Wednesday, December 14, 2011

STORY OF BRAVERY




कोमल व सिमरण ने कायम की बहादुरी की मिसाल। चार वर्षीय पानी में डूबते सूरज को बचाया।
गांव व आस-पास के गांवों में लड़कियों की बहादुरी की चर्चा। सरपंच ने कहा: शीघ्र ही लड़कियों को किया जाएगा सम्मानित। परिजनों को बेटियों पर गर्व।
अरुण कुमार कैहरबा
समाज में लड़कियों को लडक़ों से कमतर माना जाता है लेकिन जिला करनाल के खंड इन्द्री में पडऩे वाले गांव मनक माजरा की दो नन्हीं लड़कियों ने अपनी उम्र से करीब एक साल कम के लडक़े को डूबने से बचाकर यह साबित कर दिया है कि लड़कियां किसी मामले में कम नहीं है। गांव में घेर में बनाई गई पानी की गहरी होदी के पास खेल रहे बच्चों में जब चार साल के करीब का लडक़ा सूरज डूबने लगा तो पहली कक्षा में पढऩे वाली कोमल व सिमरण ने समझदारी व बहादुरी का परिचय देते हुए कड़ी मशक्कत करते हुए डूबते सूरज को बचा लिया। इस घटना से पूरे गांव व आस-पास के गांवों में लड़कियों की बहादुरी का किस्सा चर्चा का विषय बना हुआ है। गांव के सरपंच बलबीर सिंह चंदेल ने कहा कि वे शीघ्र ही लड़कियों को उनकी बहादुरी के लिए सम्मानित करेंगे।
गांव मनक माजरा के एक किनारे पर बरसालू जाने वाले रास्ते पर सतीश कुमार ने अपना घेर बना रखा है। इस घेर में वे पशुओं को बांधते हैं। इसके लिए उन्होंने वहां पर चारे-पानी की व्यवस्था कर रखी है। पशुओं को पानी पिलाने के लिए उन्होंने वहां पर एक गहरी होदी या चबच्चा बना रखा है। रविवार 11 दिसंबर, 2011 को यहां पर सतीश की पांच वर्षीय बेटी सिमरण, इसकी उम्र की काजल पुत्री गुलाब सिंह व पिंकी तथा चार वर्षीय सूरज पुत्र सोहन लाल खेल रहे थे। सिमरण व काजल ने बताया कि खेलते-खेलते सूरज पानी की होदी पर चढक़र दिवार पर रखी कोई वस्तु उठाने लगा तो दिवार की ईंट कच्ची होने के साथ खिसक गई और सूरज पानी की गहरी होदी में गिर गया। इस पर बच्चा डूबते हुए जान बचाने के लिए गुहार लगाने लगा। नज़दीक ही खेल रही काजल व सिमरण सूरज को बचाने में लग गई। उन्होंने होदी के ऊपर खड़े होकर कड़ी मशक्कत करते हुए सूरज को गहरी होदी से निकाला और बाहर निकाल कर उसे उल्टा लिटा करके उसमें से पानी निकाला। लड़कियों ने बताया कि जब वह होदी के पास आई तो सूरज होदी के पानी में नीचे जा रहा था। दोनो बच्चियों ने हार नहीं मानी और सूरज को पानी से बाहर निकाल दिया। इतने में परिजन घटनास्थल पर पहुंच गए और सूरज को संभाल लिया।
इस घटना का पता चलते सूरज की मां कुसुम दौड़ी हुई आई और दोनों लड़कियों को नम आंखों से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बेटे की सलामती पर वे खुश हैं। लड़कियों की बहादुरी का चर्चा उनके गांव ही नहीं आस-पास के गांवों में भी फैल रहा है। अध्यापक मान सिंह व जगदीश ने बताया कि काजल गांव के राजकीय प्राथमिक स्कूल की पहली कक्षा में पढ़ती है और अन्य गतिविधियों के साथ पढ़ाई में भी होशियार है। सिमरण बरसालू के राईजिंग सन पब्लिक स्कूल की पहली कक्षा में पढ़ती है। सिमरण की दादी गुणवती व मां रेखा तथा काजल की मां पिंकी ने कहा कि हम चाहते हैं कि ऐसी बेटियां हर घर में पैदा हों। उन्होंने कहा कि डूबते बच्चे को बचाने की घटना से उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है।
सरपंच एसोसिएशन के प्रधान व गांव के सरपंच बलबीर चंदेल ने कहा कि उन्हें ऐसी बहादुर बेटियों पर गर्व है और शीघ्र लड़कियों को उनकी बहादुरी के लिए सम्मानित करेंगे।

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