Tuesday, January 28, 2020


धूमधाम से मनाया गणतंत्र दिवस समारोह
गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में गणतंत्र दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया। गांव की सरपंच उपनीत कौर, पढ़ी-लिखी लड़की काजल, शिल्पा सैनी ने संयुक्त रूप से ध्वजारोहण किया। स्कूल में विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से समां बांध दिया। मिश्री का माजरा गांव के सरपंच राम हुसन की तरफ से उनके भाई हरिदास, स्कूल प्रबंधन कमेटी की प्रधान मीनू, ईएचएम विष्णु दत्त व मुख्य शिक्षिका उषा ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने किया। कार्यक्रम में एक साल के अंतराल में पैदा हुई लड़कियों को सम्मानित किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम का संयोजन अध्यापिका रजनी व वंदना ने किया। प्राध्यापक संदीप अहलावत, अध्यापक ओम प्रकाश, सुखिंद्र कौर, सुल्तान सिंह ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय योगदान किया। पंचायत की तरफ से सरपंच उपनीत कौर व राजेंद्र सिंह ने विद्यार्थियों को लड्डू का प्रसाद वितरित किया।





































Pariksha pe Charcha In Gian Jyoti Public School Muradgarh


शिक्षा दुनिया का खूबसूरत रास्ता: अरुण
परीक्षाओं की तैयारी को लेकर विद्यार्थियों ने पाया मार्गदर्शन

गांव मुरादगढ़ स्थित ज्ञान ज्योति पब्लिक स्कूल में नौवीं व दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए तनाव मुक्त परिवेश में परीक्षाओं की तैयारी विषय पर मार्गदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने मुख्य वक्ता के रूप में विद्यार्थियों के साथ बातचीत की। विद्यार्थियों ने प्रश्र पूछ कर अपनी भावनाएं रखी, जिनका मुख्य वक्ता ने जवाब दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल चेयरमैन सदा सुख कांबोज ने की। इस मौके पर स्कूल प्रबंधक नीलम कांबोज विशेष रूप से मौजूद रही।
अरुण कैहरबा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का रास्ता दुनिया का सबसे खूबसूरत रास्ता है। यह रास्ता ज्ञान, समझ और आनंद से भरपूर है। मानव की जिज्ञासाओं और उत्सुकता की भूख इस रास्ते पर चल कर पूरी होती है। यह रास्ता हमें जीवन की ऊंचाइयों तक पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहानी के जरिये विद्यार्थियों को खुद पर ध्यान देने और मिलकर सीखने का संदेश देते हुए कहा कि कुदरत ने सभी को प्रतिभावान बनाया है। इस प्रतिभा की पहचान करना व उसे निखारना हम सबकी जिम्मेदारी है। अध्यापक इसके लिए काम करते हैं, लेकिन जो विद्यार्थी अपनी प्रतिभा की पहचान करके अपने लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं और उस दिशा में कड़ी मेहनत करते हैं, उन्हें आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि विद्यार्थीकाल जीवन का स्वर्णयुग है। इस दौरान की गई मेहनत पूरे जीवन की आधारशिला का कार्य करती है। उन्होंने कहा कि परीक्षाओं के दिनों में अनेक प्रकार के प्रलोभन हमारा रास्ता रोकने की कोशिश करते हैं। जो विद्यार्थी दृढ़ता के साथ प्रलोभनों के चक्कर में नहीं पड़ते, वे सफल होते हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को पर्याप्त मार्गदर्शन व अवसर नहीं मिल पाने के कारण भी वे पिछड़ जाते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को घर में पढऩे की जगह निर्धारित करने और योजना बनाकर परीक्षाओं की तैयारी में जुटने का संदेश दिया।




