शिक्षा से आसान होगी बालिका समानता की राह: अरुण कैहरबा
रा.मॉ.सं.व.मा. विद्यालय ब्याना में मनाया बालिका दिवस
इन्द्री, 24 जनवरी
गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया। हिन्दी अध्यापक नरेश मीत के निर्देशन में छात्राओं ने कवि प्रदीप द्वारा लिखा गीत- ऐ मेरे वतन के लोगो, जरा आंख में भर लो पानी प्रस्तुत किया। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कार्यकारी प्रधानाचार्य अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि बालिका दिवस देश के इतिहास का ऐतिहासिक दिन है। यही वह दिन है, जिस 1966 में इंदिरा गांधी ने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था। उन्होंने कहा कि यह दिन लड़कियों की समानता व सशक्तिकरण को समर्पित करते हुए महिला दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरूआत की गई। उन्होंने कहा कि लड़कियों की शिक्षा और समानता के प्रयासों की परंपरा पुरानी है। 1848 में महाराष्ट्र के पुणे में महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों का पहला स्कूल खोला था। तब लड़कियों को स्कूल भेजने के प्रति समाज में अधिक जागरूकता नहीं थी। समाज में सामंती और पुरूषवादी सोच रखने वाले लोगों ने तब लड़कियों की शिक्षा का विरोध किया था। सावित्रीबाई फुले को अनेक प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। स्कूल में पढ़ाने और लोगों को लड़कियों को पढ़ाने के लिए जागरूक करने के लिए जाते हुए उन पर लोग गंदगी फेंकते थे। उन्हें गालियां भी दी जाती थी। बहुत से लोग सिर्फ इसलिए देश की पहली शिक्षिका को अच्छा नहीं मानते थे, क्योंकि वह लड़कियों की शिक्षा की बात करती थी और उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए प्रयास कर रही थी। अरुण कैहरबा ने कहा कि अनेक समाज सुधारकों, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों और इंदिरा गांधी जैसी अनेक शख्सियतों के प्रयासों से आज लड़कियां शिक्षा के मामले में निरंतर आगे बढ़ रही हैं। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जिसमें लड़कियों ने अपनी उपलब्धि दर्ज ना की हो। लेकिन समाज में आज भी भेदभाव और समानता बरकरार है। शहरों की अनेक बस्तियों व गांवों में आज भी बहुत सी लड़कियों को पढऩे के मौके नहीं मिलते हैं। दहेज और घूंघट के कारण आज भी महिलाओं को दोयम दर्जे का जीवन जीना पड़ रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि समाज में अग्रणी स्थान अर्जित करने के लिए शिक्षा बहुत बड़ा औजार है। शिक्षा को हथियार बनाकर हमें निरंतर आगे बढऩा चाहिए। ना केवल अपने जीवन को आगे ले जाने के लिए प्रयास करने चाहिए, बल्कि समाज की खराबियों की भी पहचान करनी चाहिए। इस मौके पर अतिथि के रूप में आई प्रध्यापिका सोनिया मुंजाल, प्राध्यापक सुभाष चन्द, संजीव कुमार, सतीश कांबोज, सतीश राणा, बलविन्द्र सिंह, मुकेश खंडवाल, सन्नी चहल, अनिल कुमार, दिनेश कुमार, गोपाल दास, विनोद कुमार, विवेक कुमार, नरेश कुमार, चन्द्रवती, निशा कांबोज उपस्थित रहे। DAINIK JAGMARG 25-1-2023 HARYANA PRADEEP 25-1-2023
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