गांव की शिक्षित बेटी काजल ने किया ध्वजारोहण
महात्मा गांधी, डॉ. आंबेडकर व भगत सिंह के विचारों से बढ़ सकेंगे आगे
यमुनानगर जिला के गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस समारोह में एमकॉम कर रही लडक़ी काजल ने ध्वाजारोहण किया। समारोह में दसवीं कक्षा में प्रथम स्थान पाने वाले सुहेल कुमार, द्वितीय हेमंत कुमार व तृतीय साक्षी को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता इएसएचएम विष्णु दत्त ने की और संचालन हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने किया। समारोह में मास्क पहन कर और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की पालना की गई।काजल ने अपने संबोधन में कहा कि देश की आजादी के लिए अनेक वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है। आज हमें उनके सपनों और विचारों को ध्यान में रखते हुए आगे बढऩा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा से ही देश व समाज आगे बढ़ सकता है।
अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में तीन मुख्य धाराएं मुख्य रूप से शिरकत कर रही थी। महात्मा गांधी जी की अगुवाई में अहिंसा और सत्याग्रह को हथियार की तरह से इस्तेमाल करते हुए व्यापक आंदोलन चलाया गया, जिसमें देश के लाखों लोगों ने हिस्सा लिया। दूसरा बड़ा आंदोलन शहीद भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खान, राजगुरू, सुखदेव, उधम सिंह, करतार सिंह सराभा सहित युवाओं द्वारा चलाया जा रहा है क्रांतिकारी आंदोलन था। कितने ही क्रांतिकारियों ने देश को आजाद करवाने के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया। वे एक ऐसे भारत का निर्माण करना चाहता थे, जिसमें सभी को समान माना जाएगा, सबको रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार व सम्मान मिलेगा। भगत सिंह स्पष्ट रूप से कहा था कि हमें ऐसी आजादी चाहिए, जिसमें सबसे कमजोर के हक में व्यवस्था का परिवर्तन हो। गोरे अंग्रेजों के स्थान पर काले अंगे्रजों के हाथ में सत्ता देने से आजादी बेमानी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि तीसरा बड़ा आंदोलन डॉ. भीमराव आंबेडकर की अगुवाई में था, जिसमें सामाजिक न्याय और समानता की आवाज को बुलंद किया जा रहा था। आजादी की दलदल में धंसे रहने से हम आपस में ही बंटे रहेंगे। ऐसे में साम्राज्यवादी ताकत से हम जीत नहीं सकते। उन्होंने समाज में जाति, धर्म व लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव के खिलाफ लोगों को जागरूक किया और उनके अधिकारों की आवाज को बुलंद किया।
अरुण कैहरबा ने कहा कि आज तीनों धाराओं और इनकी शख्सियतों को परस्पर विरोधी प्रचार किया जाता है। जबकि वैचारिक मतभेद होने के बावजूद उनके मकसद एक जैसे थे। आज महात्मा गांधी, आंबेडकर और भगत सिंह के के विचारों की समानता को समझने के लिए उनके विचारों और किताबों का अध्ययन करने की जरूरत है।
समाजसेवी रामनाथ ने अपने संबोधन में 1857 में मंगल पांडे सहित अनेक लोगों की शहादत को याद किया। उन्होंने कहा कि आज साम्प्रदायिक व जातीय आधार पर सद्भाव कायम करना बेहद जरूरी है। यदि हम आपस में ही लड़ते रहे तो कहीं के नहीं रहेंगे।
संस्कृत अध्यापिका रजनी ने देश के प्राचीन इतिहास और संस्कृत साहित्य में राष्ट्रीय गौरव के उदाहरण दिए। उन्होंने जय भारत के जोरदार नारों के साथ उत्साह का संचार किया।
ईएसएचएम विष्णु दत्त ने कहा कि स्कूल में अध्यापकों की कमी के बावजूद दसवीं कक्षा का पिछले कईं सालों की तुलना में शानदार परिणाम आया है, जिसका श्रेय अध्यापकों की मेहनत को जाता है। उन्होंने अभिभावकों से अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिल करवाने का आह्वान किया।
इस मौके पर विज्ञान अध्यापक ओमप्रकाश, पंजाबी अध्यापिका सुखिन्द्र कौर, मुख्य शिक्षिका उषा, प्राथमिक शिक्षक वीरेंद्र कुमार, वंदना शर्मा, किशोरी लाल, लिपिक मंजू, रवि, राजेंद्र, पाला राम, तुषार, एसएमसी सदस्य बेबी, रजनी, सुलोचना, मीनू व मधु उपस्थित रहे।
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