Saturday, December 7, 2019

पढ़े भारत बढ़े भारत


जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियों ने किया प्रतिभा प्रदर्शन

समग्र शिक्षा के चेयरमैन एवं एडीसी केके भादू के निर्देशानुसार डाइट तेजली में पढे भारत बढे भारत कार्यक्रम के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई, जिसमें जिला भर के स्कूलों से छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा के खण्ड स्तरीय प्रतियोगिता के विजेताओं ने हिस्सेदारी की। विद्यार्थियों की प्रतिभा ने दर्शकों व निर्णायक मंडल को हैरान कर दिया। प्रतियोगिता के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में समग्र शिक्षा के जिला परियोजना संयोजक एवं डाइट प्राचार्य सुरेश कुमार ने षिरकत की और विजेताओं को प्रमाण-पत्र एवं मैडल सौंपे। कार्यक्रम में अभियान के एपीसी सुभाष चंद ने विशेष रूप से शिरकत की और मंच संचालन डाइट में हिन्दी प्राध्यापक तरसेम चंद ने किया।
हिन्दी वर्तनी प्रतियोगिता के छठी कक्षा वर्ग में राजकीय उच्च विद्यालय रसूलपुर की सपना ने पहला, गन्दापुरा राजकीय स्कूल की महक ने दूसरा और घिलौरा राजकीय विद्यालय की निकिता ने तीसरा स्थान हासिल किया। सातवीं कक्षा वर्ग में मुंडाखेडा राजकीय स्कूल की अमीशा, भटौली की षीतल और बकाना स्कूल के मोनिंद सिंह ने क्रमषः पहला, दूसरा व तीसरा स्थान हासिल किया। आठवीं कक्षा वर्ग में बकाना की सीमा देवी प्रथम, पीपलीवाला के माजिद खान ने द्वितीय और छछरौली स्कूल की तन्वी तृतीय स्थान पर रही।
वाद-विवाद प्रतियोगिता के छठी कक्षा वर्ग में बैंडी स्कूल के अनिकेत ने पहला, मलिकपुर खादर की आमना ने दूसरा और ढलौर की डोली ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। सातवीं कक्षा में गढी बंजारा की रेखा ने पहला, रसूलपुर की कशिश ने दूसरा और बैंडी की कृति ने तीसरा स्थान पाया। आठवीं कक्षा में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कैंप के सौरव ने पहला, मलिकपुर खादर की सादिया ने दूसरा और सरस्वती नगर की राशि ने तीसरा स्थान हासिल किया।

अंग्रेजी स्पैल-बी प्रतियोगिता के छठी कक्षा वर्ग में छछरौली की सिमरण ने पहला, बिलासपुर मॉडल स्कूल की शिवांशी ने दूसरा कान्हडी कलां के लक्षित ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। सातवीं कक्षा में अंटावा की ज्योति, बिलासपुरा मॉडल स्कूल की प्रिया और कान्हडी कलां के तुशार क्रमश: पहला, दूसरा और तीसरा स्थान पाया। आठवीं कक्षा में बंभौल के मनसबजीत ने पहला, मंधार की कशिश ने दूसरा और ससौली की तानिया ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
हिन्दी कहानी लेखन प्रतियोगिता के छठी कक्षा वर्ग में राजकीय उच्च विद्यालय मसाना रांगडान की सोनम ने पहला, सब्जी मंडी जगाधरी की स्नेहा ने दूसरा और कलावड की रूखसार ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। सातवीं कक्षा में मसाना रांगडान की अंजलि, जागधौली की खुशी और रसूलपुर के हर्श ने पहले तीनों स्थान पर कब्जा किया। आठवीं कक्षा वर्ग में सारण की शिवानी, बिलासपुर की खुशी, अलाहर की कुमकुम ने क्रमश: पहला, दूसरा और तीसरा स्थान पाया।
अंग्रेजी प्रश्श्नोत्तरी प्रतियोगिता के छठी कक्षा वर्ग में मॉडल बिलासपुर के धीरज, रसूलपुर की जसमीत कौर और खेडा कलां की अनु ने क्रमशः पहले सर्वोच्च तीनों स्थानों पर कब्जा किया। सातवीं कक्षा वर्ग में मॉडल बिलासपुर की रीतिका, मसाना रांगडान की प्रियंका, कैंप स्कूल की ज्योति ने पहला, दूसरा व तीसरा स्थान प्राप्त किया। आठवीं कक्षा वर्ग में मंधार की कशिश ने पहला, मानकपुर के विकास ने दूसरा और बिलासपुर मॉडल स्कूल की भावना ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
विभिन्न स्पर्धाओं में निर्णायक मंडल की भूमिका डॉ उषा नागी, अरुण कुमार कैहरबा, तरसेम चंद, दुश्यंत चहल, रचना कलडा, उमेष प्रताप, संतोष रानी, सविता रानी, पल्लवी, पूनम कपिला, राम नरेश, बनारसी दास, शशि गुप्ता, बीर सिंह, राजेष कुमार ने निभाई।
विद्यार्थियों को संदेश देते हुए डीपीसी सुरेश कुमार ने कहा कि विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक, खेल और सृजनात्मक गतिविधियां षिक्षा का महत्वपूर्ण अंग हैं। इनके बिना विद्यार्थियों की संपूर्ण प्रतिभा के विकास की कल्पना करना बेमानी है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को षुभकामनाएं देते हुए बताया कि जिला स्तर पर प्रथम स्थान पाने वाले 15 विद्यार्थी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे। उन्होंने अध्यापकों को उनकी तैयारी करवाने का संदेश दिया। एपीसी सुभाष चंद ने कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले निर्णायक मंडल, सभी बच्चों व अध्यापकों का आभार व्यक्त किया।


