Friday, November 20, 2020

ARTICLE ON WORLD TELEVISION DAY

 विश्व दूरदर्शन दिवस पर विशेष

टेलीविजन ने सूचना और संचार क्रांति को आगे बढ़ाया

टीवी देखते हुए सजगता जरूरी

अरुण कुमार कैहरबा

टेलीविजन विज्ञान की अनुपम देन है। वैश्विक परिदृश्य में टेलीविजन के आने के बाद सूचना और संचार क्रांति की राह खुल गई। आज तकनीक ने संचार और सूचना को इतना अधिक विकसित कर दिया है कि आश्चर्य होता है। जब टेलीविजन गांवों में आया था तो हम छोटे-छोटे हुए करते थे। टेलीविजन देखने का चाव इतना था कि जब गांव के दूसरे छोर पर किसी के घर में टेलीविजन आया तो मन में उत्सुकता का सागर हिलोरें मारने लगा। जो भी उसे देखकर आता, वह दूसरों को भी ऐसे किस्से सुनाता था कि वह कोई आलादीन का चिराग देख आया हो। और किस्से कहानियों के आलादीन के चिराग से टेलीविजन कम भी कहां था। एक डिब्बे में जीवंत तस्वीरें जो दिख रही थी। ज्यों-ज्यों टेलीविजन देखने की बातें फैल रही थी, तो लोग भी जा-जाकर टेलीविजन देख रहे थे। हम भी पहुंचे तो खुले आंगन में टेलीविजन लगाया हुआ था और बड़ी संख्या में लोग धरती पर बैठे हुए मुंह बाए हुए टेलीविजन देख रहे थे। टेलीविजन में चलती तस्वीरों और कलाकारों के हाव-भाव के साथ उनके चेहरों पर हाव-भाव आते थे। खुशी का ऐसा माहौल होता था कि कमाल था। टेलीविजन के बहाने पूरा गांव एक स्थान पर आया हुआ था और जात-पात का कोई भेदभाव दिखाई नहीं देता था। टेलीविजन से जुड़े हुए अनेक किस्से कहानियां हैं। जब किसी के घर में टेलीविजन आया तो टेलीविजन चलाने के लिए छत के ऊपर एंटीना लगाया जाता था। छत के ऊपर एंटीना लगाया जा रहा था। एक व्यक्ति को पता चला तो वह भी देखने आया। एंटीना लगाया जाता देखकर वह ठिठक गया। उसने सोचा कि उसी एंटीना में ही तस्वीरें आएंगी। एंटीना लगने के बाद भी जब ऊपर तस्वीरें नहीं आई तो वह आते-जाते लोगों को कहने लगा कि ऐसे ही बहका रखा है। उसे लोगों ने बताया कि यह तो एंटीना है। टेलीविजन तो घर में चल रहा है। वह घर पहुंचा और टेलीविजन देखकर हैरान हुआ।
DAINIK PRAKHAR VIKAS

