Sunday, November 22, 2020

Do not increase your risk by losing patience, Corona is not a fantasy

 धैर्य खोकर खतरा ना बढ़ाएं, कोरोना सच्चाई है कल्पना नहीं


अरुण कुमार कैहरबा

विशेषज्ञों ने सर्दी की आहट और त्योहारों के सीजन के साथ ही कोरोना वायरस के ज्यादा प्रभावी होने की आशंका व्यक्त की थी। जैसा डरा था, वही होता हुआ दिखाई दे रहा है। लॉकडाउन से उकताए हुए लोगों ने अनलॉक होते हुए नियमों की परवाह करनी छोड़ दी। त्योहारों में बाजारों के दृश्य इतने भयावह दिखाई दिए कि दो गज की दूरी की तो किसी को चिंता ही नहीं है। जहां देखो बस दिखाई देती है-भीड़, भीड़ और बस भीड़। मास्क बहुत कम चेहरों पर दिखाई देते हैं। किसी ने मास्क कानों पर टांग भी रखा है तो वह निरर्थक हो गया है। बार-बार हाथ धोने में भी कोताही देखने को मिल रही है। ठंड के बढ़ते जाने के कारण बाहर से आए लोगों के लिए नहाना भी संभव नहीं रहा है।
यही वजह है कि कोरोना वायरस का संक्रमण एक बार फिर से सर उठा रहा है। देश की राजधानी दिल्ली में स्थिति चिंताजनक हो रही है। केवल 18 दिनों में 1.10 लाख कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं। 1381 लोगों की मौत हो गई है। अनलॉक के नियमों को वापिस लेने की जरूरत महसूस हो रही है। दिल्ली में शादी व समारोहों में दो सौ लोगों के इक_े होने की छूट को कम करके 50 कर दिया गया है। मास्क नहीं पहनने पर जुर्माना चार गुणा बढ़ा दिया गया है। जुर्माना 500 सौ रूपये से दो हजार कर दिया गया है। दिल्ली के अलावा हरियाणा, महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश व उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले में तेजी से वृद्धि हो रही है। देश में आज तक कुल 89.74 लाख मामले हो चुके हैं। अकेले दिल्ली में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा पांच लाख के पार पहुंच गया है। देश भर में 1.31 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।
इस भयानक सच्चाई के बावजूद कोरोना पर बेपरवाही से हंसने वालों की कमी नहीं है। उदासीनता और बेपरवाही का यह वातावरण ही संभवत: देश को कोरोना महामारी के दूसरे चरण की तरफ ले जा रहा है। यह बड़ी चिंता और चुनौती का विषय है। यदि आज भी लोगों ने स्थितियों की विकरालता के बारे में सोचना शुरू नहीं किया तो आने वाला समय और भयानक होने की आशंकाएं सच होकर हमारे सामने खड़ी हो सकती हैं। यह सही है कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को गर्त में धकेल दिया है। इसे उबारने के लिए अब आर्थिक गतिविधियों का दौबारा शुरू होना जरूरी है। लेकिन बाजार में इस तरह से भीड़ करना किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता। इन स्थितियों में यदि फिर से नए लॉकडाउन की नौबत आन पड़ी तो वह ज्यादा खतरनाक होगा। इसलिए जरूरी है कि सभी नियमों की पालना करें। घर से निकलते हुए धैर्य रखें। आपको यदि अपनी जान का कोई खतरा नहीं है तो दूसरे लोगों की चिंता जरूर करें। जल्दबाजी के कारण ही हरियाणा में स्कूल नौवीं से 12वीं कक्षाओं के लिए खोल दिए गए। इससे विभिन्न जिलों में 400 से अधिक बच्चे और 70 से अधिक अध्यापक कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। क्या पढ़ाई के नाम पर बच्चों को इस तरह कोरोना के मुंह में झोंका जा सकता है। हरियाणा सरकार ने फिर से स्कूल 30 नवंबर तक बंद कर दिए हैं। महाराष्ट्र ने 31 दिसंबर तक स्कूल बंद रखने का फैसला किया है। गुजरात में 23नवंबर से स्कूल खुलने का फैसला टाल दिया गया है।


इस हालात में सबसे ज्यादा अनुशासनहीन व्यवहार उनका मिला है, जिन्हें समाज का नेतृत्व करना चाहिए। जी हां, हमने नेता इसलिए नहीं बनाए हैं कि वे केवल भाषणबाजी करके समाज को राह दिखाने का दिखावा करें और व्यवहार में वे ही सबसे अधिक अनुशासनहीनता बरतें। बिहार विधानसभा चुनाव सहित विभिन्न राज्यों में हुए उपचुनावों के दौरान हुई जनसभाओं में दो गज की दूरी के नियम तार-तार कर दिए गए। जब तक वैक्सीन नहीं आती है। तब तक मास्क ही वैस्सीन है। यह बात केवल कहने के लिए नहीं है, मौजूदा दौर में यह पालना के आवश्यक मूल्य है।

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