Friday, December 6, 2019

डॉ. आंबेडकर ने शिक्षा को बनाया मुक्ति का हथियार


परिनिर्वाण दिवस पर आंबेडकर के जीवन व विचारों पर संगोष्ठी आयोजित

गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में संविधान निर्माता डॉ भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर 'डॉ. आंबेडकर का जीवन और विचार' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि डॉ. आंबेडकर को अपने जीवन में अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ा। दलित जाति में जन्मा होने के कारण विद्यालय में पढ़ते हुए उन्हें छूआछूत झेलनी पड़ी। विद्यालय के घड़े से वे पानी नहीं पी पाते थे। इस भेदभाव के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने शिक्षा को मुक्ति का हथियार बनाया। शिक्षा के जरिए वे महान विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, लेखक व समाज सुधारक बने। 
अरुण कैहरबा ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने महात्मा बुद्ध, संत कबीर और संत रविदास जी के विचारों को अपनाया और आगे बढ़ाया। आजादी की लड़ाई में उन्होंने जातिवादी भेदभाव को समाप्त करने के लिए अनेक आंदोलन चलाए। आजादी के बाद दुनिया के विभिन्न देशों के संविधानों और भारत की परिस्थितियों के अध्ययन पर आधारित देश को एक बेहतरीन संविधान दिया, जो समानता, स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता जैसे मूल्यों पर आधारित है। वे देश के पहले कानून व न्याय मंत्री बने। उन्होंने विद्यार्थियों से डा. आंबेडकर का नारा- शिक्षित बनो, संगठित बनो और संघर्ष करो के नारे से भी परिचित करवाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ईएचएम विष्णु दत्त ने डॉ. आंबेडकर के विचारों को अपनाने पर बल दिया। इस मौके पर अंग्रेजी प्राध्यापक संदीप कुमार, अध्यापिका सुखिन्दर कौर, रजनी, उषा, वीरेंद्र सिंह, किशोरी लाल मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन: गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों को संबोधित करते हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा।

