एकता और विकास का सशक्त माध्यम है सैर-सपाटा
अरुण कुमार कैहरबा
मानव जीवन केवल धन कमाने के लिए नहीं है। धन इसलिए कमाया जाता है ताकि जरूरतें पूरी हो सकें। हमारे देश में जरूरतें पूरी करते हुए धन कमाते-कमाते कईं बार जीवन का ही अवमूल्यन हो जाता है और धन कमाना लक्ष्य बन जाता है। अब जरूरतों की बात की जाए तो आनंद, ज्ञान और अनुभव प्राप्ति मानव जीवनDAINIK SAVERA TIMES 27-9-2017 |
DAINIK JAGMARG 27-9-2017 |
सैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहां,
जिंदगानी गर रही तो ये जवानी फिर कहां।
ख्वाजा मीर साहब ही नहीं दुनिया में अनेक दार्शनिकों ने सैर-सपाटे की अहमियत को बताया है। पर्यटन की अहमियत पर हिन्दी के जाने-माने साहित्यकार एवं दुनिया की सैर करके सीखते रहे राहुल सांकृत्यायन ने इसको लेकर पूरा ‘घुमक्कड़-शास्त्र’ ही लिख रखा है। दुनिया को एक सूत्र में पिरोने और ज्ञान का प्रसार करने में घुमक्कड़ों का बड़ा योगदान रहा है। एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमने वाले व्यक्ति नए अनुभव अर्जित करते हुए अपने अनुभवों से दूसरों को परिचित करवाते हैं और अनेक प्रकार की भ्रांतियों और पूर्वाग्रहों को दूर करते हैं। एक छोटे से दायरे में रहने के कारण हम अपने बारे में मिथ्या धारणाएं पाल लेते हैं। कईं बार अपने को कम आंकने लगते हैं और दूसरों को ज्यादा तथा कईं बार इसका उलट होता है। दूसरे स्थान पर जाने से स्थितियों और वातावरण के अनुकूल जीवन के विविध रूपों, परंपराओं और रीति-रिवाजों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। घूमने का आनंद तो सभी को रोमांचित कर देता है।
आज पर्यटन सामाजिक-सांस्कृतिक आदान-प्रदान ही नहीं आर्थिक तरक्की का भी मुख्य जरिया है। जिस स्थान पर लोग घूमने के लिए जाते हैं, वहां के लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं। इससे लोगों के जीवन में खुशहाली आ सकती है। दुनिया भर में अनेक स्थान घूमने का आनंद लेने के लिए बेहतर माने जाते हैं। भारत में भी अनेक स्थानों पर दुनिया भर के पर्यटक खिंचे चले जाते हैं। कुछ ऐसी समस्याएं भी हैं, जोकि किसी पर्यटक स्थान पर लोगों को आने से रोकती हैं। भारत में कश्मीर ऐसा ही स्थान है, जहां पर सुंदर प्राकृतिक नजारों के बावजूद आतंकवाद और अशांति की खबरें लोगों को वहां जाने से रोक देती हैं। हमारे देश की भौगोलिक, प्राकृतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधताओं के कारण पर्यटन के विकास की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन उन संभावनाओं का हम फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण तो कुप्रबंधन, अस्वच्छता एवं गंदगी है। सफाई की स्वस्थ आदतों के अभाव में हमने पूरे देश को कूड़दान में तब्दील कर दिया है। कहीं भी कूड़ा डालने की प्रवृत्ति के कारण हमने अपने वैश्विक धरोहर के रूप में विख्यात स्थानों को भी गंदा कर दिया है। हमारे अनेक स्थान तो सरकारी उपेक्षा का शिकार हैं। इसे अपने ही शहर के उदाहरण के द्वारा बयां करुं तो ज्यादा ठीक होगा। हरियाणा के शहर इन्द्री में शहर के इतिहास के दो महत्वपूर्ण स्थान हैं। एक इन्द्री का किला और दूसरा शीशमहल। किले को उजाड़ कर लोगों ने कब्जे कर लिए हैं। शीशमहल के अंदर खड़े झाड़-झंखाड़ लोगों को खुले में शौच जाने की सुरक्षित जगह लगते हैं। यदि हम अपने गांव और छोटे-छोटे शहरों के इतिहास को दर्शाने वाले स्थानों को सुरक्षा प्रदान करने साफ-स्वच्छ कर लें तो यही स्थान आस-पास के लोगों के लिए भी पर्यटक स्थल हो सकते हैं। पर्यटन के बारे में एक स्वस्थ नजरिया विकसित करने की जरूरत है। पंचायती राज संस्थाओं, नगर संस्थाओं और सरकारों को ही नहीं स्वयंसेवी संस्थाओं को स्वच्छता, सुंदरता और पर्यटन की संभावनाओं पर गहरा आत्ममंथन करने और सक्रियता के साथ काम करना होगा।
दुनिया भर में 27सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसकी शुरूआत 1980 में की थी। क्योंकि इसी दिन विश्व पर्यटन संगठन का संविधान स्वीकार किया गया था। पर्यटन को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए हर वर्ष एक विषय तय किया जाता है। वर्ष 2017 के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने ‘सतत पर्यटन-विकास का एक औजार’ विषय निर्धारित किया है और 2017को विकास के लिए सतत पर्यटन का अन्तर्राष्ट्रीय वर्ष भी घोषित किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा का मानना है कि 2015 में भारत सहित दुनिया के 193 देशों द्वारा स्वीकार किए गए 17सतत विकास लक्ष्य पूरा करने में पर्यटन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। सरोकारों को पर्यटन से जोड़ दें तो शांति, सद्भावना, समानता, न्याय, पर्यावरण संरक्षण, सबको शुद्ध पानी, पर्याप्त भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामूहिक सक्रियता आदि लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
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