परिचर्चा रिपोर्ट
सुंदर परिवेश में होगी अच्छी शिक्षा
स्कूल सौंदर्यीकरण एवं फूलों की मुहिम पर परिचर्चा का आयोजन
फूलों की मुहिम में स्कूल सुंदरता में दिया योगदान
अरुण कुमार कैहरबा
करनाल जिला के गांव रायतखाना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक पाठशाला में आपसी संस्था के सौजन्य से स्कूल सौंदर्यीकरण एवं फूलों की मुहिम विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा की अध्यक्षता पाठशाला के प्रभारी देवेन्द्र सिंह देवा ने आए अतिथियों को फूलों की पौध वितरित की। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने किया। परिचर्चा में जींद जिला के दनौदा कलां स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला में प्राथमिक शिक्षक राज कुमार जांगड़ा, करनाल खंड के गांव नलवी पार स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला के मुख्य शिक्षक सुभाष लांबा, फूलों की मुहिम जिला यमुनानगर की संयोजक हरविन्द्र कौर ढि़ल्लों ने विशेष रूप से शिरकत की और अपने विचार एवं अनुभव सांझा किए। फ्लावर मैन डॉ. रामजी जयमल के नेतृत्व में चलाई जा रही फूलों की मुहिम का रायतखाना का राजकीय स्कूल एक अहम केन्द्र है।
फूलों से सरकारी स्कूल बन रहे आनंद घर: अरुण कैहरबा
विषय की शुरूआत करते हुए फूलों की मुहिम से जुड़े गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉ.सं.व.मा.विद्यालय ब्याना के कार्यकारी प्रधानाचार्य व हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि शिक्षा की प्रक्रिया में शिक्षार्थी व शिक्षक के अलावा परिवेश एक महत्वपूर्ण घटक होता है। स्कूल का वातावरण जितना अधिक सुंदर होगा, उतनी अच्छी शिक्षा होगी। उन्होंने कहा कि फूलों की मुहिम स्कूलों को सुंदर बनाने में अहम योगदान दे रही है। इससे सरकारी स्कूल आनंद घर के रूप में विकसित हो रहे हैं। इस कार्य में अध्यापक नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहे हैं।
फूलों का परिवेश करता भावनात्मक विकास: राज जांगड़ा
प्राथमिक शिक्षक राज कुमार जांगड़ा ने कहा कि फूलों से सुसज्जित पाठशालाओं के साथ विद्यार्थियों का भावनात्मक रिश्ता स्थापित होता है। उन्होंने अपने स्कूल के अनुभव सांझा करते हुए कहा कि उनके स्कूल के बच्चे कहीं भी फूल देखकर तोड़ते नहीं हैं। वे फूलों को लगाने की प्रक्रिया में खुद शामिल होते हैं, इसलिए उन्हें पौधों में लगे हुए फूलों की अहमियत ज्यादा पता होती है। उन्होंने कहा कि फूलों का परिवेश बच्चों के भावनात्मक विकास में भी सहायक होता है।
फूलों की क्यारी जटिल पाठों का बनाती आसान: सुभाष लांबा
मुख्य शिक्षक सुभाष लांबा ने कहा कि फूल हमें हंसना सिखाते हैं। फूल मुस्कुराना और खुश रहना सिखाते हैं। स्कूलों में अध्यापकों का बच्चों के साथ फूल के पौधे लगाना किताबों के जटिल पाठों को आसन तरीके से सिखाना भी है। जो पाठ किताबों में बहुत कठिन नजर आते हैं, वे फूलों की क्यारी में आकर सहज और सरल बन जाते हैं। उन्होंने छपरियों गांव की राजकीय प्राथमिक पाठशाला में स्कूल सौंदर्यीकरण के अनुभव सांझा करते हुए बताया कि कितने ही अधिकारी उनकी पाठशाला में आकर जाना भूल जाते थे।
फूलों और बच्चे सबसे अधिक संभावनाशील: हरविन्द्र ढि़ल्लों
यमुनानगर से आई फूलों की मुहिम की जिला संयोजक हरविन्द्र कौर ढि़ल्लौं ने फूलों की मुहिम के अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा कि पर्यावरण की स्थिति इस समय बहुत भयावह है। फूलों के परिवेश में शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चे ही नई उम्मीद जगाते हैं। उन्होंने कहा कि फूल और बच्चे आज के वातावरण को और अधिक आकर्षक बना सकते हैं।
बच्चों को सीखने का आनंद मिल रहा: देवेन्द्र देवा
पाठशाला प्रभारी देवेन्द्र सिंह देवा ने कहा कि उनकी पाठशाला फ्लावर मैन के रूप में विख्यात डॉ. रामजी जयमल द्वारा लगाई गई करीब 35 किस्मों के फूलों की पौध का अहम केन्द्र है। यहां पर पौध लेने के लिए अनेक स्थानों से सरकारी स्कूल के अध्यापक पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि स्कूल की सुंदरता व अध्यापकों की मेहनत का परिणाम है कि उनके स्कूल में बच्चों को सीखने का आनंद मिलता है। उन्होंने कहा कि उनके स्कूल में लगाई गई पौध को कोई भी प्राप्त कर सकता है।
करनाल जिला के 13 स्थानों मिल सकती है फूलों की पौध-
परिचर्चा के दौरान अरुण कैहरबा व देवेन्द्र सिंह देवा ने जानकारी देते हुए बताया कि फ्लावर मैन डॉ. रामजी जयमल द्वारा करनाल जिला में 13 स्थानों पर पौध लगाई गई है। उन्होंने कहा कि इन्द्री खंड के गांव रायतखाना, ब्याना, नन्हेड़ा, गढ़ीबीरबल, गोरगढ़, चांदसमंद व घरौंडा के गांव अराईंपुरा के राजकीय स्कूल, जिला जेल करनाल, धमनहेरी के लेक व्यू फार्म, रंदौली, डेरा सिकलीगर, सैय्यद छपरा स्थानों से पौध प्राप्त की जा सकती है।
अरुण कुमार कैहरबा
हिन्दी प्राध्यापक
वार्ड नं.-4, रामलीला मैदान,
इन्द्री, जिला-करनाल, हरियाणा।
DAINIK BHASKAR 25-11-2022 |
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