उन्होंने कहा कि परीक्षाएं शिक्षण का अभिन्न अंग हैं। मूल्यांकन की व्यापक प्रक्रिया से विद्यार्थियों को अपनी प्रगति का पता लगता है। इसी प्रकार लिखित परीक्षाएं विद्यार्थियों के आगे बढऩे में निर्णायक की भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा कि परीक्षाओं को लेकर विद्यार्थियों का रवैया सकारात्मक और स्पर्धी होना चाहिए। परीक्षा की तैयारी के लिए योजना और प्रबंधन की जरूरत है। जो विद्यार्थी योजना बनाकर अपने काम में जुटते हैं और योजना के अनुरूप कार्य की गति और स्थिति को जांचते रहते हैं, उनकी सफलता की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि परीक्षा की तैयारी करते हुए सभी विषयों पर संतुलित ध्यान दें। किसी विषय पर अधिक ध्यान देना और किसी विषय को नजऱंदाज़ कर देना सफलता के मार्ग की बाधा बन सकता है। तैयारी के दौरान अपनी खूबियों और कमजोरियों को चिह्नित करना जरूरी है। किसी विषय के किसी हिस्से में कमजोर होने पर विद्यार्थियों को अध्यापकों से उचित मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए। अरुण कैहरबा ने कहा कि परीक्षा से पूर्व और दौरान अच्छा स्वास्थ्य निहायत ज़रूरी है। बिमारी की अवस्था में समय और धन खराब होगा। पढ़ाई पर ध्यान नहीं रह पाएगा। उन्होंने कहा कि अच्छा भोजन, शुद्ध पानी स्वास्थ्य की पूर्व शर्त है। अत: आजकल घर का बना सादा एवं पौष्टिक भोजन ही लें। 
स्कूल चेयरमैन सदासुख कांबोज ने कहा कि विद्यार्थियों का भविष्य उनके अपने हाथ में है। समय की कद्र करते हुए निरंतर पढऩा और समझे गए पाठों का नियमित रूप से अभ्यास करना जरूरी है। उन्होंने विद्यार्थियों को अपने माता-पिता व गुरूजनों का आदर करने और उनकी भावनाओं को समझ कर कदम उठाने का भी संदेश दिया। इस मौके पर नीलम कांबोज ने भी विद्यार्थियों को संदेश दिया।

Thursday, January 23, 2020

SUBHASH CHANDER BOSS JAYANTI IN GHS KARERA KHURD

आजादी की लड़ाई में नेताजी सुभाष बोस जैसा रणनीतिकार योद्धा दूसरा नहीं: अरुण

जयंती पर नेताजी के आजादी की लड़ाई में योगदान पर संगोष्ठी आयोजित

गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर आजादी की लड़ाई में नेताजी का योगदान विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि भारत की आजादी की लड़ाई अनेक वीरों के साहस और बलिदान से भरी हुई है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस उनमें एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। जनता में नेताजी के नाम से लोकप्रिय सुभाष बोस ने जय हिंद, तुम मुझे खून दो-मैं तुम्हें आजादी दूंगा और दिल्ली चलो आदि नारों से भारत ही नहीं दुनिया के विभिन्न देशों में गए भारतीयों में देशभक्ति व जोश का संचार किया। दिल में आजादी की गहरी तड़प होने के कारण उन्होंने अंग्रेजी सरकार में आईसीएस अधिकारी की नौकरी छोड़ दी और देश को अंग्रेजी साम्राज्यवादी शासन से मुक्ति दिलाने की लड़ाई में कूद पड़े। उस समय आजादी की लड़ाई का नेतृत्व कर रही कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। उनके क्रांतिकारी कदमों के कारण उन्हें कईं बार जेल जाना पड़ा। अंग्रेजी सरकार ने उन्हें उनके ही घर में नजरबंद कर लिया। अंग्रेजों को चकमा देकर वे काबुल से होते हुए जर्मनी पहुंचे। हिटलर और जर्मनी के नेताओं से मिलकर देश की आजादी की लड़ाई में सहयोग का आश्वासन प्राप्त किया। बोस ने आजाद हिन्द फौज की स्थापना की। उनमें आजादी के लिए जोश भरा और भारत की तरफ कूच किया। दूसरे विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद वे रूस से सहयोग जुटाने के लिए हवाई जहाज से निकले, लेकिन रास्ते में लापता हो गए। अरुण कैहरबा ने कहा कि आजादी की लड़ाई में दुनिया के विभिन्न देशों का सहयोग जुटाने में सुभाष बोस जैसा रणनीतिकार व योद्धा दूसरा दिखाई नहीं देता। उनका जीवन और आजादी की लड़ाई में उनका योगदान हम सबके लिए प्रेरणास्रोत है। संगोष्ठी के दौरान पीहू, अनु, सुमित, सुमन विश्वास, मधु सहित विद्यार्थियों ने प्रस्तुति दी। इस मौके पर प्राध्यापक संदीप अहलावत, अध्यापक ओमप्रकाश, सुखिन्द्र कौर, रजनी, वंदना, अमरनाथ धीमान, उषा, किशोरी लाल, सुल्तान सिंह, डिंपल व लवकेश उपस्थित रहे।

Thursday, January 9, 2020

SKILL DEVELOPMENT & FUN CAMP IN GMS DHANOURA JAGIR, INDRI (KARNAL)

