार के काम सौंपते समय लडक़े व लड़कियों के प्रति बनी-बनाई सोच का ही अनुसरण करता है। लडक़ों को भारी माने जाने वाले काम सौंपे जाते हैं। लड़कियों को सजावट आदि के काम सौंपे जाते हैं। उन्होंने कहा कि यहीं पर कईं बार जेंडर भेदभाव होता है। उन्होंने अध्यापकों का आह्वान किया कि सचेत रूप से अध्यापकों को जेंडर समानता को बढ़ावा देना है। 


उन्होंने कहा कि जेंडर संवेदनशीलता विकसित करने में अध्यापकों और स्कूल मुखियाओं का अहम योगदान है। अध्यापकों को अपने विषय पढ़ाते हुए जेंडर अनुकूल भाषा का प्रयोग करना चाहिए। चर्चा के बाद अध्यापकों को चार समूहों में बांटा गया। सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, गणित व भाषा प्राध्यापकों ने अपने-अपने समूहों में चर्चा करते हुए जेंडर पूर्वाग्रहों व भेदभाव से मुक्त और जेंडर समानता को बढ़ावा देने के लिए प्रस्तुति तैयारी की। प्राध्यापक मनीष कुमार, विजय कुमार, लक्ष्मी चोपड़ा सहित अनेक अध्यापकों ने सक्रिय हिस्सेदारी की। 

बीआरपी डॉ. रोमिका ने व्यावसायिक शिक्षा मोड्यूल की प्रस्तुति देते हुए एनएसक्यूएफ और शिक्षा में व्यवसायिक शिक्षा के समावेशन के विविधि पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। डाइट प्राध्यापक डॉ. संजीव कुमार ने स्कूल लीडरशिप पर परिचर्चा आयोजित करवाई। बीआरपी अर्जुन सिंह ने कार्यशाला में सहयोग किया।


Thursday, December 2, 2021

NISHTHA 2.0 TRAINING WORKSHOP / SECOND DAY

पहलकदमियों से आता है बदलाव: अरुण कैहरबा

प्रतिभागी अध्यापकों ने दी प्रस्तुतियां

दो दिवसीय निष्ठा 2.0 प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न

अरुण कुमार कैहरबा

रादौर स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में दो दिवसीय निष्ठा 2.0 शंका समाधान अध्यापक प्रशिक्षण कार्यशाला प्रतिभागी प्राध्यापकों की प्रस्तुतियों व उत्साहवर्धक फीडबैक के साथ सम्पन्न हुई। कार्यशाला में डाइट तेजली के प्राध्यापक डॉ. संजीव कुमार, हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा और बीआरपी रोमिका ने प्रशिक्षक के रूप में विभिन्न विषयों पर प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया और प्रतिभागियों के सवालों पर चर्चा की। कार्यशाला में बीआरपी अर्जुन सिंह, प्रधानाचार्य देवेन्द्र कुमार व प्राध्यापक महकार सिंह का सहयोग रहा।


