Thursday, May 1, 2025

MAY DAY IN GMSSSS BIANA (KARNAL)

 धरती पर मजदूर किसान, सचमुच में होता भगवान: अरुण कैहरबा

कहा: अंबेडकर का शिक्षित बनो, संगठित बनो और संघर्ष करो बदलाव का मूलमंत्र

मई दिवस पर मजदूरों के योगदान और स्थिति पर हुई संगोष्ठी
गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में मई दिवस पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा।

इन्द्री, 1 मई
गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में मजदूर दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मजदूरों के योगदान और स्थिति पर चर्चा की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य राम कुमार सैनी ने की और संचालन हिन्दी अध्यापक नरेश मीत व डीपीई रमन बग्गा ने किया।
मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि मजदूर सारे विकास का निर्माता होता है। आज जो सारी तरक्की चारों ओर दिखाई देती है, उसमें मजदूरों की मुख्य भूमिका है। लेकिन कड़ी मेहनत करने के बावजूद उसका जीवन मुश्किलों व अभावों से जूझता है। उन्होंने कहा कि व्यापक तौर पर देखते हैं तो शारीरिक श्रम करने के साथ-साथ जो बौद्धिक काम करते हैं, वे भी मजदूरों की श्रेणी में आते हैं। इसके बावजूद शारीरिक श्रम और बौद्धिक श्रम करने वालों में आपसी भाईचारे का अभाव पाया जाता है। उन्होंने कहा कि बौद्धिक श्रम करने वालों को शारीरिक श्रमिकों के अधिकारों के प्रति ना केवल सजग होना चाहिए, बल्कि अधिकारों के प्रति आवाज उठाने में अपनी भूमिका भी निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि खेतों, उद्योगों, निर्माण कार्यों सहित विभिन्न स्थानों पर मेहनत मजदूरी करने वालों के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। एक समय तो ऐसा भी था कि उनके साथ गुलामों जैसा सलूक किया जाता था। अंग्रेजी शासनकाल में अंग्रेजों द्वारा भारतीय मजदूरों के साथ बहुत बुरा बर्ताव होता था। इस मामले में भारतीय जमींदार और पूंजीपति भी कम नहीं रहे। आजादी के बाद संविधान व कानूनों के जरिये श्रमिकों की मजदूरी, उचित सम्मान व काम के घंटे आदि के नियम बनाए गए। उन्होंने कहा कि शिक्षा मजदूरों के जीवन में रोशनी लाने का जरिया है। अरुण कैहरबा ने स्वरचित कविता सुनाते हुए कहा- धरती पर मजदूर किसान, सचमुच में होता भगवान। उन्होंने प्रेमचंद की कहानियों- सवा सेर गेहूं और पूस की रात आदि के जरिये मजदूरों के शोषण चक्र को बयां किया और डॉ. भीमराव अंबेडकर के शिक्षित बनो, संगठित बनो और संघर्ष करो को बेहतर जीवन का मूलमंत्र बताया।

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