Thursday, November 28, 2019

कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों के जरिए बांधा समां


राज्य स्तरीय कल्चरल फेस्ट-2019 दूसरा दिन

नीलोखेडी स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में चल रहे राज्य स्तरीय सांस्कृतिक महोत्सव के दूसरे दिन प्रतिभागी कलाकारों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और अपने कला के जरिये समां बांध दिया। महोत्सव के दूसरे दिन के कार्यक्रमों का शुभारंभ समग्र शिक्षा अभियान की जिला परियोजन संयोजक सपना जैन ने दीप प्रज्वलित करके किया। शुभारंभ के मौके पर फेस्ट के नोडल अधिकारी एवं खण्ड शिक्षा अधिकारी धर्मपाल चौधरी, उप जिला शिक्षा अधिकारी परमजीत चहल मौजूद रहे।
इस अवसर पर कलाकारों को संबोधित करते हुए नोडल अधिकारी धर्मपाल चौधरी ने कहा कि कला जीवन को साधने और सुंदर बनाने का जरिया है। प्रकृति जन्म से ही मनुष्य को कला प्रेमी बनाती है, लेकिन सामाजिक दायरों में फंस कर मनुशष्य कला से दूर होता जाता है। उन्होंने कहा कि कला से जुडे लोग जाति, लिंग, धर्म, क्षेत्र व भाषा की संकीर्णताओं में नहीं फंसते और लोगों को भी मन से आजाद प्रवृति का बनाते हैं। उन्होंने कहा कि कला कोई जुबान, मजहब व रंग नहीं होता। लेकिन कला सभी लोगों की जुबान, मजहब और रंगों का समावेश करती है। उन्होंने कहा कि कला के जरिये समाज को समृद्ध और संवेदनशील बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कल्चरल फेस्ट में भाग ले रहे नन्हें कलाकार इस बात को प्रमाणित कर रहे हैं कि वे सब एक हैं।
सपना जैन ने कहा कि कल्चरल फेस्ट में लडकों से कहीं ज्यादा लड़कियां हिस्सा ले रही हैं। समाज में लडकियों के प्रति परंपरागत सोच को सांस्कृतिक कार्यक्रम तोड रहे हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक कार्यक्रम में लडकियों का उत्साह देखते ही बनता है। उन्होंने लड़कियों के साथ आए अध्यापकों व उनके अभिभावकों की सराहना करते हुए कहा कि तमाम विपरीत मानसिकता के बावजूद उन्होंने लडकियों को मौका देकर महिला सशक्तिकरण के बढते कदमों को हौंसला दिया है।
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी राजपाल चौधरी ने कहा कि एक स्वस्थ माहौल में सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किसी उपलब्धि से कम नहीं है। बडी संख्या में आए कलाकारों को नीलोखेड़ी की जनता ने सर आंखों पर बिठाया है। रहने-खाने की व्यवस्थाओं में सभी का सहयोग कलाकारों को संबल दे रहा है। उन्होंने कहा कि विपरीत मौसम के बावजूद व्यवस्था में किसी तरह की कोई बाधा नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि कलाकारों को हर प्रकार की सुख-सुविधा पहुंचाने के लिए शिक्षा विभाग पूरी तरह मुस्तैद है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ऐसे मंचों से देश को बेहतरीन कलाकार मिलेंगे।
राजपाल चौधरी ने बताया कि नौवीं से बारहवीं कक्षा की स्किट स्पर्धा में हिसार की टीम ने पहला, अंबाला ने दूसरा और पानीपत की टीम ने तीसरा स्थान हासिल किया। करनाल की टीम को सांत्वना पुरस्कार के लिए चुना गया है। सांझी प्रतियोगिता में सोनीपत की टीम प्रथम, चरखी दादरी को द्वितीय, रेवाडी तृतीय और जींद को सांत्वना पुरस्कार मिला। एकल नृत्य में सोनीपत ने पहला, कैथल ने दूसरा, भिवानी ने तीसरा और रेवाडी को सांत्वना पुरस्कार मिला। समूह नृत्य में सोनीपत को पहला, रेवाडी को दूसरा, गुरूग्राम को तीसरा और कैथल को सांत्वना पुरस्कार के लिए चुना गया। समूह गान में कैथल को पहला, रेवाडी दूसरा, गुरूग्राम को तीसरा और करनाल को सांत्वना पुरस्कार मिला। रागणी प्रतियोगिता में कैथल ने पहला, फतेहाबाद दूसरा, रेवाड़ी तीसरा और सोनीपत ने सांत्वना पुरस्कार पाया। इस मौके पर रैडक्राॅस करनाल के जिला प्रशिक्षण अधिकारी एमसी धीमान की अगुवाई में स्वयंसेवियों द्वारा स्टाल लगाकर रैडक्राॅस के बारे में जानकारी दी रही है और जरूरत पडने पर प्राथमिक सहायता प्रदान की जा रही है।
इस मौके पर उप जिला शिक्षा अधिकारी विद्योत्मा, खंड शिक्षा अधिकारी चन्द्रेश विज, महावीर सिंह, प्रिंसिपल महेन्द्र सिंह नरवाल, श्याम लाल, विवेक सिंह, वीना, संजीव कुमार, उमा रेडू, दलबीर, धर्मबीर, अर्चना, दीक्षा, प्रवीन, वीरभान शर्मा, शरणपाल, राकेश राणा, सत्यपाल, महिन्द्र खेडा, अरुण कुमार कैहरबा, मान सिंह, सियाराम शास्त्री, अनिल सैनी, कुलदीप, रामनिवास सोलंकी, सुरेश फौजी, कप्तान सिंह, मुकेश कुमार उपस्थित रहे।