आधुनिक काल में संचार के सबसे पहले छपाई वाले माध्यम आए। समाचार-पत्र व पत्रिकाओं से लोगों को सूचनाएं मिलती थी। लेकिन बहुत कम लोगों तक ही उसकी पहुंच होती थी। उसके बाद रेडियो नाम का श्रव्य माध्यम आया तो छोटे से डिब्बे से जीवंत आवाज और सूचनाएं सुनने को मिली। देश की आजादी की सूचना बहुत लोगों को सबसे पहले रेडियो से सुनने को मिली। कुछ लोगों को पता चला तो वह सूचना फैल गई। लोगों में खुशी का माहौल देखने को मिला। मुख्य इलेक्ट्रोनिक साधन रेडियो के बाद टेलीविजन के आविष्कार ने दृश्य-श्रव्य तकनीक में एक क्रांतिकारी परिवर्तन किया। टीवी का सबसे पहले लंदन में आविष्कार 1925 में जॉन लॉगी बेयर्ड ने किया। उनके अलावा भी अनेक लोगों ने टीवी की तकनीक के विकास में योगदान दिया। भारत में टीवी का पहला प्रसारण 15 सितंबर, 1959 को दिल्ली से हुआ था। इसे एक प्रयोगात्मक प्रसारण के रूप में कम क्षमता वाले ट्रांसमीटर से दिल्ली के ही 21 कम्युनिटी टीवी सेट पर प्रसारित किया जाता था। उस समय ऑल इंडिया रेडियो की निगरानी में हर सप्ताह एक-एक घंटे के दो कार्यक्रम दिखाये जाते थे। हर दिन 1 घंटे की समाचार-बुलेटिन की शुरूआत 1965 में की गई।     1976 में दूरदर्शन को ऑल इंडिया रेडियो से अलग कर एक स्वतंत्र प्रसारण संस्था का रूप दे दिया गया। 1982 में दूरदर्शन ने पहली बार 9वें एशियन गेम्स का सीधा प्रसारण किया, जोकि एक बड़ी उपलब्धि थी। धीरे-धीरे टेलीविजन पूरे देश में फैल गया। ब्लैक एंड व्हाइट से रंगीन, रिमोट से चलने वाला, एलसीडी और एलईडी सहित अनेक उन्नत रूप दिखाई दिए। दूरदर्शन के बाद मेट्रो और आज अनेक चैनल चल रहे हैं। टेलीविजन अधिकतर घरों का अभिन्न हिस्सा है। शुरूआत में टेलीविजन के आगमन से गांव व मोहल्ले के लोग एक घर की छत के नीचे इक_े हुए। बाद में घर के हर कमरे में टीवी रखे जाने से अपने ही कमरे तक लोग महदूद हो गए। घरों में रिमोट पर कब्जा जमाने और अपनी पसंद का कार्यक्रम देखने के लिए बहस होना भी आम बात है। कुल मिलाकर टेलीविजन ने लोगों को सूचना सम्पन्न बनाया और ज्ञान प्राप्त करने के मार्ग को आसान बनाया। आज विद्यार्थियों के लिए अनेक प्रकार के कार्यक्रम टेलीविजन पर दिखाए जाते हैं।
जैसे सिक्के के दो पहलू होते हैं। उसी तरह से टेलीविजन के भी दोनों पहलू हैं। टेलीविजन पर जहां ज्ञानवर्धक कार्यक्रम आते हैं, वहीं नशा, हिंसा और अपराध का पैकेज भी परोसा जाता है। टीवी पर अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों की बाढ़ आई हुई है। सादा जीवन और उच्च विचार के जीवन मूल्य को आघात पहुंचाते हुए टीवी पर ऐसे कार्यक्रम दिखाए जाते हैं, जिससे विवाहों पर फिजूलखर्ची और दहेज जैसी सामाजिक बुराई को महिमामंडित किया जाता है। अश£ीलता के जरिये महिलाओं को उपभोग की वस्तु की तरह पेश किया जाता है। ऐसे में टेलीविजन को देखने के लिए सजगता की जरूरत है। आज तो टेलीविजन से आगे बढक़र इंटरनेट और मोबाइल का प्रयोग हो रहा है। कोरोना काल में जब लोग घरों तक महदूद होकर रह गए तो ऑनलाइन शिक्षा ही एकमात्र उपाय था। ऐसे में तकनीक व तकनीकी उपकरणों का प्रयोग एक अनिवार्यता है। लेकिन इसको लेकर जागरूकता की बहुत जरूरत है। आओ हम सब मिलकर वैज्ञानिक तरक्की का उत्सव मनाएं, लेकिन साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण को उपेक्षित ना करें। टेलीविजन देखें, लेकिन टेलीविजन के माध्यम से बाजार के हितों को बढ़ावा देने के मंसूबों को भी समझें और समझबूझ के साथ इसका प्रयोग करें। गलत कार्यक्रमों की आलोचना भी करें।
VIR ARJUN 21-11-2020

JAGMARG
JAGAT KRANTI

TARUN MITR 21-11-2020

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