आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण है सुभाष बोस का योगदान: अरुण
स्वतंत्रता आंदोलन व नेताजी सुभाष चन्द्र बोस विषय पर संगोष्ठी आयेाजित
इन्द्री, 23 जनवरी
गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम के दौरान स्वतंत्रता आंदोलन और नेता जी सुभाष चन्द्र बोस विषय पर आयोजित संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में कार्यकारी प्रधानाचार्य अरुण कुमार कैहरबा ने संबोधित किया। इतिहास प्राध्यापक मुकेश खंडवाल ने नेताजी के योगदान को दर्शाने वाली गोपालप्रसाद व्यास की कविता- खूनी हस्ताक्षर विद्यार्थियों को सुनाई। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी प्राध्यापक सुभाष चंद ने की।
कार्यकारी प्रधानाचार्य अरुण कुमार कैहरबा ने अपने संबोधन में कहा कि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस अपने विचारों व कार्यों की बदौलत एक विश्व नेता की पहचान बनाते हैं। उन्होंने अच्छी शिक्षा प्राप्त की। आईसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण करके अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। लेकिन अंग्रेजी शासन के अधीन नौकरी करने से मना कर दिया। आजादी की लड़ाई में कूद गए। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुने गए और देश के शीर्ष नेतृत्व में अपनी जगह बनाई। लेकिन आजादी के लिए कांग्रेस पार्टी के शांतिपूर्ण तौर-तरीकों से असहमति के कारण उन्होंने अपनी अलग राह बनाई। स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण उन्हें 1941 में जेल की सजा हुई। वहां पर उन्होंने भूख हड़ताल की। इससे परेशान होकर अंग्रेजी सरकार ने उन्हें कलकत्ता स्थित उनके आवास पर नज़रबंद कर लिया। बाहर पहरा बिठा दिया। अरुण कैहरबा ने कहा कि अंग्रेजी सरकार के पहरे को चकमा देकर वे वहां से निकल भागे। पेशावर के रास्ते से अफगानिस्तान पहुंचे। देश की आजादी के लिए नेताजी ने आजाद हिन्द फौज का गठन किया। जय हिंद, दिल्ली चलो व तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा के नारे दिए। सुभाष चन्द्र बोस के प्रयास यदि सफल हो जाते तो देश पहले ही आजाद हो जाता। उन्होंने कहा कि सुभाष चन्द्र बोस के आजादी के लिए प्रयासों के साथ-साथ यह जानना भी महत्पूर्ण है कि वे कैसे आजाद भारत की कल्पना करते थे। वे सबको शिक्षा, सबको सेहत, समानता, स्वतंत्रता और न्याय पर आधारित ऐसा देश बनाना चाहते थे, जिसमें गरीबी, भुखमरी, अनपढ़ता और असमानता ना हो।
प्राध्यापक डॉ. सुभाष चन्द्र ने कहा कि हमें आजादी के संघर्षों में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले नेताओं की जीवनियां पढऩी चाहिए। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के व्यक्तित्व में ऐसी बहुत सी विशेषताएं हैं, जो आज भी हमें रास्ता दिखाती हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास, राजनीति व विभिन्न भाषाओं का साहित्य ऐसे प्रेरक व्यक्तित्वों के योगदान से भरा हुआ है। प्राध्यापक मुकेश खंडवाल द्वारा सुनाई गई गोपालप्रसाद व्यास की कविता की कुछ पंक्तियां काबिलेगौर हैं- उस दिन लोगों ने सही-सही, खून की कीमत पहचानी थी। जिस दिन सुभाष ने बर्मा में मांगी उनसे कुरबानी थी। उन्होंने कहा कि अपने देश के प्रति प्रेम होना बहुत जरूरी है। इस मौके पर प्राध्यापक सतीश कांबोज, सतीश राणा, राजेश कुमार, सलिन्द्र कुमार, सन्नी चहल, दिनेश कुमार, सीमा गोयल, संदीप कुमार, डॉ. महावीर, विवेक कुमार, विनोद कुमार, राजेश सैनी, नरेश मीत, चन्द्रवती, स्नेहलता उपस्थित रहे।
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JAGMARG 24-1-2023 |
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