सावित्रीबाई फुले ने वंचितों को दिया शिक्षा का अधिकार: प्रो. सुभाष
फुले के जीवन संघर्ष व योगदान पर सेमिनार का आयोजन
इन्द्री, 10 मार्च
स्थानीय रविदास मंदिर के सभागार में सत्यशोधक फाऊडेशन की ओर से देश की पहली शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में सेमिनार का आयोजित किया गया। कार्यक्रम में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. सुभाष चन्द्र ने मुख्य वक्ता पर बोलते हुए सावित्रीबाई फुले के जीवन-संघर्ष व योगदान पर विस्तृत व्याख्यान दिया। गुरु रविदास सभा के प्रधान बलराज सिंह, सैनी सभा इन्द्री के प्रधान रणबीर सिंह, उपप्रधान रामकुमार व कैप्टन ईशम सिंह ने मुख्य वक्ता का जोरदार स्वागत किया। कार्यक्रम का संयोजन हिन्दी अध्यापक अरुण कैहरबा व नरेश मीत ने किया। आयोजन में शहीद सोमनाथ स्मारक समिति, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ, अतिथि अध्यापक संघ, सैनी सभा इन्द्री व हरियाली युवा संगठन ने सहयोग किया।
प्रो. सुभाष चन्द्र ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने भारत में महिलाओं, लड़कियों व समाज के वंचित तबके के बच्चों के लिए शिक्षा की जोत जगाई। उन्होंने जब लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला तो यह काम इतना आसान नहीं था। उस स्कूल में जिन 40 विद्यार्थियों ने शिक्षा ग्रहण की, उन्होंने अपने संस्मरणों के जरिये सावित्रीबाई फुले के योगदान को उभारा है। उस समय की परिस्थितियों में यह काम इतना आसान नहीं था। लड़कियों के लिए शिक्षा का क्षेत्र वर्जित था। जो मां-बाप अपने बच्चों को स्कूल में पढऩे के लिए भेजते थे, वे उन्हें बोरियों में लपेट कर लेकर आते थे। सावित्रीबाई फुले पर उस समय लड़कियों को पढ़ाने के लिए अनेक प्रकार की यातनाएं दी। उनके ऊपर गोबर व कीचड़ फेंका जाता था। लेकिन सावित्रीबाई फुले अपने पथ से डिगी नहीं। उन्होंने कहा कि आज हमें जो शिक्षा व अधिकार मिले हैं, वे उनके प्रयासों की ही देन हैं। उन्होंने कहा कि वर्ण व जाति व्यवस्था से जकड़े समाज की बेडिय़ों को ढ़ीला करने के लिए सावित्रीबाई फुले ने जो प्रयास किए, उन्हीं के कारण उन्हें भारत माता, ज्ञान ज्योति व क्रांति ज्योति कहा जाता है। प्रो. सुभाष चन्द्र ने कहा कि हमें महात्मा ज्योतिबा फुले व सावित्रीबाई फुले द्वारा दिखाए हुए रास्ते पर आगे बढऩा है तो रास्ता इतना आसान नहीं है, लेकिन यह बहुत आकर्षक रास्ता है।
मंच संचालन करते हुए प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि महापुरूषों, समाज सुधारकों और स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का तरीका उनके विचारों व कार्यों को याद करना ही है। उनके विचारों से हमारा परिचय होगा तभी उनके कार्यों को आगे बढ़ाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि अपने समाज को बेहतर बनाने के लिए हमें अध्ययन और विचार-विमर्श की संस्कृति को विकसित करना होगा।
प्राध्यापक डॉ. कुलदीप सिंह ने कहा कि आज के समाज में अंधविश्वास, अज्ञानता और कुरीतियों को हराने के लिए सावित्रीबाई फुले के विचार बेहद महत्वपूर्ण हैं। कार्यक्रम संयोजक नरेश मीत ने आए हुए अतिथियों व प्रतिभागियों का आभार जताते हुए कहा कि सत्यशोधक फाउंडेशन द्वारा आने वाले दिनों भी इस तरह के सेमिनार आयोजित करने की योजना है।
इस मौके पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग में प्राध्यापक विकास साल्याण, साहित्यकार दयाल चंद जास्ट, अध्यापक सुभाष लांबा, जगदीश चन्द्र, राजेश सैनी, सबरेज अहमद, मान सिंह चंदेल, महिन्द्र खेड़ा, सुनील अलाहर, विक्रम मुखाली, संजीव कुमार, सुनील बुटानखेड़ी, ज्ञानचंद खोखर, सुनील परोचा, रंगकर्मी नरेश नारायण, हरियाली युवा संगठन प्रदेशाध्यक्ष सूरजभान बुटानखेड़ी, सूरज बिड़लान, माया राम सैनी मौजूद रहे।
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