Monday, October 10, 2022

SEMINAR ON LIFE STRUGGLE & THOUGHT OF SAVITRIBAI FULE IN GMSSSS BIANA (KARNAL)

 सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों की शिक्षा का रास्ता तैयार किया: अरुण 

कहा: शिक्षा से ही बनेगा बेहतर समाज

सावित्रीबाई फुले के जीवन-संघर्ष व विचार विषय पर संगोष्ठी आयोजित

इन्द्री, 10 अक्तूबर 

भारत में शिक्षा के प्रसार, समानता, न्याय व लड़कियों की समानता के विचार को स्थापित करने में सावित्रीबाई फुले ने अहम भूमिका निभाई है। पुणे के भिड़ेवाड़ा में 1जनवरी, 1848 को देश का पहला लड़कियों का स्कूल खोल कर लड़कियों के शिक्षा के अधिकारों का बिगुल बजाया था। तत्कालीन पिछड़े और सामंती मूल्यों पर आधारित समाज में ऐसा करना नए लोकतांत्रिक मूल्यों वाला समाज बनाने की तरफ एक कदम था। ये शब्द गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के कार्यकारी प्रधानाचार्य अरुण कुमार कैहरबा ने कहे। वे स्कूल में देश की पहली शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के जीवन-संघर्ष और विचार विषय पर संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। सावित्रीबाई फुले सदन द्वारा गणित प्राध्यापिका सीमा गोयल के मार्गदर्शन में आयोजित संगोष्ठी का संचालन सदन की कप्तान हिमांशी व तनुश्री ने किया। 


अरुण कैहरबा ने कहा कि सावित्रीबाई फुले के जीवन काल में हमारा समाज अनपढ़ता व गैरबराबरी के अंधेरे में था। लड़कियों को तो पढऩे का अधिकार ही नहीं था। छोटी उम्र में शादियां हो जाती थी। विधवाओं का जीवन नर्क के समान था। केवल शिक्षा के माध्यम से ही समाज को आगे बढ़ाया जा सकता था। समाज सुधाक ज्योतिबा फुले के साथ सावित्रीबाई का विवाह नौ वर्ष में हो गया था। शादी के बाद ज्योतिबा ने अपनी जीवन संगिनी को पढ़ाया। शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स करने वाली सावित्रीबाई फुले पहली शिक्षिका बनी। लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोलना और लड़कियों की शिक्षा की बात करना उस समय आज की तरह से इतना आसान नहीं था। यह बहुत ही जोखिम भरा कार्य था। लड़कियों के प्रति पुरातनपंथी विचार रखने वाले लोग उनके स्कूल जाकर शिक्षा प्राप्त करने के अधिकार के पूर्णत: विरूद्ध थे। तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए सावित्रीबाई फुले ने अपने पति के साथ मिलकर एक के बाद एक स्कूल खोले। विधवाओं के केश मुंडन व ज्यादतियों के विरूद्ध कार्य किए। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले पहली शिक्षिका, लड़कियों का पहला स्कूल खोलने वाली, महिलाओं के लिए पहली साक्षरता कक्षा लगाने वाली, पहला प्रसूति गृह खोलने वाली महान महिला है। प्लेग से मरते लोगों की जान बचाते हुए सावित्रीबाई ने शहादत का रास्ता चुना। ज्योतिबा फुले व सावित्रीबाई के जीवन और विचारों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।

गणित  प्राध्यापिका सीमा गोयल व हिन्दी अध्यापक नरेश कुमार मीत ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा व सुधार का नया रास्ता तैयार किया। नया रास्ता तैयार करने में काफी मुश्किलें आती हैं। लेकिन जब रास्त तैयार हो जाता है तो लोगों को बहुत सुविधा होती है। सावित्रीबाई फुले व अन्य समाज सुधारकों ने शिक्षा का जो अधिकार हमें दिलाया है, हमें इस अधिकार का खूब इस्तेमाल करना चाहिए।

विद्यार्थियों ने भाषण, कविता, गीत, पेंटिंग में लिया हिस्सा-

कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। सातवीं कक्षा की मुस्कान, कनिका व सफिया ने सावित्रीबाई फुले के जीवन व शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डाला। हिमांशी ने अपने गीत गाया। सिमरण व महक ने कविता पढ़ी। नौवीं कक्षा की छात्रा तनुश्री, 11वीं कक्षा की छात्रा वंशिका, छठी की छात्रा अंशिका व नमन ने लड़कियों की शिक्षा व समानता पर आधारित पेंटिंग बनाई। सावित्रीबाई फुले सदन के सप्ताह की शुरूआत पर पहले दिन मानवी, आशीष, कनिका, महक, वंशिका, हिमांशी व तनुश्री ने विभिन्न प्रकार की ड्यूटियां दी।










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