Monday, April 16, 2012

NARESH NARAYAN


समाज परिवर्तन के लिए नाटक को बनाया जीवन लक्ष्य। रंगकर्मी नरेश नारायण गांव-गांव में जगा रहे हैं नाटक की अलख। नुक्कड़ नाटक के जन्मदाता सफ़दर हाश्मी के सपने का चाहते हैं करना पूरा।
अरुण कुमार कैहरबा
नाटक हम दिखाएंगे, दुनिया नई बनाएंगे। यही जज्बा लेकर रंगकर्मी नरेश नारायण गांव-गांव जाकर नाटकों के प्रदर्शन व निर्देशन द्वारा अपने सांस्कृतिक अभियान में लगे हुए हैं। शौकिया तौर पर नुक्कड़ नाटकों से किए नाटकों ने उनकी जीवन दिशा ही बदल दी है। वे नुक्कड़ नाटक के जन्मदाता सफदर हाश्मी के गांव-गांव में नाटक टीम बनाने के सपने को पूरा करने के लिए अपने अभियान में लगे हुए हैं।
करनाल में चल रहे साक्षरता अभियान के तहत नीलोखेड़ी में 2002 में हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति के सहयोग से साक्षरता के प्रचार-प्रसार और सामाजिक बुराईयों के विरूद्ध आंदोलन छेडऩे के उद्देश्य से नुक्कड़ नाटक प्रोडक्शन कार्यशाला का आयोजन किया गया था। कार्यशाला में उपमंडल के छोटे से गांव कैहरबा के नरेश नारायण ने हिस्सा लिया था। कार्यशाला के दौरान खण्ड इन्द्री के अन्य अनेक युवाओं व बच्चों की नुक्कड़ नाटक के जन्मदाता सफदर हाश्मी के नाम पर नाटक टीम का निर्माण किया गया। हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति के सांस्कृति
संयोजक नरेश प्रेरणा व जन नाट्य मंच कुरूक्षेत्र के संयोजक केशव व स्नेहा के निर्देशन में सफदर नाटक टीम ने हरियाणा के समाज में महिलाओं की स्थिति पर आधारित नाटक एक नई शुरूआत तैयार किया। नरेश के अनुसार कार्यशाला के दौरान ही उसके अंदर रूपांतरण की प्रक्रिया शुरू हुई।
इसके बाद गांव-गांव जाकर नाटक करने का सिलसिला शुरू हुआ। गांव में जहां भी सफदर टीम जाती तो गली-गली घूम कर तालियां बजाते हुए नाटक हम दिखाएंगे, दुनिया नई बनाएंगे तथा सुनो कि नाटक बोलता है, भेद सबके खोलता है जैसे नारे लगा कर लोगों को इक_ा करते और सीधे लोगों से रूबरू होते हुए नाटक का मंचन करते। लडक़े और लड़कियों के द्वारा कईं हृदयस्पर्शी और मार्मिक संवादों और अभिनय के ज़रिये लड़कियों की समानता, महिला सशक्तिकरण, परिवार व पंचायतों के लोकतांत्रिकरण के मुद्दे उठाए जाने पर अक्सर समाज के प्रगतिशील लोगों के द्वारा कलाकारों की पीठ थपथापाई जाती तो कईं लोग लडक़े-लड़कियों के एक साथ नाटक करने को अलग नजर से देखकर आलोचना भी करते। इसके बाद मैं नदी आंसू भरी, बच्चे कहां हैं, हम लेंगे ऐसे बदला, लडक़ी पढक़र क्या करेगी, मुंशी प्रेमचंद की कहानी बड़े भाई साहब व सद्गति जैसी कहानियों के रंगमंच के द्वारा यह सिलसिला चलता ही जा रहा है।
नरेश नारायण ने बताया कि उसके बाद उन्होंने नाट्य विधा में ही अपनी प्रोफेशनल कोर्स किया। इस दौरान उन्हें अनेक नामी कलाकारों के साथ भी काम करने का मौका मिला। नरेश दिल्ली में बिगुल नाटक टीम, हरियाणा में शहीद सोमनाथ नाट्य मंच, हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति के साथ मिल कर काम कर रहे हैं। क्षेत्र में अनेक गांवों व स्कूलों में भी नाटकों के निर्देशन में उन्होंने योगदान किया है। नरेश का कहना है कि उन्होंने अनेक स्टेज नाटक भी किए हैं लेकिन सबसे ज्यादा संतुष्टि उन्हें नुक्कड़ नाटक करके मिलती है। उन्होंने कहा कि सफदर हाश्मी, जिनके जन्म दिन 12 अप्रैल को राष्ट्रीय नुक्कड़ नाटक दिवस के रूप में मनाया जाता है, गांव-गांव, शहर-शहर की गली-गली में नुक्कड़ नाटक की टीमें बनाने का सपना देखा था, उसी सपने को पूरा करने के लिए अनेक साथियों के साथ काम कर रहे हैं।


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