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दृष्टिबाधा के बावजूद अनेक कला-कौशलों का उस्ताद है सतीश कुमार। अपने हौंसले के कारण ग्रामीणों का चितेरा और युवाओं का प्रेरणास्रोत।
अरुण कुमार कैहरबा
उपमंडल के गांव ब्याना का रहने वाला सतीश कुमार पाल अपनी दृष्टिबाधा के बावजूद विभिन्न कला-कौशलों का उस्ताद है। दृष्टिबाधा को ठेंगा दिखाते हुए उसने अनोखे हौंसले का प्रदर्शन किया है। आत्मनिर्भरता के कारण गांव के लोग उसकी कुशलताओं का लोहा मानते है और वह युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है।
गडरिया समुदाय के गरीब परिवार में पैदा होने वाला सतीश कुमार जन्म से ही पूरे तौर पर दृष्टिबाधित है। लेकिन सतीश ने आज अपनी दृष्टिबाधा को पीछे छोड़ते हुए गांव में बहु आयामी व्यक्तित्व की पहचान बना ली है। 30 वर्षीय सतीश बारहवीं पास कर चुका है। पढ़ाई के साथ-साथ उसने विभिन्न कौशलों में महारत हासिल की। आज वह कुर्सी बुनाई, खाट बुनाई, निवारी पलंग बनाना और चीड़ी-छक्का बुनने का काम कर सकता है। लेकिन गांव में नियमित रूप से यह काम नहीं मिल पाने के कारण वह पशु पालन का काम करता है। वह दस पशुओं की देखभाल व सानी-पानी सहित विभिन्न प्रकार के काम स्वयं आत्मनिर्भरता के साथ करता है। पशुओं के बीच सतीश को काम करता देखकर पहली बार कोई किसी दुर्घटना से भयभीत हो सकता है। लेकिन जब सतीश पशुओं के साथ बतियाता हुआ उन्हें शाबाशी व उलाहने देता हुआ मिलेगा। तो पशुओं और सतीश का गहरा रिश्ता देखने वाले के समझ आ जाएगा। वह पशुओं की हारी-बिमारी के बारे में भी बहुत सी बातें जानता है।
सतीश का कहना है कि परिवार में पशुपालन का मुख्य काम होने के कारण सुध संभालते ही उसने पशुओं का रस्सा थाम लिया था। उसने बताया कि अब तो ये पशु उसके परिवार के सदस्य भी हैं और संपत्ति भी। उसने बताया कि उसने कुछ दिन पहले ही अपनी बहन को एक झोटी उपहार में दी है। यही नहीं सतीश संगीत कला में भी महारत रखता है। ढ़ोलक, तबला, घड़वा व हरमोनियम बजाने में उसका कोई सानी नहीं है। कईं बार जागरण व संगीत के कार्यक्रमों में उसे बुलाया जाता है। सतीश गाता भी बहुत अच्छा है। वह अपने सामाजिक कामों के कारण ग्रामीणों का चितेरा बना हुआ है। गांव की पाल चौपाल को सार्वजनिक व सामाजिक गतिविधियों का केन्द्र बनाने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। गांव की सामाजिक समस्याओं पर भी उसकी पकड़ है। गांव के तीन तालाबों की जगह पर ग्रामीणों के अवैध कब्जे और गंदे पानी की समस्या को उसने गांव में आयोजित खुले दरबार में उपायुक्त नीलम प्रदीप कासनी के सामने उठाया। इस समस्या को दूर करने के लिए उपायुक्त ने पंचायत को लिखा है।
जब सतीश कुमार से दृष्टिवान लोगों के नकारात्मक नज़रिये के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कईं बार जब बस में युवाओं को गैर जिम्मेदारी व उदासीनता का व्यवहार करते हुए देखता हूं तो उनके दृष्टिवान होने पर शक होता है। उन्होंने कहा कि सामान्य लोगों के साथ-साथ सरकार को भी बाधित लोगों को सुविधाएं व समान अधिकार प्रदान करने के लिए कदम उठाने चाहिएं। गांव के सरपंच अशोक कुमार कांबोज ने बताया कि सतीश कुमार कभी कोई सामाजिक काम नहीं छोड़ता। गांव में भाईचारे को बढ़ाने में हमेशा तत्पर रहता है। उन्होंने कहा कि सतीश की कुशलता व हौंसला युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है।
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