प्रशिक्षण कार्यशाला के दूसरे दिन की शुरूआत प्राध्यापक अरुण कैहरबा के नेतृत्व में जैंडर समानता पर सामूहिक रूप से गाए गए चेतना गीत के साथ हुई। उसके बाद उन्होंने विद्यालय शिक्षा में पहलकदमियां विषय पर बोलते हुए कहा कि पढऩे-पढ़ाने की प्रक्रिया में अध्यापकों व स्कूल मुखिया के सामने अनेक प्रकार की चुनौतियां आ खड़ी होती हैं। उन चुनौतियों का सामना करने के लिए कुछ नया कार्य या प्रयोग करने की जरूरत पड़ती है। सुविचारित व योजनाबद्ध ढ़ंग से समय लगाकर उठाई गई पहलकदमियों के अनेक बाद परिणाम विफलता के रूप में भी मिल सकते हैं। लेकिन लगातार किए गए प्रयास अध्यापक को अनुभवों से लैस करते हैं। उन्होंने कहा कि शैक्षिक प्रक्रियाओं में जरूरी नहीं है कि पूर्ण सफलता हाथ आए। आंशिक सफलता भी उत्सावर्धन करती है। उन्होंने कहा कि पहलकदमियों से बदलाव आता है। पहलकदमियों से विद्यार्थियों के सीखने के स्तर में सुधार होता है। कईं विद्यार्थियों को इस तरह से दिशा मिलती है कि वे लगातार आगे बढ़ जाते हैं। इस विषय पर चर्चा करते हुए सुनीता, रेणु, नरेन्द्र, अजय कुमार व अंजु सहित अनेक प्राध्यापकों ने स्कूल में किए गए अपने कार्यों के प्रसंग सुनाए। अरुण कैहरबा ने कहा कि अध्यापक का कार्य संवेदनशीलता और कुशलता से भरा हुआ होता है। उन्होंने सरकार व विभाग द्वारा शिक्षा में गुणवत्ता, समता व समावेश के लिए की गई पहलकदमियों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि 1976 में किए गए संविधान संशोधन में शिक्षा को राज्य सूची से निकाल कर समवर्ती सूची में डाल दिया गया। उसके बाद से केन्द्र सरकार भी शिक्षा में सुधार के लिए अनेक प्रकार के कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि 2018 में सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा योजना और अध्यापक शिक्षा को शामिल करके समग्र शिक्षा नाम की समावेशी योजना की शुरू गई। समग्र शिक्षा के तहत समावेशी शिक्षा, पढ़े भारत, बढ़े भारत, खेले भारत, खिले भारत सहित अनेक प्रकार की योजनाएं आती हैं। विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए स्कूलों में अनेक प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।


हर वर्ष स्कूल में पुस्तकालय, खेल कूद, यूथ क्लब, इको क्लब आदि के लिए अनुदान दिए जाते हैं। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में पिछड़े हुए खंडों में छठी से बारहवीं कक्षा की छात्राओं के लिए आवासीय सुविधाओं से युक्त शिक्षा सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। 

खिलौने समृद्ध सांस्कृतिक प्रक्रिया का हिस्सा: रोमिका

बीआरपी डॉ. रोमिका ने खिलौना आधारित शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कितने ही विषयों का शिक्षण खिलौनों के माध्यम से हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे अवसरों को अध्यापकों को छोडऩा नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि खिलौने बनाए जा सकते हैं और बने-बनाए खिलौनों का शिक्षण-अधिगम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। कक्षा में अध्यापकों ने कागज की अनेक प्रकार की चीजें बनाई और उनका विभिन्न विषयों के शिक्षण में प्रयोग करने के लिए नवाचार खोजे। डॉ. रोमिका ने कहा कि भारत में खिलौनों की एक परंपरा रही है। सांझी का निर्माण जहां एक कलात्मक कार्य है, वहीं देश की सांस्कृतिक परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। विद्यार्थियों में विभिन्न विषयों का शिक्षण करते हुए देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रयोग किया जा सकता है। 

आकलन शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का अभिन्न अंग: संजीव

प्रशिक्षक डॉ. संजीव कुमार ने स्कूल आधारित आकलन विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि आकलन शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने प्रतिभागी अध्यापकों को कार्यशाला में लिए गए अनुभवों को स्कूल में प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। समापन अवसर पर मुकेश रोहिला, नरेन्द्र, सुरेश कुमार व गुरदीप सहित अनेक अध्यापकों ने अपने विचार रखते हुए प्रतिभा का प्रदर्शन किया।


अरुण कुमार कैहरबा

हिन्दी प्राध्यापक

मो.नं.-9466220145


Wednesday, December 1, 2021

NISHTHA 2.0 Teacher Training Workshop at Radaur / DIET PRINCIPAL Adarsh Sangwan inaugurated

