शिक्षा, संगठन व संघर्ष के संदेश को करें आत्मसात: डॉ. सुभाष चन्द्र
जयंती पर डॉ. अंबेडकर का जीवन व समाज-दर्शन विषय पर विचार-गोष्ठी आयोजित
मुख्य वक्ता के रूप में बोले हिन्दी विभागाध्यक्ष
अंबेडकर जयंती पर जोहड़ माजरा में सेमिनार व गतिविधियां आयोजित
इन्द्री, 14 अप्रैल
गांव जोहड़ माजरा स्थित गुरु रविदास मंदिर में डॉ. भीमराव अंबेडकर सामाजिक शिक्षा मंच व सत्यशोधक फाउंडेशन द्वारा डॉ. अंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में सेमिनार एवं विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विश्व रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर का जीवन एवं समाज-दर्शन विषय पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. सुभाष चन्द्र ने मुख्य वक्ता के रूप में विचार रखते हुए बाबा साहब के शिक्षित बनो, संगठित बनो व संघर्ष करो के विचार को आत्मसात करने का आह्वान किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष कैलाश चन्द्र ने की और संचालन हिन्दी प्राध्यापक दयाल चंद जास्ट ने किया।
डॉ. सुभाष चन्द्र ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर संघर्षशील विचारों की परंपरा की कड़ी हैं। इससे पूर्व गौतम बुद्ध, कबीर, गोरखनाथ, महात्मा ज्योतिबा फुले व सावित्रीबाई फुले भी इसी परंपरा से संबंध रखते हैं। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जाति-वर्ण के बंधनों की बखूबी पड़ताल की और स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे पर आधारित समाज निर्माण के लिए काम किया। उन्होंने केवल दलितों, महिलाओं व मेहनतकश के जीवन को ऊंचा उठाने के लिए ही काम नहीं किया, बल्कि हर वर्ग की इन्सानियत को जगाने के लिए उन्होंने काम किया। इसके लिए सवर्ण वर्ग को भी उनका ऋण मानना चाहिए। डॉ. अंबेडकर ने सब तरह की ऊंच-नीच को समाप्त करते हुए सबकी वोट की बराबर कीमत निर्धारित की। उन्होंने दुनिया भर की किताबों, बदलावों व संघर्षों का अध्ययन किया। डॉ. सुभाष ने कहा कि कहा कि आज डॉ. भीमराव अंबेडकर नहीं आएंगे, हमें खुद के अंदर ही चेतना पैदा करनी है और अंबेडकर के काम को आगे बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि ज्ञान व तर्क के रास्ते पर आगे बढ़ते हुए ही हम उनके दिखाए मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं।
हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि डॉ. अंबेडकर की अध्ययनशीलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्हें पढऩे का जबरदस्त शौक था। उनकी ज्ञान पिपासा ही थी, जो उन्हें लगातार पढऩे के लिए प्रेरित करती थी। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय व दिल्ली के कईं प्रसंग सुनाते हुए बच्चों व युवाओं से पढऩे के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपना स्वरचित गीत-बाबा साहब ने दिया हमको जो संविधान, उसके कारण जानता हमको सकल जहान गाया। अध्यापक महिन्द्र कुमार खेड़ा ने कहा कि अंबेडकर के समय में जातिवाद का जो जहर समाज में फैला हुआ था, वह जहर पूरी तरह से साफ नहीं हुआ है। इसके लिए हमें मिलजुल कर काम करना होगा।
समाजसेवी वेद कांबोज ने कहा कि हमारी दशा सुधारने के लिए बाहर से कोई नहीं आएगा। इसके लिए हमें बच्चों को तैयार करना होगा। बच्चों को पढ़ाई में आगे लेकर जाने के लिए मिलजुल कर प्रयास करने की जरूरत है। बीबीपुर जाटान के पूर्व सरपंच रमेश सैनी ने कहा कि सामाजिक जागरूकता के काम में वे अपना पूरा सहयोग करेंगे। हरियाली युवा संगठन के अध्यक्ष सूरजभान व युवा पुरस्कार विजेता नीरू ने पुस्तक से पुस्तकालय जन जागरूकता अभियान के तहत गांव-गांव में पुस्तकालयों के निर्माण की मांग उठाई। शिक्षा मंच के सलाहकार एवं हिन्दी प्राध्यापक दयाल चंद जास्ट ने कहा कि गांव के सावित्रीबाई फुले पुस्तकालय में इस तरह की अनेक गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं, जिससे बच्चों में पढऩे की रूचि पैदा हो। प्रधान कैलाश चन्द ने आए अतिथियों का आभार-ज्ञापन किया। कार्यक्रम की शुरूआत निर्माणाधीन अंबेडकर भवन पर ध्वजारोहण व डॉ. अंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित करने के साथ हुई।
शिवम ने दौड़ व महक ने चित्रकला प्रतियोगिता में पाया पहला स्थान-
इस मौके पर आयोजित सौ मीटर दौड़ में शिवम ने पहला, अनमोल ने दूसरा और अरमान ने तीसरा स्थान पाया। डॉ. अंबेडकर का चित्र बनाकर महक ने चित्रकला में पहला स्थान पाया। दिव्यांशी सरोये, आंचल, प्रीति, बीरू, हिमांशी सहित अनेक बच्चों ने बाबा साहब के जीवन पर आधारित भाषण, गीत, कविताएं प्रस्तुत की। इन बच्चों को मुख्य अतिथि डॉ. सुभाष चन्द्र, सत्यशोधक फाउंडेशन के प्रतिनिधि विकास साल्यान, गुरदीप, शिक्षा मंच के अध्यक्ष कैलाश चन्द, सचिव रामफल, कोषाध्यक्ष बलदेव राज, संयुक्त सचिव संजीव कुमार, सलाहकार राज कुमार, उपाध्यक्ष ईश्वर पाल ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
ये उपस्थित रहे-
इस मौके पर विवेक जास्ट, कृष्ण कुमार, गुलाब सिंह, रोशन लाल, राजकुमार, संदीप कुमार, सौरभ कुमार, ईश्वर, सोहन लाल, प्रदीप कुमार, श्यामो देवी, मीत रानी, गुंजन, अंजलि, रामदेई, पन्मेश्वरी, बतेरी देवी, संतोष, सीमा, पूनम, जसमेरो, रोशनी, पूजा, कृष्णा, महिंदरो, पूजा, सुनीता, देशराज, किशना राम, बिमला, रेखा, वन्दना, निशा व सार्थक सहित अनेक ग्रामीण मौजूद रहे।
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