जंगल जीवन का आधार, करो ना पेड़ों पर प्रहार: अरुण कैहरबा
वन दिवस एवं कविता दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
अध्यापकों ने किया काव्य पाठ
इन्द्री, 21 मार्च
गांव ब्याना स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में विश्व वानिकी दिवस और विश्व कविता दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कार्यकारी प्रधानाचार्य अरुण कुमार कैहरबा ने की। समारोह में प्राध्यापक संजीव कुमार, मुकेश खंडवाल, विनोद कुमार, राजेश सैनी व नरेश मीत ने अपनी कविताएं सुनाई और संदेश दिया। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कार्यकारी प्रधानाचार्य अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि वन जैव विविधता के मुख्य संरक्षक हैं। वनों में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां और जीव-जंतु पाए जाते हैं। जंगल पर्यावरण संरक्षण के आधार हैं। यदि वन नहीं होंगे तो हम प्रकृति की अमूल्य धरोहर से वंचित हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि आज हमारा विकास प्रकृति के साथ तालमेल बिठा कर नहीं चल रहा है। विकास की दौड़ में जंगलों पर कुल्हाड़ा चलाया जा रहा है, जिससे अनेक प्रकार की समस्याएं पैदा हो रही हैं। उन्होंने कहा कि जंगलों में रहने वाली नील गाय या रोज खेतों में घुस कर फसलों को तबाह कर रहे हैं। इसी तरह से जंगलों के कटाव के कारण बंदर हमारी बस्तियों में घुस कर परेशानी का कारण बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न गांवों व कस्बों में आने वाले बंदर के झुंडों के कारण लोगों को अनेक प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। समस्या का समाधान तभी हो सकता है, जब हम जंगलों का संरक्षण करें। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और उनका संरक्षण करें। प्रकृति के साथ जीवंत रिश्ता स्थापित करें। उन्होंने अपनी स्वरचित कविता सुनाते हुए कहा- जंगल जीवन का आधार, करो ना पेड़ों पर प्रहार। इनकी करना तुम रखवाली, हवा चलेगी बड़ी मतवाली, जंगल भर देंगे भंडार।
हिन्दी अध्यापक नरेश कुमार मीत ने आयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध की कविता एक बूंद सुनाई और कहा कि कविता हमारे मन-मस्तिष्क को संस्कारित करती हैं। कविता की बात जन मानस को झकझोर डालते हैं। प्राध्यापक एवं कवि मुकेश खंडवाल ने अपनी कविता सुनाते हुए कहा- इक आवारा बादल हूं, मस्त गगन में रहता हूं, आए हवा तो झूम उठूं मैं, फिर धरा पर रहता हूं। प्राध्यापक संजीव कुमार ने अपनी कविता की पंक्तियों में सूर्य की अभिव्यक्ति करते सुनाया-क्यों जलाता हूं, क्यों जलाता हूं, अपनी व्यथा तुमको सुनाता हूं। तुम्हारे पूर्वज करते मेरा ध्यान थे और सुबह उठकर करते मुझे प्रणाम थे। प्राध्यापक विनोद कुमार ने कहानी के जरिये अपने व्यवहार में सहनशीलता का गुण शामिल करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि हमारा व्यवहार ऐसा होना चाहिए, जिससे औरों को भी शीतलता मिले। प्राध्यापक राजेश सैनी ने अंग्रेजी भाषा में अपनी अभिव्यक्ति करते हुए कहा कि कविता सुनना और सुनाना हम सभी के लिए बहुत उर्जावान समय है। उन्होंने कहा कि अध्यापक और विद्यार्थी इसी तरह से अध्ययन से जुड़ कर संवेदनशीलता का माहौल पैदा करेंगे। प्राध्यापक बलराज ने अपनी काव्य-पंक्तियों में योग का संदेश दिया। इस मौके पर प्राध्यापक बलविन्द्र सिंह, सतीश कांबोज, सुभाष चंद, राजेश कुमार, विवेक कुमार, सन्नी चहल, गोपाल दास, महाबीर सिंह, सीमा गोयल, निशा कांबोज, चन्द्रवती, विनीत सैनी, अशीष कांबोज, कुलदीप सिंह उपस्थित रहे।
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