भाषायी विविधता देश की शान, हर भाषा का करें सम्मान: अरुण
अपनी बोली-भाषा बोलने में शर्म ना करें
मातृभाषा दिवस पर प्रश्रोत्तरी व लेखक परिचय सुनाने की हुई प्रतियोगिता
प्रश्रोत्तरी में प्रेमचंद टीम प्रथम व जाबिर हुसैन टीम ने पाया दूसरा स्थान
गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि भाषाएं जोड़ती हैं, तोड़ती नहीं। अपनी भाषा को बोलने में शर्म नहीं करनी चाहिए और उसे अपने गहरे भावों व विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया जाना चाहिए। साथ ही दूसरी भाषाओं का सम्मान भी करना चाहिए।कार्यक्रम के दौरान नौवीं कक्षा के हिन्दी के पाठ्यक्रम पर आधारित प्रश्रोत्तरी एवं लेखक परिचय सुनाने की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई।
प्रश्रोत्तरी के लिए हिन्दी प्राध्यापक अरुण कैहरबा के मार्गदर्शन में कक्षा के सभी विद्यार्थियों को टीमों में बांटा गया और फिर टीमों ने प्रश्रोत्तरी में हिस्सा लिया। प्रतियोगिता में मुंशी प्रेमचंद टीम ने पहला स्थान प्राप्त किया। टीम में प्रीति, वीशू, नैंसी, विशाखा ने हिस्सा लिया। दूसरा स्थान हासिल करने वाली जाबिर हुसैन टीम में लवकेश, प्रशांत, रोहन व अमित शामिल रहे। चपला देवी टीम की छात्राएं- कीर्ति, संजना, रेनू, प्रीति, सपना व दीपाक्षी तीसरे स्थान पर रही। महक व साक्षी ने स्कोरर की भूमिका निभाई।
संजना ने द्विवेदी युग की लेखिका चपला देवी का परिचय सुनाकर पाया पहला स्थान-
लेखक परिचय सुनाने की प्रतियोगिता में संजना ने द्विवेदी युग की लेखिका चपला देवी का परिचय सुनाकर प्रथम स्थान प्राप्त किया। प्रीति ने राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय सुनाकर द्वितीय और वीशू ने जाबिर हुसैन का परिचय सुनाकर तीसरा स्थान प्राप्त किया। हजारी प्रसाद द्विवेदी का परिचय सुनाने वाली कीर्ति व मुंशी प्रेमचंद का परिचय सुनाने वाले लवकेश, श्यामाचरण दूबे का परिचय सुनाने वाली छात्रा मोनिका ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया।अरुण कैहरबा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि मातृभाषा वह भाषा है जो बच्चा अपनी मां व परिवार से स्वाभाविक रूप से सीखता है। सुख-दुख के पल में हमारी अभिव्यक्ति इसी भाषा में होती है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा दिवस का संदेश यही है कि हमें अपनी बोली-भाषा में बोलने में शर्म व संकोच नहीं करना चाहिए। वहीं अन्य भाषाओं का सम्मान भी करना चाहिए। सभी भाषाएं समाज में एकता व प्यार बढ़ाने के लिए हैं। उन्होंने कहा कि हमारा समाज बहुभाषी समाज है। हमारे देश में अनेक भाषाएं सुनने को मिल जाएंगी। यह भाषायी विविधता हमारे देश की शान है। इस शान को बढ़ाने के लिए हमें अपनी भाषा हिन्दी सहित अन्य भाषाएं भी सीखनी चाहिएंं।
संस्कृत अध्यापिका रजनी शर्मा ने विद्यार्थियों को हिन्दी भाषा की महत्ता के बारे में बताते हुए कहा कि हिन्दी एक वैज्ञानिक भाषा है। इस मौके पर प्राध्यापक संदीप अहलावत, ईएसएचएम विष्णु दत्त, ओमप्रकाश, सुखिन्दर कौर, मंजू, डिंपल, रवि, राजेन्द्र उपस्थित रहे।
No comments:
Post a Comment