राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया
देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना कलाम को दी श्रद्धांजलि
भाषण प्रतियोगिता में मानसी, मुस्कान, तृप्ति व रूक्मणी ने पाया पुरस्कार
मौलाना अबुल कलाम आधुनिक शिक्षा के शिल्पकार: अरुण
यमुनानगर, 11 नवंबर
गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम के दौरान हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार की अगुवाई में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें नौवीं कक्षा की छात्रा मानसी, मुस्कान, तृप्ति व रूक्मणि ने अग्रणी स्थान प्राप्त किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्याध्यापक विपिन कुमार मिश्रा ने की। मुख्याध्यापक विपिन कुमार, सेवानिवृत्त मुख्याध्यापक एवं विज्ञान अध्यापक विजय गर्ग और ईएसएचएम विष्णु दत्त ने विद्यार्थियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, पत्रकार, संपादक एवं विचारक थे। 11 नवंबर, 1888 को उनका साउदी अरब के मक्का में जन्म हुआ। बाद में परिवार कलकत्ता में आ गया। बचपन से ही कलाम को पढऩे का चाव था। घर पर रह कर ही उन्होंने अरबी व फारसी का ज्ञान प्राप्त किया। वे घर से मिलने वाली जेब खर्ची को किताबें लेने के लिए इस्तेमाल करते थे। घर का माहौल सख्त अनुशासन में बंधा हुआ था। साढ़े नौ बजे के बाद घर में कोई बच्चा जाग नहीं सकता है। ऐसे में अबुल कलाम ने अपने अपने पढऩे की चाव को पूरा करने के लिए मोमबत्तियां खरीदी। जब परिवार के सभी सदस्य सो जाते थे तो वे मोमबत्ती जलाकर किताबें पढ़ते थे। एक रात को किताब पढ़ते हुए मोमबत्ती से उनका बिस्तरा भी जल गया था। उन्होंने बताया कि 1912 में अबुल कलाम ने साप्ताहिक निकाला और अंग्रेजी साम्राज्य के विरूद्ध जमकर लिखा। इससे परेशान अंग्रेजों ने साप्ताहिक पर प्रैस एक्ट के तहत पाबंदी लगा दी। मौलाना ने दूसरी पत्रिका निकाली। फिर अंग्रेजों ने उन्हें कलकत्ता छोडऩे के लिए विवश कर दिया। वे रांची में जाकर रहे। वहां पर भी अंग्रजों ने उन्हें नजरबंद कर लिया। पत्रकार से वे राष्ट्रीय नेता के रूप में पहचान बना रहे थे। 1920 के आसपास महात्मा गांधी से उनकी भेंट हुई। गांधी के व्यक्तित्व ने उनका पर खासा प्रभाव डाला। मौलाना अबुल कमाल ने असहयोग आंदोलन व भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। 8 अगस्त, 1942 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जेल में रहते हुए उनकी पत्नी का देहांत हो गया। कृतज्ञ देशवासियों ने बेगम कलाम का स्मारक बनाने के लिए एक स्मृति कोष बनाया। कोष में लोगों में खूब आर्थिक सहयोग किया। तीन साल के करीब का कारावास काटने के बाद मौलाना को रिहा किया गया। जब मौलाना को कोष के बारे में बताया गया तो वे बहुत नाराज हुए। उन्होंने कोष के सारे धन को इलाहाबाद में कमला नेहरू अस्तपाल के लिए दे दिया।
अरुण कैहरबा ने कहा कि आजादी के बाद देश को धर्म के आधार पर बांटने का आजाद ने विरोध किया। उन्होंने हमेशा साम्प्रदायिक सद्भाव और एकता की पक्षधरता की। आजादी के बाद मौलाना अबुल कमाल आजाद देश के पहले शिक्षा मंत्री बने। शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न संस्थाओं की स्थापना की। उन्होंने सीबीएसई, यूजीसी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, आईआईटी खडग़पुर सहित अनेक संस्थानों का गठन किया। वे सभी बच्चों को अच्छी और मुफ्त शिक्षा देना चाहते थे। उन्होंने लड़कियों, समाज के कमजोर वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए काम किया।
आजाद जैसी शख्सियतों से मिलती है प्रेरणा: विपिन मिश्रा
मुख्याध्यापक विपिन कुमार ने सभी बच्चों को मन लगाकर पढऩे का संदेश देते हुए कहा कि मौलाना अबुल कमाल आजाद जैसी शख्सियतों से हमें प्रेरणा मिलती है। उनसे प्रेरणा लेकर हमें शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा से ही इन्सान की शोभा बढ़ती है। शिक्षा के बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते। उन्होंने कहा कि अबुल कलाम के जन्मदिन को शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। सभी विद्यार्थियों को पढ़ाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
मोबाइल से बचें, किताबों से बढ़ाएं दोस्ती: विजय गर्ग
विज्ञान अध्यापक विजय गर्ग ने कहा कि उनके विद्यार्थी काल में वे स्वयं थोड़े-थोड़े रूपये जमाकर किताबें खरीदते थे। किताबों से ही विद्यार्थी की शोभा बढ़ती है और किताबें ही ज्ञान का सागर है। उन्होंने कहा कि आज बच्चे मोबाइल के साथ अपना ज्यादा समय बिता रहे हैं, जोकि अच्छा नहीं है। मोबाइल का अधिक प्रयोग हमारे मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है। इसलिए सभी विद्यार्थी किताबों के साथ दोस्ती बढ़ाएं।
मेहनत से मिलेगी मंजिल: विष्णु दत्त
ईएसएचएम विष्णु दत्त ने कहा कि मेहनत और लगन विद्यार्थियों का गहना होता है। मेहनत के साथ किया गया कोई भी काम बेकार नहीं जाता। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों को मेहनत करने का संदेश दिया।
योजना बनाकर करें पढ़ाई: रजनी शास्त्री/सुखिन्द्र कौर
संस्कृत अध्यापिका रजनी शास्त्री व पंजाबी अध्यापिका सुखिन्द्र कौर ने कहा कि परीक्षाओं का समय नजदीक आ रहा है। मौसम के लिहाज से यह समय पढ़ाई के लिए बहुत अनुकूल है। इसलिए अपनी समय सारणी बना कर पढ़ाई के कार्य में जुट जाएं। इस मौके पर सामाजिक विज्ञान अध्यापिका राज रानी, कम्प्यूटर शिक्षिका डिंपल, एलए रवि कुमार, राजेन्द्र कुमार उपस्थित रहे।
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