Friday, December 6, 2019

डॉ. आंबेडकर ने शिक्षा को बनाया मुक्ति का हथियार


परिनिर्वाण दिवस पर आंबेडकर के जीवन व विचारों पर संगोष्ठी आयोजित

गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में संविधान निर्माता डॉ भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर 'डॉ. आंबेडकर का जीवन और विचार' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि डॉ. आंबेडकर को अपने जीवन में अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ा। दलित जाति में जन्मा होने के कारण विद्यालय में पढ़ते हुए उन्हें छूआछूत झेलनी पड़ी। विद्यालय के घड़े से वे पानी नहीं पी पाते थे। इस भेदभाव के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने शिक्षा को मुक्ति का हथियार बनाया। शिक्षा के जरिए वे महान विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, लेखक व समाज सुधारक बने। 
अरुण कैहरबा ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने महात्मा बुद्ध, संत कबीर और संत रविदास जी के विचारों को अपनाया और आगे बढ़ाया। आजादी की लड़ाई में उन्होंने जातिवादी भेदभाव को समाप्त करने के लिए अनेक आंदोलन चलाए। आजादी के बाद दुनिया के विभिन्न देशों के संविधानों और भारत की परिस्थितियों के अध्ययन पर आधारित देश को एक बेहतरीन संविधान दिया, जो समानता, स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता जैसे मूल्यों पर आधारित है। वे देश के पहले कानून व न्याय मंत्री बने। उन्होंने विद्यार्थियों से डा. आंबेडकर का नारा- शिक्षित बनो, संगठित बनो और संघर्ष करो के नारे से भी परिचित करवाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ईएचएम विष्णु दत्त ने डॉ. आंबेडकर के विचारों को अपनाने पर बल दिया। इस मौके पर अंग्रेजी प्राध्यापक संदीप कुमार, अध्यापिका सुखिन्दर कौर, रजनी, उषा, वीरेंद्र सिंह, किशोरी लाल मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन: गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों को संबोधित करते हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा।

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