बिस्मिल, अशफाक व रोशन सिंह की शहीदी दिवस विशेष
क्रांतिकारियों की शहादतें लोगों को देती रहेंगी प्रेरणाJAGAT KRANTI 19-12-2020
अरुण कुमार कैहरबा
आजादी की लड़ाई में क्रांतिकारियों का जोश, जज्बा और विचारशीलता शहादतों की ऐसी अमर कहानियां दे गई, जोकि सदियों तक देश में सुनी-सुनाई जाती रही रहेंगी और देश की जनता को आजादी की लड़ाई की याद दिलाकर आजादी व लोकतंत्र को बनाए रखने का संदेश देती रहेंगी। स्वतंत्रता आंदोलन में शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को जिस तरह से एक ही दिन 23 मार्च, 1931 को शहादत दी गई थी। उनसे भी पहले अशफाक उल्ला खान, रामप्रसाद बिस्मिल और रोशन सिंह को 19 दिसंबर, 1927 को शहादत दी गई। ये सभी शहादतें एक ही लक्ष्य देश की आजादी और समतापूर्ण व न्यायसंगत समाज के लिए दी गई और एक ही शृंखला की कडिय़ां हैं।
रामप्रसाद बिस्मिल का जन्म 11जून, 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में माता मूलारानी और पिता मुरलीधर के घर पर पहुआथा। बिस्मिल बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। क्रांतिकारी के साथ वे एक संवेदनशील कवि, शायर और अनुवादक भी थे। बिस्मिल के अलावा राम और अज्ञात उनके तखल्लुस थे। 30 साल के जीवनकाल में उनकी 11 पुस्तकें प्रकाशित हुई। अंग्रेजी सरकार ने उनकी किताबों को जब्त कर लिया। बचपन से ही उन पर देश की आजादी का जुनून सवार हो गया था। मैनपुरी कांड के दोषियों पर कार्रवाई के कारण इन्हें दो साल भूमिगत होकर रहना पड़ा। पुलिस से बचने के लिए अनेक साहसी कारनामे किए। बाद में भगत सिंह और चन्द्रशेखर आजाद जैसे वीरों के संपर्क में आए और हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के साथ जुड़ गए। एसोसिएशन के एक ऑपरेशन में 9 अगस्त, 1925 को काकोरी में ट्रेन से ले जाया जा रहा सरकारी खजाना लूटा तो 26 सितंबर, 1925 को पकड़ लिए गए और जेल में भेज दिए गए। मुकद्दमे में अशफाक उल्ला खां, राजिन्द्र लाहिड़ी और रोशन सिंह के साथ उन्हें फांसी की सजा सुना दी गई। गोरखपुर जेल में जब उन्हें फांसी पर चढ़ाया गया तो उन्होंने मशहूर शायर ‘बिस्मिल अजीमाबादी’ की गजल का शेर- ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है’ पूरे जोशोखरोश के साथ बोला।
कभी तो कामयाबी पर मेरा हिन्दोस्तां होगा, रिहा सैयाद के हाथों से अपना आशियां होगा जैसी पंक्तियों के शायर अशफाक उल्ला खां का जन्म 22 अक्टूबर 1900 को उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर जिले के जलालनगर में माता मजहूर उन निसा और पिता मोहम्मद शफीक उल्ला खान के घर हुआ था। अशफाक परिवार में सबसे छोटे थे और उनके तीन बड़े भाई थे। परिवार में सब उन्हें प्यार से अच्छू कह कर पुकारते थे। अशफाक बचपन से ही शायरी के शौकीन थे और ‘वारसी’ व ‘हसरत’ उपनाम से शायरी करते थे। 1922 में असहयोग आंदोलन के दौरान शाहजहांपुर में बिस्मिल ने एक बैठक का आयोजन किया। बैठक में बिस्मिल ने कविता पढ़ी और अशफाक ने आमीन करके कविता की तारीफ की। दोनों का परिचय हुआ। अशफाक ने अपना परिचय रियासत खान के छोटे भाई और शायर के रूप में करवाया। दोनों की दोस्ती हो गई। बिस्मिल के संगठन मातृवेदी के साथ भी अशफाक का जुड़ाव हो गया। अशफाक पर महात्मा गांधी का खासा प्रभाव था। लेकिन असहयोग आंदोलन वापिस लिए जाने के बाद अन्य युवाओं के साथ अशफाक भी निराश हुए। काकोरी कांड में दोषी के रूप में उन्हें फैजाबाद की जेल में फांसी दी गई। आजादी की लड़ाई में बिस्मिल और अशफाक की दोस्ती बेमिसाल है।
ठाकुर रोशन सिंह का जन्म उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर के गांव नबादा में 22 जनवरी 1892 को हुआ था। उनकी माता का नाम कौशल्या देवी और पिता का नाम ठाकुर जंगी सिंह था। परिवार आर्य समाज से जुड़ा था। रोशन सिंह पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। असहयोग आंदोलन में शाहजहांपुर व बरेली में रोशन सिंह ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। बरेली में हुए गोली कांड में पुलिसवाले से रायफल छीन कर जबरदस्त फायरिंग की। बाद में मुकद्दमा चला और रोशन सिंह को दो साल की बामशक्कत कैद की सजा हुई। काकोरी कांड में रोशन सिंह शामिल नहीं हुए थे। उन्हीं की उम्र में केशव चक्रवर्ती काकोरी खजाना लूटने में शामिल थे। लेकिन शक्ल मिलने के कारण सजा रोशन सिंह को हुई। इलाहाबाद में नैनी स्थित मलाका जेल में उन्हें फांसी दी गई। दोस्त को लिखे पत्र में उन्होंने यह शेर लिखा था-‘जिन्दगी जिन्दा-दिली को जान ऐ रोशन! वरना कितने ही यहाँ रोज फना होते हैं।’ काकोरी कांड में चौथे प्रमुख आरोपी राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी को बिस्मिल, अशफाक और रोशन सिंह से दो दिन पहले 17 दिसंबर, 1927 को फांसी दी गई। वंदे मातरम की हुंकार भरते हुए लाहिड़ी ने हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया। उन्होंने कहा था- ‘मैं मर नहीं रहा हूँ, बल्कि स्वतन्त्र भारत में पुनर्जन्म लेने जा रहा हूँ।’
अरुण कुमार कैहरबाहिन्दी प्राध्यापक, स्तंभकार, लेखक
वार्ड नं.-4, रामलीला मैदान,
इन्द्री, जिला-करनाल, हरियाणा, पिन-132041
मो.नं.-94662-20145
NAVSATTA 19-12-2020 |
VIR ARJUN 19-12-2020 |
JAGMARG |
No comments:
Post a Comment