मिलजुल कर रहना सिखाती है कला: अंजु सरदाना
दस दिवसीय जिला स्तरीय नाट्य कार्यशाला का समापन समारोह विद्यार्थियों ने यमराज की अदालत नाटक के माध्यम से सडक़ हादसों व सामाजिक समस्याओं को जीवंत किया
पाठ्य पुस्तक की रचनाओं-बस की यात्रा, कामचोर व अकबरी लोटा का मंचन किया
बीईओ इन्द्री ने मुख्य अतिथि के रूप में प्रमाण-पत्र सौंपेकरनाल के पीएम श्री स्कूल में जिला स्तरीय नाट्य कार्यशाला के समापन पर यमराज की अदालत नाटक के मंचन का दृश्य।
करनाल, 29 अगस्त
करनाल स्थित पीएम श्री राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा विभाग द्वारा भारतीय रंगमंच विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के सहयोग से आयोजित की गई जिला स्तरीय दस दिवसीय नाट्य कार्यशाला का रंगारंग समापन हुआ। समापन समारोह में कार्यशाला के रिसोर्स पर्सन रंगकर्मी कपिल मेहरवाल और राजेश कुमार के निर्देशन में नन्हें बच्चों ने नाटक यमराज की अदालत और अपनी हिन्दी की पाठ्यपुस्तकों में संकलित प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई का व्यंग्य बस की यात्रा, इस्मत चुगतई की कहानी कामचोर, अन्नपूर्णानंद वर्मा की कहानी अकबरी लोटा का शानदार मंचन किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई खंड शिक्षा अधिकारी इन्द्री अंजू सरदाना ने विद्यार्थियों, अध्यापकों और रिसोर्स पर्सन को प्रमाण-पत्र वितरित किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य मोहन लाल ने की। संयोजन कार्यशाला के नोडल अधिकारी पंकज कुमार और संचालन हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने किया।
मुख्य अतिथि के रूप में बीईओ अंजू सरदाना विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र भेंट करती हुई। |
BEO INDRI ANJU SARDANA |
बीईओ अंजू सरदाना ने कार्यशाला के प्रतिभागी विद्यार्थियों को उनकी शानदार प्रस्तुतियों के लिए शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि कार्यशाला का मकसद बच्चों को केवल पर्फोमर बनाना नहीं है। कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों में छिपी हुई प्रतिभा को निखारना और उसे मंच प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि शिक्षा में कला का बहुत अधिक महत्व है। आज शिक्षा में बस्ते का बढ़ता बोझ एक बड़ी समस्या है। अधिक से अधिक अंक हासिल करने की होड़ लगी है। ऐसे में कला अच्छा नागरिक बनने में बच्चों की मदद करती है। उन्होंने कहा कि नाट्य कार्यशाला ने बच्चों को मिलकर रहना और सीखना सिखाया है। उन्होंने कहा कि मिलजुल काम करते हुए बच्चों ने अपने आप को अभिव्यक्त करना सीखा है। सौहार्दपूर्ण समाज के निर्माण में नाट्य कला अहम योगदान देती है।
कार्यशाला के रिसोर्स पर्सन कपिल मेहरवाल, राजेश कुमार व हिन्दी प्राध्यापक अरुण कैहरबा को बीईओ इन्द्री अंजू सरदाना प्रमाण-पत्र प्रदान करती हुई।
प्रधानाचार्य मोहन लाल और नोडल अधिकारी पंकज कुमार ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए बताया कि कार्यशाला में सात विद्यालयों के करीब पचास विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया है। अपने-अपने स्कूलों में भी बच्चे नाटक के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। हिन्दी प्राध्यापक व रंगकर्मी अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि शिक्षा में रंगमंच आज एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसके जरिये बच्चों की रचनात्मकता को पंख लगाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में रंगमंच का अहम योगदान है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में बच्चों द्वारा प्रस्तुत की गई रचनाएं दस दिनों के दौरान खेल-खेल में तैयार कर ली गई। यह सक्रिय होकर करके सीखने का एक जीवंत उदाहरण है।
हरिशंकर परसाई की रचना-बस की यात्रा के मंचन का दृश्य। |
दस दिवसीय कार्यशाला के समापन पर विद्यार्थियों का उत्साह देखते ही बनता था। यमराज की अदालत नाटक के मंचन में विद्यार्थियों ने बढ़ती सडक़ दुर्घटनाओं, नशा खोरी, आपसी विवादों की समस्या को पुरजोर ढ़ंग से उठाया। यमराज इस समस्या को लेकर बेहद परेशान हैं कि नरक लोक से उनके पास पहुंचे मामले में लोग घायल अवस्था में उनके यहां तक पहुंचते हैं। अदालत में वे सबसे पहले जिसके मामले की सुनवाई करते हैं वह शराबी है। और अदालत में ही वह हुड़दंग कर देता है। अदालत में उठने वाले अनेक प्रकार के मामले हमारे समाज की अनेक प्रकार की समस्याओं की विकरालता को जीवंत करते हैं। रिसोर्स पर्सन कपिल मेहरवाल व राजेश कुमार ने बताया कि कार्यशाला में बच्चों की ज्ञानेन्द्रियों को संवेदनशील बनाने की अनेक रचनात्मक गतिविधियां करवाई गई हैं, जोकि बच्चों के सीखने की प्रक्रिया को तेज करेंगी। इसके अलावा विद्यार्थियों के सिलेबस से ही कुछ रचनाओं को लेकर उन पर गहन चर्चा करते हुए उन्हें तैयार किया गया। इस मौके पर अध्यापिका सरिता पंवार, सीमा, उषा रानी, नीलम, सुषमा देवी सहित अनेक अध्यापक मौजूद रहे।
रिसोर्स पर्सन कपिल मेहरवाल व राजेश कुमार को स्मृति चिह्न के रूप में गमला भेंट करते पंकज कुमार व अरुण कैहरबा |
हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा को सम्मानित करती बीईओ इन्द्री अंजु सरदाना |
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