तमिल कहानी टिकट-अलबम का किया गया वाचन व चर्चा
चि_ियां व डाक टिकटें किसी देश की संस्कृति व इतिहास का झरोखा: अरुण कैहरबा
गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में विश्व डाक दिवस मनाया गया। इस अवसर पर छठी कक्षा की हिन्दी की पाठ्य पुस्तक वसंत भाग-1 में संकलित सुंदरा रामस्वामी की तमिल कहानी टिकट-अलबम पढ़ी गई और उस पर चर्चा की गई। तमिल से कहानी का हिन्दी अनुवाद सुमति अय्यर ने किया है। हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहानी के वाचन के दौरान डाक टिकटों और चि_ियों की अहमियत पर चर्चा की। वाचन में कक्षा के विद्यार्थियों ने सहयोग किया।
हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि डाक सेवाओं का मानव विकास में अहम योगदान रहा है। संचार क्रांति में मोबाइल के आगमन से पहले दूर-दराज में गए व रहने वाले प्रियजनों व रिश्तेदारों तक संदेश भेजने का चि_ियां ही मुख्य जरिया थी। महत्वपूर्ण शख्सियतों की चि_ियां किताबों की शक्ल में छपी हुई हैं। उन्होंने बताया कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जेल में रहते हुए अपनी बेटी इंदिरा गांधी को पत्र लिखे। उन पत्रों में देश के इतिहास का पूरा झरोखा पढऩे को मिल जाएगा। भगत सिंह, महात्मा गांधी सहित अनेक साहित्यकारों के पत्र आज हमारी धरोहर हैं, जिन्हें पढक़र हम उनके विचारों और उस समय के संघर्षों से परिचय प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि चिट्टियों पर लगाई जाने वाली टिकटें किसी भी देश के इतिहास व संस्कृति का परिचय देती हैं। डाक टिकटें इक_ा करना और उनकी एलबम बनाना एक बहुत अच्छा शौंक है। उन्होंने विद्यार्थियों को स्कूल में नहीं आने पर प्रार्थना-पत्र लिखने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि कोई भी समस्या आने और विद्यार्थियों की अनुपस्थिति की सूचना देने के लिए विद्यार्थियों को प्रार्थना-पत्र लिख कर अपनी बात कहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गांव व आस-पास की समस्याओं के बारे में जानकारी देने व शिकायत करने के लिए हमें अधिकारियों को पत्र लिखकर सूचना देनी चाहिए ताकि समस्याओं का समय पर निदान हो सके। इस मौके पर अंग्रेजी प्राध्यापक संदीप कुमार, पंजाबी अध्यापिका सुखिन्द्र कौर, विज्ञान अध्यापक ओमप्रकाश, रवि कुमार, किशोरी लाल, सुल्तान सिंह व मंजू उपस्थित रहे।
टिकट-अलबम की कहानी-
टिकट-अलबम कहानी में नागराजन के पास सिंगापुर में गए उसके मामा उपहार के रूप में एक अलबम भेजते हैं। इस अलबम से नागराजन स्कूल के सभी विद्यार्थियों के आकर्षण के केन्द्र में आ जाता है। सभी बच्चे उसके पास आते हैं और अलबम देखते हैं। नागराजन सभी को एक-एक पन्ना खोलकर अपनी अपना अलबम दिखाता है। सभी बच्चे उसकी प्रशंसा करते हैं। इससे राजप्पा द्वारा खुद तैयार किया गया अलबम को देखने के लिए कोई उत्साहित नहीं होता। राजप्पा इससे ईष्र्या का शिकार हो जाता है। वह नागराजन के घर जाकर उसका अलबम चुरा लाता है। उस समय नागराजन घर पर नहीं होता। नागराजन घर पहुंचता है और अलबम नहीं पाकर बहुत परेशान हो जाता है। वह रोने लगता है। दूसरी तरफ चोरी के कारण राजप्पा की मानसिक स्थिति भी खराब हो जाती है। राजप्पा के घर जब भी कोई आता है तो उसे लगता है कि कहीं पुलिस ना आ गई हो। वह नागराजन की अलबम को अलग-अलग स्थानों पर रखता है और अंत में उसकी अम्मा उस अलबम को अंगीठी में जला देती है। नागराजन राजप्पा के घर पहुंचता है तो राजप्पा उसे अपना अलबम लेने की पेशकश करता है। बच्चे कहानी का आनंद लेते हुए विभिन्न प्रकार के भावों पर चर्चा करते हैं और टिकट अलबम के खुद बनाए जाने व उपहार में दी गई टिकट अलबम की तुलना करते हैं।
khoob
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