Wednesday, November 27, 2019

राज्य स्तरीय कल्चरल फेस्ट-2019 का हुआ शुभारंभ

संस्कृति बिना जीवन नीरस व बदरंग: राजपाल चौधरी

नीलोखेड़ी स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में लोक नृत्यों व गीतों के बीच में हषोल्लास और उमंग के साथ राज्य स्तरीय कल्चरल फेस्ट-2019 का आगाज हुआ। सहायक निदेशक नंद किशोर वर्मा, कार्यक्रम अधिकारी प्रमोद शर्मा व पूनम अहलावत की उपस्थिति में जिला शिक्षा अधिकारी रविन्द्र चैधरी और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी राजपाल चैधरी ने दीप प्रज्वलित करके कल्चरल फेस्ट की शुरूआत की। कल्चरल फेस्ट का संयोजन खण्ड शिक्षा अधिकारी एवं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी धर्मपाल चौधरी ने किया।
कल्चरल फेस्ट के जरिये नीलोखेड़ी की भूमि प्रदेश भर के स्कूलों से आई प्रतिभाओं के जोशो-खरोश से गुंजायमान हो गई। टीमों के पहुंचने से ऐसा लग रहा था मानो पूरा हरियाणा और उसकी संस्कृति नीलोखेड़ी
पहुंच गई हो। रंग-बिरंगी वेश-भूषाओं, आभूषणों से सजे-धजे किशोर व युवा कलाकार हरियाणा की लोक-संस्कृति के प्रतीक-मटकों, चरखों, पीढों, कूओं, चिमटों और वाद्य यंत्रों को लेकर महोत्सव स्थल पर पहुंचे तो दर्शकों ने उन्हें सर आंखों पर बिठाकर स्वागत किया। नीलोखेडी के लोगों के लिए यह सांस्कृतिक महोत्सव हरियाणा की संस्कृति को करीब से जानने समझने का अनूठा अवसर है। इस उत्सव को देखने के लिए शहर भर के लोग व संस्कृतिकर्मी आ रहे हैं।
कार्यक्रम नोडल अधिकारी धर्मपाल चैधरी ने बताया कि सांस्कृतिक महोत्सव में मंगलवार शाम से ही टीमों का आना शुरू हो गया था। सभी कलाकारों के रहने व खाने के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। उन्होंने बताया कि जींद, रेवाडी व नूंह से 70-70, पंचकूला से 74, सोनीपत से 75, सिरसा व पानीपत से 81-81, फतेहाबाद, रोहतक व फरीदाबाद से 64-64, अंबाला से 58, यमुनानगर से 80, महेन्द्रगढ व गुरूग्राम से 65-65, कुरुक्षेत्र से 61, चरखी दादरी से 35, हिसार से 79, करनाल से 46, पलवल से 43, कैथल व भिवानी से 73-73, झज्झर से 66 कलाकार कल्चरल फेस्ट में अपनी प्रस्तुतियां देकर अपने-अपने जिलों का प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्होंने बताया कि सभी कलाकार अनुशासनबद्ध होकर बेहतरीन प्रस्तुतियां दे रहे हैं, जिससे पूरा वातावरण हरियाणा की विविध सांस्कृतिक विरासत से सराबोर हो गया है। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में पांचवीं से आठवीं के 136 व नौवीं से बारहवीं के 143 लडके तथा पांचवीं से आठवीं की 588 व नौवीं से 12वीं की 590 लडकियां इस महोत्सव में शिरकत कर रही हैं। उन्होंने कहा कि नीलोखेडी का सौभाग्य है कि उन्हें राज्यस्तरीय कार्यक्रम की मेजबानी का मौका मिला है, जिसे लेकर नीलोखेडी की जनता और शिक्षा जगत गदगद है। उन्होंने कहा कि मेजबान के नाते वे अतिथियों के स्वागत में कोई कसर नहीं छोडेंगे।

