बेहतर समाज का स्वप्र बुनती है कविता: अरुण कैहरबा
हिन्दी कविता पर केन्द्रित प्रश्रोत्तरी का आयोजन
जयशंकर प्रसाद टीम ने पहला और तुलसीदास टीम ने पाया दूसरा स्थान
करनाल, 11 अक्तूबर
गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में हिन्दी कविता पर आधारित प्रश्रोत्तरी का आयोजन किया गया। हिन्दी साहित्य के प्रति रूचि पैदा करने के उद्देश्य से आयोजित प्रश्रोत्तरी का संयोजन एवं संचालन हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने किया। हिन्दी कवियों के नाम से बनी विद्यार्थियों की टीमों ने विभिन्न प्रश्रों के उत्तर उत्साह के साथ दिए। प्रश्रोत्तरी में जयशंकर प्रसाद टीम ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए पहला स्थान प्राप्त किया। टीम में साक्षी, मलकीत व आर्यन शामिल रहे। विद्यार्थी मनप्रीत, प्रिया व राधिका वाली टीम तुलसीदास ने दूसरा स्थान पाया और नेहा, आरती व भावना वाली टीम तुसलीदास ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। कार्यक्रम संयोजक अरुण, प्राध्यापक विनोद भारतीय व हिन्दी अध्यापक नरेश मीत ने विद्यार्थियों को पुरस्कार प्रदान करके सम्मानित किए।
अरुण कुमार कैहरबा ने बताया कि प्रश्रोत्तरी दसवीं कक्षा के सिलेबस में संकलित कवि सूरदास, तुलसीदास, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, जयशंकर प्रसाद, नागार्जुन व मंगलेश डबराल व उनकी कविताओं पर केन्द्रित की गई थी। उन्होंने कहा कि समाज के हित से सराबोर रसपूर्ण एवं विचारपूर्ण रचनाओं को ही साहित्य कहते हैं। कविता में रस का तत्व मुख्य होता है। साहित्य के सभी कालों में भक्तिकाल को स्वर्ण युग की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि उस समय के कवि बिना किसी दबाव के मुक्त भाव के साथ कविताएं लिखते थे। जबकि इससे पूर्व आदिकाल व रीति काल के अधिकतर कवि राजाश्रय में दरबारी कविता लिखते थे। उन्होंने कहा कि आधुनिक काल में गद्य की विभिन्न विधाओं का उद्भव और विकास हुआ। साथ ही कविता में तरह-तरह के प्रयोग किए गए। आधुनिक काल की कविता नई चेतना से लैस है। यदि कविता किसी को खुश करने या अपना प्रभाव डाल कर स्वार्थ सिद्ध करने के लिए लिखी जाएगी तो वह अच्छी रचना नहीं हो सकती। अच्छी रचना वही है कि जोकि समाज और समाज के सबसे कमजोर लोगों के पक्ष में खड़ी होती है। जो कविता भेदभाव, अन्याय, अत्याचार, शत्रुता को समाप्त करके बेहतर समाज के निर्माण का पक्ष लेती है, वही साहित्य लंबे समय तक जीवित रहता है।
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