किताबें सर्वोत्तम विचारों भावों व कल्पनाओं का खजाना
बच्चों ने सीखी कागज की टोपियां बनाना
स्किल डवलपमेंट व फन कैंप में तालियों व गीतों से गूंज उठा स्कूल का आंगन
इन्द्री, 9 जनवरी
उपमंडल के गांव धनौरा जागीर स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय में चल रहे स्किल डवलपमेंट एंड फन कैंप में बृहस्पतिवार को हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने बच्चों को ओरिगेमी कला के माध्यम से विभिन्न प्रकार की टोपियां बनाना सिखाया। सिर पर टोपियां धारण किए बच्चों के चेहरों पर हंसी, खुशी, तालियों के संगीत और गीतों के गायन से स्कूल का प्रांगण गूंज उठा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कैंप प्रभारी राकेश शास्त्री व हिनौरी क्लस्टर की एबीआरसी गुरचरण कौर ने की। शिविर में विज्ञान अध्यापक संजीव सैनी ने बच्चों को क्ले मॉडलिंग सिखाई। बीआरपी रविन्द्र शिल्पी, विपिन कुमार, धमेन्द्र, एबीआरसी युगल किशोर व डॉ. बारू राम ने शिविर में चल रही गतिविधियों का निरीक्षण किया।
रिसोर्स पर्सन के रूप में हिस्सा ले रहे हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने विद्यार्थियों को कागज की टोपियां बनाना सिखाया। गांधी टोपी, हिमाचली टोपी, राजा टोपी, सेनापति टोपी, शैफ टोपी और डिग्री लेते हुए विद्यार्थियों द्वारा पहनी जाने वाली टोपी खुद बनाना सीख कर बच्चों ने पहनी तो भिन्न-भिन्न प्रकार के भाव उनके चेहरों पर तैर रहे थे।
अरुण कैहरबा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं, जो हमें आगे बढ़ाती हैं। किताबें खाली समय की सबसे सच्ची साथी हैं, जिनसे मनोरंजन भी होता है और ज्ञान भी मिलता है। उन्होंने कहा कि सर्दियों की छुट्टियों में जब रजाई बहुत प्रिय लगती है, ऐसे में किताबें आगे बढ़ते हुए समय गुजारने का सबसे अच्छा माध्यम हैं। किताबों का संग बच्चों को अनेक प्रकार की बुराईयों से बचा सकता है। किताब पढ़ कर हम सोचने को मजबूर होते हैं। किताबें सर्वोत्तम विचारों, भावों और कल्पनाओं का खजाना हैं। उन्होंने कहा कि समाज की अनेक प्रकार की समस्याओं का मुख्य कारण निठल्लापन और बुराईयां हैं। कहा भी गया है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। विचारहीनता की स्थिति में लोग गलत विचारों का अनुसरण करने लगते हैं। छुट्टियों में बच्चों को मोबाइल पर गेम खेलते हुए देखा जा सकता है। लेकिन यह विकल्प नहीं है। उन्होंने बच्चों को मोबाइल व इंटरनेट का प्रयोग सोच-समझ कर बहुत ही कम करने का संदेश दिया और अधिक समय किताबें पढऩे, बड़ों के साथ बातें करने और दोस्तों के साथ खेलने में बिताने के लिए कहा। उन्होंने स्कूल पुस्तकालय की किताबों से पढऩे की शुरूआत करने का आह्वान किया।
एबीआरसी युगल किशोर, बारूराम, विपिन कुमार व रविन्द्र शिल्पी ने बच्चों को शिविर में सीखी गई चीजों को घर में प्रयोग करने का संदेश दिया। संजीव सैनी ने बच्चों को मिट्टी के फल, सब्जियां व पक्षी बनाना सिखाया। उन्होंने बच्चों को पीटी व शारीरिक क्रियाएं भी सिखाई।
मुख्याध्यापक रिषीपाल, शिविर प्रभारी व संस्कृत अध्यापक राकेश कुमार शास्त्री व एबीआरसी गुरचरण ने बताया कि छह जनवरी को शिविर की शुरूआत हुई थी। दस जनवरी को समापन होगा। हर रोज भिन्न प्रकार की गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। शिविर में कृषि विभाग से शशिकांत, बागवानी विभाग से अंकित, डाक विभाग से कमलेश देवी, स्वास्थ्य विभाग से राजेश कुमारी और धनौरा जागीर पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक बच्चों को अपने-अपने विभागों के बारे में बता चुके हैं। इस मौके पर महक, नीतू, अनुपमा, आशिफा, किरण, खुशी, अंजलि, आसमां, अनिकेत, नितिन, तमन्ना, शीतल, आरजू, सूरज, नीटू, जगदीप, अनामिका सहित अनेक बच्चों ने सक्रिय हिस्सेदारी की।
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