 रिपोर्ट

अध्यापक शिक्षा का केन्द्रीय किरदार: आदर्श सांगवान

अच्छा अध्यापक ज्ञान को बांटने के लिए रहता है तत्पर

डाइट प्राचार्या ने निष्ठा 2.0 प्रशिक्षण कार्यशाला का किया शुभारंभ

अरुण कुमार कैहरबा

रादौर स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में निष्ठा 2.0 की दो दिवसीय शंका समाधान प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान तेजली की प्राचार्या आदर्श सांगवान ने किया। कार्यशाला में रिसोर्स पर्सन की भूमिका प्राध्यापक डॉ. संजीव कुमार, अरुण कुमार कैहरबा व बीआरपी रोमिका ने निभाई। प्रिंसिपल देवेंद्र कुमार, वरिष्ठ प्राध्यापक महकार सिंह और बीआरपी अर्जुन सिंह ने आए अतिथियों का स्वागत किया।


आदर्श सांगवान ने अपने संबोधन में कहा कि अध्यापक शिक्षा प्रक्रिया का केन्द्रीय किरदार है। कुशल और समर्पित अध्यापक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के जरिए समाज सुधार के कार्य को आगे बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि अध्यापकों को निरंतर गतिशील, प्रयोगशील और नवाचारी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्ञान संचय करने से नष्ट हो जाता है और बांटने से बढ़ता है। एक अच्छा अध्यापक हमेशा अपने ज्ञान को अच्छे से अच्छे तरीके से बांटने के लिए तत्पर रहता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि कार्यशाला सफल रहेगी और अध्यापक अपने काम में निखार लेकर आएंगे। उन्होंने कहा कि जिन अध्यापकों ने ऑनलाइन माध्यम से निष्ठा के अपने मोड्यूल सफलतापूर्वक पूरे नहीं किए हैं, वे भी उसे पूरा करें।
जेंडर संवेदनी व समतापूर्ण माहौल निर्मित करना शिक्षा का उद्देश्य: अरुण
मास्टर ट्रेनर अरुण कुमार कैहरबा ने स्कूली प्रक्रियाओं में जेंडर समावेशन पर बोलते हुए कहा कि जेंडर एक सामाजिक संरचना है। जेंडर को लेकर समाज में अनेक प्रकार की रुढि़वादी सोच और भेदभाव मौजूद है। समाज की इस सोच को बदल कर जेंडर संवेदी और समतापूर्ण माहौल निर्मित करना शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि जेंडर समावेशन की अवधारणा इसी उद्देश्य की पूर्ति करती है। लेकिन यह कार्य इतना सरल नहीं है। उन्होंने कहा कि स्कूल में अनेक प्रकार की परंपराएं, परिपाटियां, रीति-रिवाज प्रचलित रहते हैं, जोकि जेंडर भेदभाव को ही आगे बढ़ाते हैं। स्कूल की सारी प्रक्रिया का बारीकी से अवलोकन और आत्मालोचन करने के साथ-साथ सकारात्मक दिशा में बदलाव लाने के लिए ही जेंडर समावेशन की अवधारणा को निष्ठा 2.0 का एक मोड्यूल बनाया गया है। अरुण कैहरबा ने कहा कि अध्यापक का व्यवहार और कार्य ऐसे होने चाहिएं, जिससे सभी विद्यार्थी बिना किसी भेदभाव के सवाल कर सकें और उतनी ही संवेदनशीलता के साथ उनके सवालों का जवाब दिया जाए।


मुखिया स्कूल की धुरी: संजीव
डाईट प्राध्यापक व प्रशिक्षक डॉ. संजीव कुमार ने स्कूल नेतृत्व की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वैसे तो हर अध्यापक अपनी कक्षा और विद्यार्थियों के समूह में नेतृत्वकारी भूमिका निभाता है। लेकिन स्कूल मुखिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। स्कूल का मुख्याध्यापक व प्रिंसिपल अध्यापकों और अन्य कर्मचारियों में तालमेल बनाता है। उनके कार्यों का आबंटन करता है और सामूहिक ऊर्जा के द्वारा स्कूल विकास की योजना को अमली जामा पहनाता है। उन्होंने कहा कि स्कूल व समुदाय के अन्य संसाधनों का स्कूल के विकास के लिए इस्तेमाल भी उसकी कार्यकुशलता पर निर्भर करता है।
व्यावसायिक शिक्षा से बेरोजगारी होगी कम: रोमिका
बीआरपी डॉ. रोमिका ने व्यावसायिक शिक्षा की अवधारणा, इतिहास, परिप्रेक्ष्य पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि समग्र शिक्षा के तहत व्यावसायिक शिक्षा का शिक्षा की मुख्यधारा के साथ समावेश किया गया है। एनएसक्यूएफ में विद्यार्थियों को अनेक प्रकार के कोर्स करवाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि व्यावायिक शिक्षा विद्यार्थियों में बेरोजगारी कम करने का मुख्य जरिया है। प्राध्यापिका रेणु, सुनीता, नरेन्द्र, सुरेश  सहित अनेक अध्यापकों ने विभिन्न विषयों के विमर्श में सक्रिय हिस्सेदारी की।
HARYANA PRADEEP 2-12-2021