किताबें सर्वोत्तम विचारों भावों व कल्पनाओं का खजाना

बच्चों ने सीखी कागज की टोपियां बनाना

स्किल डवलपमेंट व फन कैंप में तालियों व गीतों से गूंज उठा स्कूल का आंगन



इन्द्री, 9 जनवरी 
उपमंडल के गांव धनौरा जागीर स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय में चल रहे स्किल डवलपमेंट एंड फन कैंप में बृहस्पतिवार को हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने बच्चों को ओरिगेमी कला के माध्यम से विभिन्न प्रकार की टोपियां बनाना सिखाया। सिर पर टोपियां धारण किए बच्चों के चेहरों पर हंसी, खुशी, तालियों के संगीत और गीतों के गायन से स्कूल का प्रांगण गूंज उठा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कैंप प्रभारी राकेश शास्त्री व हिनौरी क्लस्टर की एबीआरसी गुरचरण कौर ने की। शिविर में विज्ञान अध्यापक संजीव सैनी ने बच्चों को क्ले मॉडलिंग सिखाई। बीआरपी रविन्द्र शिल्पी, विपिन कुमार, धमेन्द्र, एबीआरसी युगल किशोर व डॉ. बारू राम ने शिविर में चल रही गतिविधियों का निरीक्षण किया।

रिसोर्स पर्सन के रूप में हिस्सा ले रहे हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने विद्यार्थियों को कागज की टोपियां बनाना सिखाया। गांधी टोपी, हिमाचली टोपी, राजा टोपी, सेनापति टोपी, शैफ टोपी और डिग्री लेते हुए विद्यार्थियों द्वारा पहनी जाने वाली टोपी खुद बनाना सीख कर बच्चों ने पहनी तो भिन्न-भिन्न प्रकार के भाव उनके चेहरों पर तैर रहे थे।









अरुण कैहरबा ने बच्चों को रंगकर्मी सफदर हाश्मी द्वारा लिखी गई कविता- किताबें और राजेश उत्साही का गीत- आलू मिर्ची चाय जी सिखाया। सिर पर टोपी पहने बच्चों ने उत्साह के साथ गीत गाए। साथ ही भिन्न-भिन्न प्रकार की तालियों के संगीत ने समां बांध दिया।


अरुण कैहरबा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त हैं, जो हमें आगे बढ़ाती हैं। किताबें खाली समय की सबसे सच्ची साथी हैं, जिनसे मनोरंजन भी होता है और ज्ञान भी मिलता है। उन्होंने कहा कि सर्दियों की छुट्टियों में जब रजाई बहुत प्रिय लगती है, ऐसे में किताबें आगे बढ़ते हुए समय गुजारने का सबसे अच्छा माध्यम हैं। किताबों का संग बच्चों को अनेक प्रकार की बुराईयों से बचा सकता है। किताब पढ़ कर हम सोचने को मजबूर होते हैं। किताबें सर्वोत्तम विचारों, भावों और कल्पनाओं का खजाना हैं। उन्होंने कहा कि समाज की अनेक प्रकार की समस्याओं का मुख्य कारण निठल्लापन और बुराईयां हैं। कहा भी गया है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। विचारहीनता की स्थिति में लोग गलत विचारों का अनुसरण करने लगते हैं। छुट्टियों में बच्चों को मोबाइल पर गेम खेलते हुए देखा जा सकता है। लेकिन यह विकल्प नहीं है। उन्होंने बच्चों को मोबाइल व इंटरनेट का प्रयोग सोच-समझ कर बहुत ही कम करने का संदेश दिया और अधिक समय किताबें पढऩे, बड़ों के साथ बातें करने और दोस्तों के साथ खेलने में बिताने के लिए कहा। उन्होंने स्कूल पुस्तकालय की किताबों से पढऩे की शुरूआत करने का आह्वान किया। 


एबीआरसी युगल किशोर, बारूराम, विपिन कुमार व रविन्द्र शिल्पी ने बच्चों को शिविर में सीखी गई चीजों को घर में प्रयोग करने का संदेश दिया। संजीव सैनी ने बच्चों को मिट्टी के फल, सब्जियां व पक्षी बनाना सिखाया। उन्होंने बच्चों को पीटी व शारीरिक क्रियाएं भी सिखाई। 
मुख्याध्यापक रिषीपाल, शिविर प्रभारी व संस्कृत अध्यापक राकेश कुमार शास्त्री व एबीआरसी गुरचरण ने बताया कि छह जनवरी को शिविर की शुरूआत हुई थी। दस जनवरी को समापन होगा। हर रोज भिन्न प्रकार की गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। शिविर में कृषि विभाग से शशिकांत, बागवानी विभाग से अंकित, डाक विभाग से कमलेश देवी, स्वास्थ्य विभाग से राजेश कुमारी और धनौरा जागीर पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंधक बच्चों को अपने-अपने विभागों के बारे में बता चुके हैं। इस मौके पर महक, नीतू, अनुपमा, आशिफा, किरण, खुशी, अंजलि, आसमां, अनिकेत, नितिन, तमन्ना, शीतल, आरजू, सूरज, नीटू, जगदीप, अनामिका सहित अनेक बच्चों ने सक्रिय हिस्सेदारी की।