Wednesday, September 18, 2024

‘बाल संगम’ दीवार पत्रिका रचनात्मक लेखन के प्रति बच्चों में जगा रही उमंग

 भाषा शिक्षण का क्रियात्मक, रचनात्मक व सशक्त माध्यम है दीवार पत्रिका: अरुण कैहरबा

विद्यालय में निकल रही ‘बाल संगम’ दीवार पत्रिका

पत्रिका रचनात्मक लेखन के प्रति बच्चों में जगा रही उमंग

इन्द्री, 18 सितंबर
गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में विद्यार्थियों में लेखन कौशल का विकास करने के लिए बाल संगम दीवार पत्रिका निकाली जा रही है। हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा और हिन्दी अध्यापक नरेश मीत के नेतृत्व व मार्गदर्शन में विद्यार्थियों के समूह द्वारा पत्रिका तैयार की जाती है। बाद में पत्रिका को स्कूल के सभी विद्यार्थियों के पढऩे के लिए प्रदर्शित किया जाता है। भाषा व रचनात्मक लेखन सीखने का यह बहुत ही सशक्त मंच बन गया है। पत्रिका की कलात्मक साज-सज्जा करते हुए विद्यार्थियों में कला दृष्टि और सौंदर्य सृष्टि की भावना पैदा होती है।
अरुण कुमार कैहरबा ने बताया कि आम तौर पर हिन्दी भाषा को पढऩे और लिखने के विषय के रूप में देखा जाता है। पारंपरिक रूप से विद्यार्थियों को किताबों के जरिये पढ़ाया जाता है। गद्य, पद्य, व्याकरण और रचनात्मक लेखन शिक्षण के लिए इस्तेमाल होने वाले तरीकों से विद्यार्थियों में एक ऊब सी पैदा होती है और विद्यार्थियों का भाषा सीखने के लिए ज्यादा मोह नहीं रहता है। हालांकि लेखकों व कवियों की एक से एक काव्यात्मक एवं गद्यात्मक रचनाएं रोचकता से भरपूर होती हैं। ऐसे में भाषा शिक्षण को क्रियात्मकता के साथ जोडऩा जरूरी है। भित्ति पत्रिका भाषा सीखने और सिखाने को क्रियात्मकता के साथ जोडऩे का सशक्त माध्यम है। जो विद्यार्थी इस काम में सक्रिय रूप से हिस्सा लेते हैं, वे पत्रिका को तैयार करने के लिए पहले पढ़ते हैं। फिर विषय-वस्तु को अपने शब्दों में लिखने की कोशिश करते हैं। उसके बाद उसे पत्रिका की जरूरत के अनुसार उसे निर्धारित आकार के कागज पर उतारते हैं। वर्तनी की त्रुटियों पर उनके साथ चर्चा की जाती है। वर्तनी की अशुद्धियों को दूर किया जाता है। पत्रिका की साज-सज्जा पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है। यह कार्य करते हुए विद्यार्थियों में अनेक गुणों व कौशलों का विकास होता है।

अरुण कैहरबा व नरेश मीत ने बताया कि स्कूल की बाल संगम पत्रिका का पहला अंक स्वतंत्रता आंदोलन विशेषांक था। इसके बाल संपादक सिमरण, दीपिका, वर्षा, कविता, खुशी, साक्षी, आरती, प्रिया व मनप्रीत थे। इसमें माखन लाल चतुर्वेदी, नाना साहब की पुत्री देवी मैना पर लिखने वाली लेखिका चपला देवी, शहीद करतार सिंह सराभा, भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, उधम सिंह, महात्मा गांधी, प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, अशफाक उल्ला खांद, रामप्रसाद बिस्मिल आदि अनेक क्रांतिकारियों के चित्र, रचनाएं, प्रेरक प्रसंग और प्रेरक पंक्तियों को शामिल किया गया। इस अंक का विमोचन प्रख्यात साहित्यकार डॉ. अशोक भाटिया ने किया था। दूसरा अंक कन्या शिक्षा विशेषांक रहा, जिसमें पहली शिक्षिका सावित्रीबाई फुले, फातिमा शेख, पहली चिकित्सक आनंदीबाई जोशी, मदर टैरेसा, लक्ष्मी सहगल, सुचेता कृपलानी, कल्पना चावला, मलाला युसूफजई सहित अनेक महिलाओं के चित्र, जीवन परिचय, कविताओं आदि को संकलित किया गया। अंक के छात्र संपादक थे-तनु, गुरमीत, संजना, रीतू, निशा, सृष्टि, सिमरण, तृषा, साक्षी, आरती, मनप्रीत, मानसी व साक्षी। इस अंक का विमोचन देस हरियाणा पत्रिका के संपादक डॉ. सुभाष सैनी व डॉ. विकास साल्याण ने किया था। तीसरा अंक हिन्दी भाषा विशेषांक रहा, जोकि आधुनिक हिन्दी साहित्य के जनक भारतेंदु हरिश्चन्द्र पर केन्द्रित रहा। इसके छात्र संपादक मनप्रीत, निशिता, सिया, अनम, हिमांशी, मानसी, कशिश, रूही व रीतिका रहे। अंक का विमोचन स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. सुभाष भारती, प्राध्यापक सलिन्द्र मंढ़ाण, बलविन्द्र सिंह, सीमा गोयल, अध्यापक रमन सैनी व अश्वनी कुमार ने किया। स्कूल में वृक्ष विशेषांक तैयार हो चुका है। जयंती के लिए शहीद भगत सिंह विशेषांक की तैयारियां शुरू हो गई हैं। विद्यार्थी शहीद भगत सिंह के जीवन, संघर्षों और विचारों के बारे में अध्ययन कर रहे हैं। अरुण कुमार कैहरबा ने बताया कि दीवार पत्रिका रचनात्मकता से भरपूर कार्य है। इससे विद्यार्थियों में भाषा  व लिखना सीखने के प्रति रूचि जागृत हो रही है।



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