बाढ़ की विभीषिका पर विद्यार्थियों ने लिखे रिपोर्ताज
करनाल जिला के गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में नौवीं कक्षा के विद्यार्थियों में बाढ़ की विभीषिका विषय पर रिपोर्ताज लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा के नेतृत्व व मार्गदर्शन में आयोजित प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। विद्यार्थियों ने क्षेत्र में कुछ दिन पूर्व आई बाढ़ का आंखों देखा और भोगा हुआ यथार्थ अपने रिपोर्ताज में व्यक्त किया। अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि कुछ दिन पूर्व ही विद्यार्थियों ने फणीश्वरनाथ रेणु का रिपोर्ताज- इस जल प्रलय में पढ़ा था। रेणु की इस रचना में लेखक ने बाढ़ की विभीषिका को चित्रित करने के अलावा बाढ़ बचाव के उपाय भी बताए थे। उसके बाद यमुना में बाढ़ आ गई। क्षेत्र के कईं गांव-ब्याना, रंदौली, नगली, कमालपुर गडरियान, चांद समंद सहित अनेक गांवों में बाढ़ के मंजर पैदा हो गए। इस रचना ने विद्यार्थियों को अपनी व आस-पास की समस्याओं को देखने की दृष्टि प्रदान की और साथ ही बाढ़ को लेकर जागरूक भी किया। रचना के अनुभवों को विद्यार्थियों ने बाढ़ में महसूस किया। ऐसे में विद्यार्थियों को रिपोर्ताज लिखने के लिए प्रेरित किया गया। प्रतियोगिता के आयोजन के बाद विद्यार्थियों के बीच चपला देवी के रिपोर्ताज-नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया-पढ़ा गया। रिपोर्ताज के जरिये आजादी की लड़ाई में नन्हीं बच्ची मैना की शहादत व योगदान के साथ ही रिपोर्ताज विधा की रूप-संरचना पर चर्चा की गई। प्रतियोगिता में छात्रा शीतल के रिपोर्ताज ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। मूल रूप से छात्रा द्वारा लिखी गई रचना इस प्रकार है-
बाढ़ ने लोगों को परेशान व उदास कर दिया
लेखिका-शीतल, कक्षा नौवीं
मेरा गांव रंदौली है। मेरे गांव में इस बार बाढ़ आई। बाढ़ की समस्या से जहां एक तरफ कईं लोग बुरी तरह परेशान और उदास हो गए। वहीं कुद लोग पानी आने की वजह से खुश दिखाई दे रहे थे। सभी लोग पानी को देख रहे थे। कुछ लोगों ने तो बाढ़ के पानी की वीडियो बनाकर जगह-जगह भेजा। कुछ लोग अपने जानकारों को भी बाढ़ का पानी वीडियो कॉल के माध्यम से जानकारों को दिखाया। जिन लोगों को पानी आने की खबर पहले पता चल गई, वे लोग खाने का सामान इक_ा करने में लग गए तथा अपने अनाज व बहुत से सामान को सुरक्षित स्थान पर रखने लगे।
बाढ़ आई तो कईं लोगों के घरों में पानी घुस गया था। वे भी अपने सामान को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने लगे। कुछ लोग रिश्तेदारों के घर पहुंच गए थे। जिन लोगों के घर पशु थे तो पशुओं को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। पशुओं को भी सूचना भूसा डालना मजबूरी हो गया। बाढ़ में कईं लोगों के बिटोड़े और भूस के कूप गिए गए और पानी में बह गए। हमारे गांव में एक जोहड़ में पहले पानी भरा और उसके बाद पानी घरों में आने लगा। लोग चाहते थे कि पानी जल्द ही चला जाए। गांव के लोग पानी आने से एक-दूसरे की मदद भी कर रहे थे। कुछ लोगों ने सडक़ पर गड्ढ़ा बनाकर पानी को निकाला। हमारे घर में भी पानी आया था। मेरे माता-पिता ने सारा सामान सुरक्षित ठिकानों पर रखा। हमने घर के बाहर आंगन में गड्ढ़े किए ताकि पानी कमरों में ना घुस जाए। पानी आने से हमने घर का सामान ऊंची स्लेपों पर पहुंचाया। ऐसे संकट के समय सबसे अच्छी बात यही थी कि लोग एक-दूसरे की मदद कर रहे थे। कुछ लोग पीडि़त लोगों को भोजन, पानी व अन्य सामान दे रहे थे।DAINIK HARYANA PRADEEP 4-8-2023
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