पहलकदमियों से आता है बदलाव: अरुण कैहरबा
प्रतिभागी अध्यापकों ने दी प्रस्तुतियां
दो दिवसीय निष्ठा 2.0 प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न
अरुण कुमार कैहरबा
रादौर स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में दो दिवसीय निष्ठा 2.0 शंका समाधान अध्यापक प्रशिक्षण कार्यशाला प्रतिभागी प्राध्यापकों की प्रस्तुतियों व उत्साहवर्धक फीडबैक के साथ सम्पन्न हुई। कार्यशाला में डाइट तेजली के प्राध्यापक डॉ. संजीव कुमार, हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा और बीआरपी रोमिका ने प्रशिक्षक के रूप में विभिन्न विषयों पर प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया और प्रतिभागियों के सवालों पर चर्चा की। कार्यशाला में बीआरपी अर्जुन सिंह, प्रधानाचार्य देवेन्द्र कुमार व प्राध्यापक महकार सिंह का सहयोग रहा।
प्रशिक्षण कार्यशाला के दूसरे दिन की शुरूआत प्राध्यापक अरुण कैहरबा के नेतृत्व में जैंडर समानता पर सामूहिक रूप से गाए गए चेतना गीत के साथ हुई। उसके बाद उन्होंने विद्यालय शिक्षा में पहलकदमियां विषय पर बोलते हुए कहा कि पढऩे-पढ़ाने की प्रक्रिया में अध्यापकों व स्कूल मुखिया के सामने अनेक प्रकार की चुनौतियां आ खड़ी होती हैं। उन चुनौतियों का सामना करने के लिए कुछ नया कार्य या प्रयोग करने की जरूरत पड़ती है। सुविचारित व योजनाबद्ध ढ़ंग से समय लगाकर उठाई गई पहलकदमियों के अनेक बाद परिणाम विफलता के रूप में भी मिल सकते हैं। लेकिन लगातार किए गए प्रयास अध्यापक को अनुभवों से लैस करते हैं। उन्होंने कहा कि शैक्षिक प्रक्रियाओं में जरूरी नहीं है कि पूर्ण सफलता हाथ आए। आंशिक सफलता भी उत्सावर्धन करती है। उन्होंने कहा कि पहलकदमियों से बदलाव आता है। पहलकदमियों से विद्यार्थियों के सीखने के स्तर में सुधार होता है। कईं विद्यार्थियों को इस तरह से दिशा मिलती है कि वे लगातार आगे बढ़ जाते हैं। इस विषय पर चर्चा करते हुए सुनीता, रेणु, नरेन्द्र, अजय कुमार व अंजु सहित अनेक प्राध्यापकों ने स्कूल में किए गए अपने कार्यों के प्रसंग सुनाए। अरुण कैहरबा ने कहा कि अध्यापक का कार्य संवेदनशीलता और कुशलता से भरा हुआ होता है। उन्होंने सरकार व विभाग द्वारा शिक्षा में गुणवत्ता, समता व समावेश के लिए की गई पहलकदमियों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि 1976 में किए गए संविधान संशोधन में शिक्षा को राज्य सूची से निकाल कर समवर्ती सूची में डाल दिया गया। उसके बाद से केन्द्र सरकार भी शिक्षा में सुधार के लिए अनेक प्रकार के कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि 2018 में सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा योजना और अध्यापक शिक्षा को शामिल करके समग्र शिक्षा नाम की समावेशी योजना की शुरू गई। समग्र शिक्षा के तहत समावेशी शिक्षा, पढ़े भारत, बढ़े भारत, खेले भारत, खिले भारत सहित अनेक प्रकार की योजनाएं आती हैं। विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए स्कूलों में अनेक प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
हर वर्ष स्कूल में पुस्तकालय, खेल कूद, यूथ क्लब, इको क्लब आदि के लिए अनुदान दिए जाते हैं। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में पिछड़े हुए खंडों में छठी से बारहवीं कक्षा की छात्राओं के लिए आवासीय सुविधाओं से युक्त शिक्षा सुविधाओं की व्यवस्था की गई है।
खिलौने समृद्ध सांस्कृतिक प्रक्रिया का हिस्सा: रोमिका
बीआरपी डॉ. रोमिका ने खिलौना आधारित शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कितने ही विषयों का शिक्षण खिलौनों के माध्यम से हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे अवसरों को अध्यापकों को छोडऩा नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि खिलौने बनाए जा सकते हैं और बने-बनाए खिलौनों का शिक्षण-अधिगम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। कक्षा में अध्यापकों ने कागज की अनेक प्रकार की चीजें बनाई और उनका विभिन्न विषयों के शिक्षण में प्रयोग करने के लिए नवाचार खोजे। डॉ. रोमिका ने कहा कि भारत में खिलौनों की एक परंपरा रही है। सांझी का निर्माण जहां एक कलात्मक कार्य है, वहीं देश की सांस्कृतिक परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। विद्यार्थियों में विभिन्न विषयों का शिक्षण करते हुए देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रयोग किया जा सकता है।
आकलन शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का अभिन्न अंग: संजीव
प्रशिक्षक डॉ. संजीव कुमार ने स्कूल आधारित आकलन विषय पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि आकलन शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने प्रतिभागी अध्यापकों को कार्यशाला में लिए गए अनुभवों को स्कूल में प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। समापन अवसर पर मुकेश रोहिला, नरेन्द्र, सुरेश कुमार व गुरदीप सहित अनेक अध्यापकों ने अपने विचार रखते हुए प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
अरुण कुमार कैहरबा
हिन्दी प्राध्यापक
मो.नं.-9466220145
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