Saturday, October 1, 2022

SEMINAR ON MAHATMA GANDHI, HIS STRUGGLE & PHILOSOPHY IN GMSSSS BIANA (KARNAL)

गांधी जी द्वारा दिखाए सत्याग्रह के रास्ते पर चलने की आज ज्यादा जरूरत: दत्त

‘महात्मा गांधी, उनके संघर्ष व विचार’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित

इन्द्री, 1 अक्तूबर

गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में गांधी जयंती के उपलक्ष्य में ‘महात्मा गांधी, उनके संघर्ष व विचार’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में एचआईआरडी नीलोखेड़ी में स्रोत व्यक्ति नारायण दत्त ने मुख्य वक्ता के रूप में हिस्सा लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल प्रभारी अरुण कुमार कैहरबा ने की और संचालन हिन्दी अध्यापक नरेश कुमार मीत ने किया।


नारायण दत्त ने अपने वक्तव्य में कहा कि मोहनदास कर्मचंद गांधी एक सम्पन्न परिवार से संबंध रखते थे। यही कारण है कि उन्होंने ब्रिटेन में जाकर शिक्षा ग्रहण की। वहां से आने के बाद भारत में बैरिस्टर के रूप में अपने कैरियर की शुरूआत की। यहीं से उन्हें दक्षिण अफ्रीका में एक केस के सिलसिले में जाने का मौका मिला। वहां उन्हें यात्रा के दौरान ट्रेन की प्रथम श्रेणी टिकट लेने के बावजूद भेदभाव व अपमान झेलना पड़ा। इस घटना ने उनके जीवन की दिशा बदल दी और उन्होंने वहां के लोगों को साम्राज्यवादी अंग्रेजी शासन से मुक्ति के लिए बीड़ा उठा लिया। उसके बाद भारत आकर उन्होंने सबसे पहले चंपारण में नील की खेती करने वाले किसानों को शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए सफल आंदोलन किया। यहीं से मोहनदास के महात्मा गांधी बनने की शुरूआत हो गई। उन्होंने देश के अलग-अलग स्थानों पर जाकर लोगों के जीवन का बारीकी से अध्ययन किया, जिसने उनके मन पर गहरा प्रभाव डाला। दक्षिण भारत के एक स्थान पर जाकर उन्होंने देखा कि किसान एक तौलिए जैसे कपड़े से अपना तन ढांप कर गुजारा करते हैं। यहां से उन्हें सिर्फ धोती पहनने और चादर लेने की प्रेरणा मिली। उन्होंने लोगों में आत्मसम्मान पैदा करने और आत्मनिर्भर बनने के लिए चरखे को हथियार बनाया। सत्य और अहिंसा के जिस रास्ते पर चलकर गांधी जी ने अंग्रेजी शासन की नींव हिला दी थी, आज पूरे विश्व को उस रास्ते पर चलने की और ज्यादा जरूरत है। 


भारत भ्रमण के मामले में गांधी जी मिसाल हैं: अरुण

स्कूल प्रभारी अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि गांधी जी ने देश-दुनिया की यात्राएं की। भारत-भ्रमण के मामले में वे हमारे नेताओं के लिए उदाहरण हैं। जो लोग अनेक प्रकार की तकलीफें झेल रहे थे, उन लोगों से चर्चाएं और अध्ययन करके सीखा। गांधी जी ने आजादी की लड़ाई को जनांदोलन का रूप दिया। गांधी जी लोक परंपराओं से सीखते हैं। बचपन में ही हरीश्चन्द्र व श्रवण कुमार की कहानियों से प्रेरित होते हैं। नरसी भगत के भजन- वैष्णव जन तो तेने कहिए, जो पीर पराई जाणे रे, से वे प्रेरित होते हैं। गांधी जी महावीर जैन की अहिंसा और महात्मा बुद्ध की करुण को अपनाते हैं।  


गांधी का साहस और त्याग काबीले तारीफ: नरेश

नरेश कुमार मीत ने कहा कि जो लोग आज गांधी जी की आलोचना करते हैं, वास्तव में वे लोग गांधी को जानते ही नहीं हैं। कमजोर से दिखाई देने वाले अंधनंगे गांधी जी वास्तव में साहस और त्याग की एक सशक्त मिसाल हैं। अंग्रेजी प्राध्यापक राजेश सैनी ने मुख्य अतिथि का आभार व्यक्त किया।  

स्कूल के प्राध्यापक सतीश कांबोज, सतीश राणा, बलराज कांबोज, राजेश कुमार, दिनेश कुमार, सीमा गोयल, निशा कांबोज, गोपाल दास, मुकेश खंडवाल, प्रीति आहुजा व रणदीप ने मुख्य वक्ता को स्कूल की तरफ से स्मृति चिह्न भेंट किया।   



JAGRAN 2-10-2022

JAGMARG 2-10-2022


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