राज्य स्तरीय महोत्सव के मौके पर विभिन्न जिलों से आए प्रतिभागियों द्वारा स्टाल लगाए गए हैं। स्काउट व गाइड के स्वयंसेवी लगातार कलाकारों व अतिथियों की सेवा कर रहे हैं।
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी राजपाल चैधरी ने कलाकारों व प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृति के बिना जीवन नीरस व बदरंग है। संस्कृति हमें पहचान और सम्मान देती है। उन्होंने कहा कि संस्कृति को जिंदा रखने व बढावा देने के लिए इस तरह के महोत्सवों का आयोजन किया जाता है। इस तरह के कार्यक्रमों में शिरकत करने वाले जहां अपनी संस्कृति से रूबरू होते हैं, वहीं अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन द्वारा आनंद और उत्साह का संचार भी करते हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृति केवल वेश-भूषा, पहनावा व खानपान ही नहीं है, बल्कि विचारों व चिंतन से जुडी हुई प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि संस्कृति हमारे विकासक्रम की एक अहम उपलब्धि है। इसे संजोये रखना और इसका विकास करना शिक्षा का अहम कार्य है। इस मौके पर डाइट शाहपुर प्राचार्य रोहताश वर्मा, उप जिला शिक्षा अधिकारी परमजीत सिंह चहल सहित अनेक अधिकारी मौजूद रहे।

Friday, October 25, 2019

दीवाली मनाएं, पर्यावरण भी बचाएं

करेड़ा खुर्द के राजकीय स्कूल में विद्यार्थियों ने बनाई रंगोलियां

गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। विभिन्न कक्षाओं में विद्यार्थियों ने सफाई की। रंगोलियां बनाई और दीए जलाकर अपने कक्षा-कक्षाओं को सजाया। विद्यार्थियों ने दीपावली पर आतिशबाजी नहीं करने या प्रतीकात्मक तौर पर करने का संकल्प करने किया।
कार्यक्रम की अगुवाई प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा, संदीप कुमार, ईएसएचएम विष्णु दत्त, अध्यापक ओम प्रकाश, रजनी, मंजू, उषा, वंदना शर्मा, किशोरी लाल, सुल्तान, रवि कुमार, डिंपल, लवकेश की। समारोह में अंधेरे से उजाले की ओर व शिक्षा का संदेश देने वाले गीत गाए गए।

विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए हिन्दी प्राध्यापक अरुण कैहरबा ने कहा कि दीपावली पर्व रोशनी व खुशियों का त्योहार है। दीए को जलाकर अंधेरा दूर किया जाता है। इसी के साथ-साथ दीए शिक्षा के उजियारे का प्रतीक भी हैं। उन्होंने कहा कि बम फोड़ कर व आतिशबाजी करके खुशियां मनाने की परंपरा हर दृष्टि से नुकसानदायक है। इससे मेहनत से कमाया गया धन तो नष्ट होता है। आतिशबाजी से पैदा हुआ जहरीला धूआं पर्यावरण को दूषित करता है और शोर ध्वनि प्रदूषण फैलाता है। दीपावली पर की गई आतिशबाजी से पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा इतनी अधिक बढ़ जाती है कि हवा में सांस लेना भी दूभर हो जाता है। उन्होंने कहा कि बिमार लोगों के लिए दीपावली का दिन और रात असहनीय हो जाती है। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि मिलजुल कर दीए जलाएं और एक-दूसरे का मीठा मुंह करवाकर दीपोत्सव मनाएं। आतिशबाजी से होने वाले नुकसान से लोगों को सचेत करें। मौलिक मुख्याध्यापक विष्णुदत्त ने कहा कि दिवाली का त्योहार दिलों की दूरियों को दूर करने का दिन है। 

Monday, October 14, 2019

LEGAL AWARENESS & POUDHGIRI PROGRAMME IN GHS KARERA KHURD YAMUNANAGAR


करेड़ा खुर्द के राजकीय स्कूल में सौंदर्यीकरण के लिए लगाए फूलों के पौधे

विधिक सेवा सप्ताह के तहत जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में स्कूल सौंदर्यीकरण के लिए फूलों के पौधे रोपे गए। विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों ने पौधरोपण अभियान में मिलकर कार्य किया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत स्कूल में कानूनी जागरूकता सप्ताह के तहत जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। जागरूकता कार्यक्रम में प्राधिकरण से जुड़े वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेश कुमार डेहरिया ने विद्यार्थियों को जल संरक्षण, वन्य जीव सुरक्षा और सडक़ सुरक्षा के विभिन्न आयामों की जानकारी दी। स्कूल में चल रहे पौधरोपण अभियान में उन्होंने भी  पौधरोपण किया।

स्कूल में पौधरोपण अभियान की अगुवाई हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा, अंग्रेजी प्राध्यापक संदीप कुमार, मौलिक मुख्याध्यापक विष्णु दत्त, अध्यापक ओमप्रकाश, सुखिन्द्र कौर, उषा, वीरेन्द्र कुमार, वंदना शर्मा, किशोरी लाल, सुल्तान सिंह ने की। 

