Tuesday, April 3, 2012

SIKANDERPUR-VILLAGAE

यमुना की बाढ़ से उजड़ता-बसता रहा है गांव सिकंदरपुर। विकास की दौड़ में पिछड़ा गांव शिक्षा की रोशनी से हुआ जगमग। युवाओं के सरकारी नौकरी पाने से खुशी का माहौल। अमित शर्मा का एयरफोर्स में हुआ चयन।
अरुण कुमार कैहरबा
यमुना की बाढ़ के चलते बरसों पहले उजड़-उजड़ कर बसा गांव सिकंदरपुर विकास के मामले में पिछड़ा होते हुए भी शिक्षा की रोशनी से जगमग होने लगा है। गांव की बसाहट के बरसों बाद अब गांव के युवा पढऩे लिखने के बाद सरकारी नौकरियों में जगह पा रहे हैं। कुछ दिन पूर्व ही जब अमित शर्मा का एयरफोर्स में चयन हुआ, तो गांव में खुशी का माहौल पैदा हो गया। हालांकि गांव के अधिकतर पढ़े-लिखे युवा अपनी उपलब्धि का श्रेय गांव के राजकीय प्राथमिक स्कूल के अध्यापक विजेन्द्र कुमार को देते हैं, जिन्होंने लगातार 14 वर्षों तक गांव में रहते हुए अपनी निष्ठापूर्वक सेवाएं दी। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इस स्कूल में अब गांव लोग अपने बच्चों को पढ़ाने से कन्नी काट रहे हैं। यही कारण है कि गांव के स्कूल में पढऩे के लिए पड़ौसी गांव के बच्चे जाते हैं।
यमुना के साथ लगता छोटा-सा गांव सिकंदरपुर बरसों पूर्व यमुना की बाढ़ के चलते उजड़ता-बसता रहा है। ग्रामीणों के अनुसार करीब सौ वर्ष पूर्व एक बार नजदीकी गांवों के लोगों के साथ जमीनी झगड़े की वजह से भी गांव को उजडऩा पड़ा था। गांव में करीब 20 घर व सौ वोट हैं। इनमें 10 परिवार ब्राह्मण, 8 जाट, एक परिवार रोड़ और एक बैरागी समुदाय से संबंधित है। गांव के सभी लोगों के पास जमीन है, लेकिन जमीन यमुना क्षेत्र में है। यमुना की बाढ़ हर वर्ष खेती को तबाह कर देती है, जिससे लोगों का जीवन तंगी में गुजर रहा है। यह गांव बदरपुर, बीबीपुर ब्राह्मणान, रंदौली व नगली गांव के साथ लगता है, लेकिन गांव कलसौरा पंचायत का हिस्सा है। इससे यहां के लोगों को पंचायत के काम से कलसौरा में जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि पंचायत द्वारा कोई योगदान नहीं किए जाने के कारण गांव विकास की दौड़ में पिछड़ता जा रहा है।
सिकंदरपुर में पढ़े-लिखे युवाओं के सरकारी नौकरियों में आने के बाद अब रोशनी की किरण जगी है। करीब दो वर्ष पूर्व गांव के जोगिन्द्र शर्मा स्वास्थ्य विभाग में ओटीए नियुक्त होने वाले गांव के पहले सरकारी नौकरीपेशा हुए। इसके बाद युवक सुरजीत प्राथमिक अध्यापक नियुक्त हुए। दो महीने पहले जब गांव में आंगनवाड़ी बनी तो गांव की युवती पूनम इसमें आंगनवाड़ी अध्यापिका तैनात हुई। एक सप्ताह पूर्व गांव के होनहार युवक अमित शर्मा पुत्र बलवान की एयरफोर्स में तैनाती हुई, गांव में उत्सव का माहौल पैदा हो गया। इस खुशी में सारे गांव के लोगों ने एक ही स्थान पर खाना खाया व खुशी मनाई। सामाजिक कार्यकर्ता सुरेन्द्र शर्मा, जसविन्द्र, नम्बरदार वेदप्रकाश, उषा रानी ने बताया कि गांव के युवाओं के सरकारी नौकरी में स्थान बनाना बड़ी उपलब्धि है। इसका सारा श्रेय गांव में कईं सालों तक निष्ठा के साथ पढ़ाने वाले अध्यापक विजेन्द्र को जाता है। युवाओं का कहना है कि शिक्षा के मामले में बेहद पिछड़े इस गांव के लोगों को उन्होंने पढ़ाई का महत्व समझाया। ऐसे अध्यापक यदि सारे स्कूलों में हों तो कोई भी गांव तरक्की कर सकता है।
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में आज भी कोई लडक़ी स्नातक नहीं है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पूनम के अलावा सुनीता, ममता व रेखा बारहवीं पास हैं। गांव के मुख्य मार्ग से दूर होने और क्षेत्र में उच्च शिक्षा संस्थान नहीं होने के कारण लड़कियां उच्च शिक्षा से वंचित हैं। लेकिन आज गांव के सभी बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं। लेकिन सरकारी स्कूल के अध्यापक को शिक्षा की अलख जगने का श्रेय देने वाले इस गांव के प्राथमिक स्कूल में गांव लोग अपने बच्चों को पढ़ाने से कन्नी काटने लगे हैं। यही कारण है कि गांव के स्कूल में अधिकतर नजदीकी गांव हलवाना के सिकलीगर समुदाय के बच्चे पढऩे आते हैं।
गांव के सबसे वरिष्ठ नागरिक बलवंत सिंह, समाजसेवी सुरेन्द्र शर्मा, एमएससी जसबीर, बीटेक अमित, प्रवीन व सतीश ने बताया कि सिकंदरपुर गांव के विकास का मार्ग तभी प्रशस्त होगा, जब गांव की अलग पंचायत बनाई जाएगी या फिर इसे नजदीकी पंचायत में जोड़ा जाएगा।

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