Sunday, November 6, 2011

GHOONT LAGA LI

काव्य-तरंग
गरीब के घर में बदहाली। ठेकों पर है दीवाली।
फत्तू को मिली मजदूरी, जिसमें हो ना जरूरत पूरी,
महंगाई में बुरा है हाल, कैसे खाएं रोटी-दाल,
फटी हुई बीवी की चुन्नी, बस्ता मांग रही थी मुन्नी,
लाचारी अपनी भुलाने को फत्तू ने भी घूंट लगा ली।
-अरुण कुमार कैहरबा

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