घुमंतु जातियों की महिलाओं को आर्थिक रूप सशक्त बनाने के लिए है सीड योजना: छुटकन अली
एनबीसीएफडीसी के कार्यकारी अधिकारी ने डेरा हलवाना में प्रयत्न चलाए जा रहे स्वयं सहायता समूहों का किया निरीक्षण
अधिकारी ने समूहों के संचालन की प्रक्रिया से महिलाओं को करवाया अवगत
इन्द्री, 30 अप्रैल
उपमंडल के गांव डेरा हलवाना में प्रयत्न संस्था द्वारा आर्थिक सशक्तिकरण के लिए योजना के तहत चलाए जा रहे स्वयं सहायता समूहों का निरीक्षण करने के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम भारत सरकार के कार्यकारी अधिकारी छुटकन अली पहुंचे। जिला कार्यक्रम अधिकारी राम मेहर, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार कैहरबा व डीसीपी हरमीत सिंह सहित स्वयं सहायता समूह से जुड़ी पदाधिकारियों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस मौके पर मुंबई से आई विभिन्न फिल्मों में कोस्ट्यूम डिजाइन कर चुकी स्नेहा कुमार ने विशेष रूप से शिरकत की और महिलाओं को प्रेरित किया।
नई दिल्ली से आए कार्यकारी अधिकारी छुटकन अली ने स्वयं सहायता समूहों के संचालन की प्रक्रियाओं से महिलाओं को अवगत करवाते हुए कहा कि सीड योजना घुमंतु जातियों की महिलाओं को आर्थिक रूप सशक्त बनाने के लिए है। इस योजना के तहत घुमंतु जातियों के बच्चे यदि सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी करते हैं तो उनके लिए मंत्रालय की ओर से छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। उनके आर्थिक उत्थान के लिए भारत सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को उनकी रूचि के अनुसार कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण प्रदान किए जाएंगे। इसके साथ ही महिलाओं द्वारा तैयार किए उत्पाद को बेचने के लिए राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मंच प्रदान करने की भी योजना है। उन्होंने कहा कि सूरजकुंड सहित देश भर में लगने वाले शिल्प मेलों में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार उत्पाद को प्रदर्शित करने और बेचने के लिए स्टाल उपलब्ध करवाए जाते हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी राम मेहर ने कहा कि घुमंतु जातियों की महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों को पारदर्शी तरीके से चलाते हुए मिसाल करनी चाहिए। यदि समूहों के सफल संचालन में महिलाएं कामयाब हो गई तो उनकी सामाजिक व आर्थिक उन्नति की राहें खुल जाएंगी। इसके पूरे समाज व देश के लिए बेहतर व दूरगामी परिणाम होंगे। उन्होंने बताया कि प्रयत्न संस्था द्वारा सीड (आर्थिक सशक्तिकरण के लिए योजना) के तहत 15 स्वयं सहायता समूह चलाए जा रहे हैं। महिलाएं निरंतर बैठकें करती हैं। स्वयं सहायता समूहों के बैंक में खाते खुल चुके हैं। उन्होंने कहा कि खातों व बैठकों की प्रक्रिया के बारे में समूहों का नियमित रूप से मार्गदर्शन किया जाता है।
सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों की एकता व सामूहिकता महिलाओं को बदहाली के कारणों को जानने, समझने और उन्हें दूर करने का मौका देती है। घुमंतु जातियों को आगे बढऩे के लिए में शिक्षा की केन्द्रीय भूमिका होगी। सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए समूहों से जुड़ी महिलाओं को अपने बच्चों को अवश्य शिक्षित करना चाहिए।
आगे बढऩे के अवसर प्राप्त करने के लिए अपनाएं संघर्ष का रास्ता-
कोस्ट्यूम डिजाइनर व रंगकर्मी स्नेहा कुमार ने कहा कि समाज में आज महिलाओं को अनेक प्रकार की मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। बराबरी का दर्जा, शिक्षा और आगे बढऩे के अवसर प्राप्त करने के लिए संघर्ष का रास्ता है। या तो हम अपनी दशा को ऐसे ही स्वीकार कर लें या फिर बदलाव के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूह सशक्तिकरण व बदलाव के अवसर प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने महिलाओं के साथ अपने नाटकों के अनुभव भी सांझा किए।
इस मौके पर डीसीपी हरमीत सिंह, सीसीपी सविता, बरखा, आशा कौर, निम्मो, सुदीक्षा, किरण, संजना, शीतल, सुनीता, शीतल कौर, शिवानी, उषा, परीक्षा, अंजलि सहित अनेक महिलाएं मौजूद थीं और उन्होंने नई दिल्ली से आए कार्यकारी अधिकारी छुटकन अली से विभिन्न सवाल करके अपनी जिज्ञासा शांत की।
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INDORE SAMACHAR |
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