Friday, March 4, 2022

Debate & Essay writing competition organised in GMSSSS Biana by Welfare Deptt. Karnal

 मुस्कान और तन्नु ने वाद विवाद प्रतियोगिता में पाया पहला स्थान

निबंध लेखन में पायल रही प्रथम व ज्योति द्वितीय

अस्पृश्यता उन्मूलन पर प्रतियोगिताएं आयोजित

जिला कल्याण अधिकारी कृष्णा ने विजेताओं को किया सम्मानित


इन्द्री, 4 मार्च 

गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में जिला कल्याण विभाग की तरफ से अस्पृश्यता उन्मूलन विषय पर लेखन एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिला कल्याण अधिकारी कृष्णा ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल प्रधानाचार्य बलवान सिंह ने की और संयोजन हिन्दी प्रध्यापक अरुण कुमार कैहरबा व हिन्दी अध्यापक नरेश कुमार मीत ने किया। निर्णायक मंडल की भूमिका प्राध्यापक सुदर्शन लाल, मुकेश खंडवाल और नरेश मीत ने निभाई। 


वाद-विवाद प्रतियोगिता में 12वीं कक्षा की मुस्कान और तन्नु ने पहला स्थान प्राप्त किया। नौवीं कक्षा की कनिष्का और निकिता ने दूसरा और उदित व लक्ष्य ने तीसरा स्थान पाया। निबंध लेखन में 12वीं कक्षा की पायल ने पहला, नौवीं कक्षा की ज्योति ने दूसरा और रजविन्द्र कौर ने तीसरा स्थान पाया। विजेता विद्यार्थियों को जिला कल्याण अधिकारी ने नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।


जिला कल्याण अधिकारी कृष्णा ने अपने संबोधन में कहा कि अस्पृश्यता या छूआछूत जाति-व्यवस्था का घृणित रूप है। विद्यार्थियों को अपने समाज की कुरीतियों को पहचान करके जन-जागरण का कार्य करना है। उन्होंने विद्यार्थियों को मन लगाकर पढ़ाई करने और अच्छा नागरिक बनने का आह्वान करते हुए कहा कि मानवता ही सबसे बड़ी है। हम सबको मानवता के संदेश को अपनाना है और मानवता की सेवा करनी है।
प्रधानाचार्य बलवान सिंह ने आए अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह की गतिविधियों में हिस्सा लेने पर विद्यार्थियों को बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता है। पाठ्य सहगामी गतिविधियों में हिस्सा लेने वाले विद्यार्थियों की प्रतिभा का सर्वांगीण विकास होता है। 

कार्यक्रम की शुरूआत में प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि हमारा समाज बुरी तरह से जातियों में बंटा हुआ है। केले के पत्ते के समान एक जाति से ही अनेक उपजातियां निकलती हैं। जातियों के बीच में चलने वाले भेदभाव व ऊंच-नीच को समझ कर हमें इन विकृतियों और संकीर्णताओं को दूर करने की कोशिश करनी है। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता व सद्भाव के बिना समाज आगे नहीं बढ़ सकता। महात्मा ज्योतिबा फुले, देश की पहली शिक्षिका सावित्री बाई फुले, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर व अनेक समाज सुधारकों ने जाति की समाप्ति एवं समानता व न्याय पर आधारित समाज निर्माण का सपना देखा है।





मुकेश खंडवाल, नरेश मीत व सुदर्शन लाल ने अपनी रचनाओं के जरिये विद्यार्थियों को आगे बढऩे का संदेश दिया।

इस मौके पर कल्याण विभाग की एसए कविता, लिपिक पवन कुमार, ईएसएचएम मधु, डीपीई संजीव कांबोज, प्राध्यापक सतीश कुमार,  बलराज कांबोज, सुनील कुमारी, ज्योति रानी, राजेश सैनी, यशपाल मैहला, मुकेश शर्मा, गोपाल दास, सीमा गोयल, ईशा मुंजाल, रीना नरवाल, निर्मल सिंह, मनीषा, निशा कांबोज, सोनिया खोखर, प्रीति आहुजा, प्रवीण कुमारी,  लिपिक आशीष कांबोज सहित स्टाफ सदस्य और विद्यार्थी मौजूद रहे।











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