पानी को व्यर्थ करने का सिलसिला यूं ही चलता रहा तो मुश्किल होगी: सुरेश डेहरिया                                                         सुरेश डेहरिया ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि पानी जीवन का आधार है। धरती पर केवल एक प्रतिशत ही पानी पीने लायक है। उस पानी को यदि व्यर्थ बहाने का सिलसिला यूं ही चलता रहा तो आने वाले समय में जीना दूभर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे उपायों एवं जागरूकता का परिचय देते हुए हम बहुत सा पानी बचा सकते हैं।

पौधरोपण के साथ पौधपोषण एवं संरक्षण भी जरूरी: अरुण
हिन्दी प्राध्यापक अरुण कैहरबा ने कहा कि पौधरोपण के साथ-साथ पौधपोषण एवं संरक्षण भी जरूरी है। पेड़-पौधों के प्रति स्वार्थी नजर का ही परिणाम है कि आज अंधाधुंध पेड़ों की कटाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि आज पर्यावरण के अनुकूल विकास की सोच की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पौधरोपण पौधपोषण में विद्यार्थी अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल में गेंदा, डहेलिया, पिटोनिया, तुलसी, मोरपंखी आदि पौधे रोपे गए। विद्यार्थियों ने पौधों को बचाने का संकल्प किया।



Thursday, October 10, 2019

Beti Bachao Beti Padhao Painting Competition in GHS Karera Khurd

लड़कियां बदलेंगी समाज की सोच: ओमप्रभा 

नौवीं कक्षा की मोनिका ने पहला और लवकेश की पेंटिंग ने पाया दूसरा स्थान

गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तहत पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में स्कूल के विद्यार्थियों ने सुंदर पेंटिंग बनाकर बेटियों की बराबरी, शिक्षा व सशक्तिकरण का संदेश दिया। मुख्य अतिथि के रूप में मुख्याध्यापिका ओमप्रभा शर्मा ने विद्यार्थियों की हौंसला अफजाई की। कार्यक्रम का संयोजन हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने किया। निर्णायक मंडल की भूमिका पंजाबी अध्यापिका सुखिन्द्र कौर व संस्कृत शिक्षिका रजनी ने निभाई। आयोजन में अंग्रेजी प्राध्यापक संदीप कुमार, मौलिक मुख्याध्यापक विष्णु दत्त, विज्ञान अध्यापक ओमप्रकाश, वीरेंद्र कुमार व वंदना ने सहयोग किया।
पेंटिंग में नौवीं कक्षा की मोनिका ने पहला, लवकेश ने दूसरा, आठवीं की मधु ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। इसके अलावा
सातवीं कक्षा की छात्रा भावना व छठी कक्षा की गरिमा
गरिमा की पेंटिंग को सांत्वना पुरस्कार के लिए चुना गया। मुख्याध्यापिका ओमप्रभा शर्मा ने कहा कि हमारी बेटियां किसी से कम नहीं हैं। कितनी ही बेटियां आज देश के उच्च पदों को सुशोभित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने वाली लड़कियां समाज की सोच को बदलने में महत्वपूर्ण योगदान देंगी। उन्होंने विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई का विशेष ध्यान रखने और मन लगाकर कर पढ़ने व आगे बढ़ने का संदेश दिया।
हिन्दी प्राध्यापक अरुण कैहरबा ने कहा कि लड़कियों को बोझ मानना, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा सहित अनेक बुराईयां समाज को पीछे खींच रही हैं। सामाजिक बदलाव के लिए शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है। इस मौके पर मुख्य शिक्षिका उषा रानी, मंजू, सुल्तान सिंह, किशोरी लाल, डिंपल, रवि कुमार, राजेंद्र कुमार मौजूद रहे।



Wednesday, October 9, 2019

राजकीय उच्च विद्यालय, करेड़ा खुर्द में मनाया गया विश्व डाक दिवस


तमिल कहानी टिकट-अलबम का किया गया वाचन व चर्चा

चि_ियां व डाक टिकटें किसी देश की संस्कृति व इतिहास का झरोखा: अरुण कैहरबा


गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में विश्व डाक दिवस मनाया गया। इस अवसर पर छठी कक्षा की हिन्दी की पाठ्य पुस्तक वसंत भाग-1 में संकलित सुंदरा रामस्वामी की तमिल कहानी टिकट-अलबम पढ़ी गई और उस पर चर्चा की गई। तमिल से कहानी का हिन्दी अनुवाद सुमति अय्यर ने किया है। हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहानी के वाचन के दौरान डाक टिकटों और चि_ियों की अहमियत पर चर्चा की। वाचन में कक्षा के विद्यार्थियों ने सहयोग किया। 

हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि डाक सेवाओं का मानव विकास में अहम योगदान रहा है। संचार क्रांति में मोबाइल के आगमन से पहले दूर-दराज में गए व रहने वाले प्रियजनों व रिश्तेदारों तक संदेश भेजने का चि_ियां ही मुख्य जरिया थी। महत्वपूर्ण शख्सियतों की चि_ियां किताबों की शक्ल में छपी हुई हैं। उन्होंने बताया कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जेल में रहते हुए अपनी बेटी इंदिरा गांधी को पत्र लिखे। उन पत्रों में देश के इतिहास का पूरा झरोखा पढऩे को मिल जाएगा। भगत सिंह, महात्मा गांधी सहित अनेक साहित्यकारों के पत्र आज हमारी धरोहर हैं, जिन्हें पढक़र हम उनके विचारों और उस समय के संघर्षों से परिचय प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि चिट्टियों पर लगाई जाने वाली टिकटें किसी भी देश के इतिहास व संस्कृति का परिचय देती हैं। डाक टिकटें इक_ा करना और उनकी एलबम बनाना एक बहुत अच्छा शौंक है। उन्होंने विद्यार्थियों को स्कूल में नहीं आने पर प्रार्थना-पत्र लिखने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि कोई भी समस्या आने और विद्यार्थियों की अनुपस्थिति की सूचना देने के लिए विद्यार्थियों को प्रार्थना-पत्र लिख कर अपनी बात कहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गांव व आस-पास की समस्याओं के बारे में जानकारी देने व शिकायत करने के लिए हमें अधिकारियों को पत्र लिखकर सूचना देनी चाहिए ताकि समस्याओं का समय पर निदान हो सके। इस मौके पर अंग्रेजी प्राध्यापक संदीप कुमार, पंजाबी अध्यापिका सुखिन्द्र कौर, विज्ञान अध्यापक ओमप्रकाश, रवि कुमार, किशोरी लाल, सुल्तान सिंह व मंजू उपस्थित रहे।

टिकट-अलबम की कहानी-


टिकट-अलबम कहानी में नागराजन के पास सिंगापुर में गए उसके मामा उपहार के रूप में एक अलबम भेजते हैं। इस अलबम से नागराजन स्कूल के सभी विद्यार्थियों के आकर्षण के केन्द्र में आ जाता है। सभी बच्चे उसके पास आते हैं और अलबम देखते हैं। नागराजन सभी को एक-एक पन्ना खोलकर अपनी अपना अलबम दिखाता है। सभी बच्चे उसकी प्रशंसा करते हैं। इससे राजप्पा द्वारा खुद तैयार किया गया अलबम को देखने के लिए कोई उत्साहित नहीं होता। राजप्पा इससे ईष्र्या का शिकार हो जाता है। वह नागराजन के घर जाकर उसका अलबम चुरा लाता है। उस समय नागराजन घर पर नहीं होता। नागराजन घर पहुंचता है और अलबम नहीं पाकर बहुत परेशान हो जाता है। वह रोने लगता है। दूसरी तरफ चोरी के कारण राजप्पा की मानसिक स्थिति भी खराब हो जाती है। राजप्पा के घर जब भी कोई आता है तो उसे लगता है कि कहीं पुलिस ना आ गई हो। वह नागराजन की अलबम को अलग-अलग स्थानों पर रखता है और अंत में उसकी अम्मा उस अलबम को अंगीठी में जला देती है। नागराजन राजप्पा के घर पहुंचता है तो राजप्पा उसे अपना अलबम लेने की पेशकश करता है। बच्चे कहानी का आनंद लेते हुए विभिन्न प्रकार के भावों पर चर्चा करते हैं और टिकट अलबम के खुद बनाए जाने व उपहार में दी गई टिकट अलबम की तुलना करते हैं।

Tuesday, October 8, 2019

राजकीय उच्च विद्यालय, करेड़ा खुर्द में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध लेखन प्रतियोगिता