Thursday, November 18, 2021

Environment Awareness railly by students of GHS KARERA KHURD


गली-गली में जाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे

नारों के साथ विद्यार्थियों ने निकाली पर्यावरण जागरूकता रैली

यमुनानगर, 18 नवंबर

गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय के विद्यार्थियों ने गांव में पराली और कचरा न जलाने का आह्वान करते हुए पर्यावरण जागरूकता रैली निकाली। गली-गली में जाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे, पराली नहीं जलाएंगे, साफ-सफाई लाएंगे आदि नारों के साथ गांव की गलियों में घूमते हुए विद्यार्थियों ने लोगों को जागरूक किया। रैली को मुख्याध्यापक विपिन कुमार ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली की अगुवाई हिंदी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा, विज्ञान अध्यापक विजय गर्ग, प्राथमिक पाठशाला के प्रभारी वीरेंद्र कुमार, प्राथमिक शिक्षक सुल्तान सिंह ने की। 


विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए मुख्याध्यापक विपिन कुमार ने कहा कि पर्यावरण को लेकर सामाजिक उदासीनता चिंता का कारण है। पराली एवं कचरा जलाने, उद्योगों और वाहनों के धुएं के कारण वातावरण में जहर घुलता जा रहा है। उन्होंने पर्यावरण जागरूकता लाने के लिए विद्यार्थियों का आह्वान किया।

हिंदी प्राध्यापक अरुण कैहरबा ने कहा कि हवा में हम सांस लेते हैं। जैसी हवा होगी, वैसा ही हमारा स्वास्थ्य होगा। वायु प्रदूषण आज की सबसे बड़ी समस्या है। हवा में जहरीले तत्व मिल जाने से हम अनेक प्रकार की बिमारियों के शिकार हो रहे हैं। इस समस्या को लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक भी सरकारों को निर्देश दे चुका है। उन्होंने कहा कि सामाजिक जागरूकता के बिना हम पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएंगे। इस मौके पर अध्यापिका सुखविन्द्र कौर, राजरानी, वंदना शर्मा, रवि कुमार, मंजू, राजेंद्र कुमार उपस्थित रहे।

नाटक टीम को किया सम्मानित-


राजकीय उच्च विद्यालय करेड़ा खुर्द की नाटक टीम ने खंड स्तर पर दो प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट स्थान हासिल किया। हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार व संस्कृत अध्यापिका रजनी शास्त्री के निर्देशन में तैयार किया गया नाटक- आओ नशे का नाश करें का मंचन खंड स्तरीय प्रतियोगिताओं में किया गया। कानूनी साक्षरता प्रतियोगिता की स्किट स्पर्धा में नाटक ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। वहीं जनसंख्या शिक्षा कार्यक्रम की खंड स्तरीय ड्रामा प्रतियोगिता में नाटक ने तीसरा स्थान लिया। स्कूल में आयोजित समारोह में विद्यार्थियों ने नाटक टीम का तालियों के साथ अभिनंदन किया। मुख्याध्यापक विपिन कुमार ने नाटक टीम में शामिल नौवीं कक्षा की छात्रा भावना, मीनाक्षी, मानसी, तृप्ति, महक व प्रीति को सम्मानित किया और उम्मीद जताई के स्कूल के विद्यार्थी इसी तरह से अपनी उपलब्धियों से स्कूल व अपने माता-पिता का नाम रोशन करेंगे।