काव्य-तरंग
कैसे गुजर होता गरीब का और कैसा है हाल,
भारत की सरकार को नहीं ज़रा भी ख्याल।
नहीं जऱा भी ख्याल आम आदमी के हित का,
बदहाली बन गई भाग फत्तू जैसे वंचित का।
सरकार ने बाजार को दे डाली है छूट,
दाम बढ़ाकर मनमर्जी से लो लोगों को लूट।
-अरुण कुमार कैहरबा
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