पानी प्रकृति की अनमोल देन: अरुण कैहरबा
ब्याना के राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल में जल दिवस पर सेमिनार आयोजित
इन्द्री, 22 मार्च
गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में विश्व जल दिवस पर सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल प्रभारी बलवान सिंह ने की और संचालन अर्थशास्त्र प्राध्यापक बलराज कांबोज व डीपीई संजीव कांबोज ने की।
हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने अपने वक्तव्य में कहा कि पानी प्रकृति की अनमोल देन है। पानी धरती की गहराई और बरसात के माध्यम से हमें मिलता है। धरती से हम पानी लेते तो जा रहे हैं, लेकिन धरती में फिर से पानी जाने के रास्ते हमने बंद कर दिए हैं। भूमि रिचार्ज करने के रास्ते पर हमने पोलिथीन की परतें बिछा दी हैं। उन्होंने कहा कि पोलिथीन पर्यावरण और पानी का सबसे बड़ा दुश्मन बनकर उभरा है। पानी के चक्र को पूरा होने देने के लिए हमें पोलिथीन का प्रयोग कम करना चाहिए। अरुण कैहरबा ने कहा कि कुछ साल पहले की तुलना में आज धरती का पानी सूखता जा रहा है। पानी से लबालब रहने वाली भूमि पानी से खाली होती जा रही है, जोकि एक बड़े संकट की निशानी है। उन्होंने कहा कि जल और जंगल का गहरा रिश्ता है। जंगल होंगे तो बरसात ज्यादा होगी। लेकिन मनुष्य अपने स्वार्थ के कारण जंगलों का काटता जा रहा है, जिससे बरसात का पानी भी अनियमित होता जा रहा है।
पानी व्यर्थ बहाने से बढ़ सकता है संकट: बलराज कांबोज
प्राध्यापक बलराज कांबोज ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हम पानी पाने के लिए टूंटी चलाते हैं। लेकिन जरूरत के अनुसार पानी लेने के बाद टूंटी को बंद करना भूल जाते हैं। पानी व्यर्थ बहाते जाने के कारण पानी का संकट बढ़ता जा रहा है। आज देश के अनेक हिस्सों में पानी का अकाल पड़ चुका है। उन्होंने कहा कि करनाल जिला के जिस हिस्से में हम रहते हैं, वहां अभी प्रचूर मात्रा में पानी है। लेकिन यह लंबे समय तक नहीं रहेगा। इसके लिए हमें पानी को बचाना होगा।
इस मौके पर प्राध्यापक सुदर्शन लाल, यशपाल, गोपाल दास, ईशा मुंजाल, नरेश कुमार मीत, सीमा गोयल, सतीश कांबोज सहित सभी अध्यापक मौजूद रहे।
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