निबंध लेखन में मधु ने पाया पहला स्थान
गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में 7 अक्तूबर, 2019 को बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान के तहत निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मुख्याध्यापिका ओमप्रभा शर्मा के निर्देशानुसार आयोजित प्रतियोगिता में बच्चों ने बढ-चढ कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संयोजन हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा व संस्कृत अध्यापिका रजनी ने किया। मौलिक मुख्याध्यापक विष्णु दत्त, अध्यापक ओमप्रकाश, वीरेंद्र कुमार, वंदना शर्मा, एलए रवि कुमार, लवकेश, लिपिक मंजू ने सहयोग किया। 
प्रतियोगिता में आठवीं कक्षा की छात्रा मधु ने पहला, मुस्कान ने दूसरा और मीनाक्षी ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। प्राथमिक कक्षाओं में पांचवीं कक्षा की छात्रा निधि ने पहला स्थान हासिल किया।
इस मौके पर बोलते हुए हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार ने कहा कि बेटी और बेटे में फर्क नहीं होता है, लेकिन हमारा समाज अनेक प्रकार की संकीर्णताओं में जकड़ा हुआ है। जिस कारण बेटियों को बेटों से कमतर माना जाता है। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढाओ अभियान का उद्देश्य लोगों की सोच को बदलना है और विद्यार्थियों में आत्मविष्वास पैदा करना है ताकि वे लोगों की सोच को बदलने में अपनी भूमिका निभा सकें। उन्होंने अभियान के तहत स्कूल में अनेक प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाना है।
सोमवार को निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। संस्कृत शिक्षिका रजनी ने निर्णायक की भूमिका निभाते हुए परिणाम निकाला और विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया। इस मौके पर राजेन्द्र कुमार उपस्थित रहे।

 

Saturday, September 21, 2019

अन्तर्राष्ट्रीय शांति दिवस पर विद्यार्थियों ने गाया होगी शांति चारों ओर गीत

शांति व सद्भाव से खुलेगी अच्छी शिक्षा की राह: अरुण

मनमुटाव व संवादहीनता त्याग मिलाए हाथ दिया भाईचारे का संदेश

गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में अन्तर्राष्ट्रीय शांति दिवस मनाया गया। स्कूल में आपसी मनमुटाव व दुर्भावनाओं के चलते लंबे समय से चल रही संवादहीनता को तोड़ते हुए एक-दूसरे से हाथ मिलाए और समाज में शांति एवं सद्भाव का वातारण बनाने का संकल्प किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्याध्यापक विष्णु दत्त ने की।
इस मौके पर शांति और शिक्षा के संबंधों पर चर्चा करते हुए हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि हमारे समाज में अनेक प्रकार की समस्याएं हैं। जाति, सम्प्रदाय, लिंग व क्षेत्र की अनेक प्रकार की संकीर्णताएं समाज के माहौल को खराब करती हैं। नशे के बढ़ते मकडज़ाल के कारण भी समाज में तनाव की स्थितियां पैदा होती हैं। परिवार आर्थिक संकट में फंस जाता है और आपसी संबंध खराब हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि जब संबंधों में मनमुटाव व तनाव रहता है, तब किसी भी काम में मन नहीं लगता। परिवार व समाज का तनावपूर्ण वातावरण बच्चों की पढ़ाई को भी बाधित कर देता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा व शांति का गहरा रिश्ता है। शिक्षा के लिए शांति और शांति के लिए शिक्षा जरूरी है। परिवार, गांव व माहौल्ले के स्तर से विश्व स्तर तक शांति व सद्भाव की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के देशों में अशांति के कारण हथियारों की दौड़ लगी है। देशों के बेहतर रिश्तों की स्थिति में हथियारों पर खर्च होने वाला धन विकास के कार्यों पर खर्च हो सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों के तनावपूर्ण रिश्तों व संवादहीनता के कारणों पर चर्चा करते हुए विद्यार्थियों को कक्षा व स्कूल के वातावरण को बेहतर बनाने के प्रोत्साहित किया। उन्होंने विद्यार्थियों को होंगे कामयाब, होगी शांति चारों ओर, होगी शांति चारों ओर एक दिन गीत सिखाया। मुख्याध्यापक विष्णु दत्त ने कहा कि अच्छी पढ़ाई के लिए स्कूल में भी शांति व सद्भाव की जरूरत है। उन्होंने बच्चों को मन लगाकर पढऩे के लिए प्रोत्साहित किया।
इस मौके पर अध्यापिका सुखिन्द्र कौर, रजनी, ओमप्रकाश उपस्थित रहे।