पालि, प्राकृत व अपभ्रंश से हुआ हिन्दी भाषा का जन्म: अरुण कैहरबा
हिन्दी विशेषज्ञ ने रोचकता के साथ सुनाई हिन्दी की विकास यात्रा
कहा: समृद्ध भाषाओं के बावजूद भारत में विदेशी भाषा का दबदबा
पावर ग्रिड में अधिकारियों के हिन्दी ज्ञान को सशक्त बनाने के लिए कार्यशाला आयोजित
प्रतिभागियों ने हिन्दी की महत्ता पर किया लघु नाटिकाओं का मंचन
दिनांक 20 अगस्त, 2025 को गांव भादसों स्थित भारत सरकार के उपक्रम पावर ग्रिड कार्पोरेशन में कर्मचारियों व अधिकारियों के हिन्दी ज्ञान को सशक्त बनाने, कार्यालय के कार्यों में हिन्दी को बढ़ावा देने और प्रचार-प्रसार करने के लिए हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, ब्याना के हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने विषय विशेषज्ञ के रूप में हिस्सा लिया। पावर ग्रिड के महाप्रबंधक अरविन्द कुमार पांडे, वरिष्ठ उपमहाप्रबंधक पुरूषोत्तम दास सोलंकी, उप महाप्रबंधक दुर्गावती मित्रा व मानव संसाधन विभाग से मनोज गोयल ने हिन्दी विशेषज्ञ अरुण कैहरबा का स्वागत किया। कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
अरुण कुमार कैहरबा ने कार्यशाला में हिन्दी की विकास यात्रा पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि पालि, प्राकृत, अपभ्रंश व अवह_ से होते हुए हिन्दी भाषा का जन्म होता है। एक हजार से अधिक वर्षों की यह कहानी है जब 900 ई. के आस-पास अवह_ हिन्दी का पुराना रूप ग्रहण करती है। उसके साथ ही हिन्दी के आदिकाल की शुरूआत होती है। आदिकाल में पृथ्वीराजरासो जैसी वीरगाथा की अनेक रचनाएं लिखी गई। आज की हिन्दी खड़ी बोली के पहले कवि अमीर खुसरो माने जाते हैं। उन्होंने खालिकबारी नाम से फारसी हिन्दी का पहला शब्दकोष तैयार किया। उनकी पहेलियां व मुकरियां आम जन में आज भी प्रसिद्ध हैं। हिन्दी साहित्य के मध्यकाल में करीब 1300 से भक्तिकाल की शुरूआत होती है। भक्तिकाल हिन्दी का स्वर्ण युग माना जाता है। इसमें निर्गुण, सूफी, रामभक्ति व कृष्ण भक्ति की बहुत ही सुंदर रचनाएं लिखी जाती हैं। कबीर, मलिक मोहम्मद जायसी, सूरदास, तुलसीदास, मीरा आदि कवि स्वतंत्र रूप से साहित्य साधना करते हैं। 1650 के आस-पास रीति काल में दरबारी कवि अपने आचार्यत्व, वीरता, सामंती संस्कृति और शृंगार रस से ओतप्रोत रचनाएं लिखकर सभी को चमत्कृत कर देते हैं। अधिकतर दरबारी कवियों का उद्देश्य राजाओं को खुश करके ईनाम लूटना था। भारतेंदु हरिश्चंद्र के प्रादुर्भव के साथ ही हिन्दी के आधुनिक काल की शुरूआत होती है। भारतेंदु हिन्दी के जनक माने जाते हैं। उन्होंने हिन्दी के आधुनिक नाटकों की शुरूआत की। महावीर प्रसाद द्विवेदी की सरस्वती पत्रिका हिन्दी खड़ी बोली को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रेमचंद हिन्दी कहानियों व उपन्यासों को चमत्कारों व कल्पना लोक से निकाल कर आम जन के साथ जोड़ते हैं।
अरुण कैहरबा ने कहा कि आधुनिक काल गद्यकाल भी कहलाता है, जिसमें संस्मरण, शब्दचित्र, यात्रा वृत्तांत, जीवनी, आत्मकथाएं, इंटरव्यू, डायरी व रिपोर्ताज आदि प्रचूर मात्रा में लिखे जाते हैं और लिखे जा रहे हैं। उन्होंने बहुत रोचक ढ़ंग से जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुमित्रानंदन पंत, रघुवीर सहाय, नागार्जुन, बालमुकुंद गुप्त व माखनलाल चतुर्वेदी सहित अनेक रचनाकारों पर चर्चा की। उन्होंने हिन्दी पत्रकारिता व सिनेमा पर भी विस्तारपूर्वक चर्चा की और हिन्दी के प्रचार-प्रसार में इनके योगदान को रेखांकित किया।
अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि भारत एक बहुभाषी देश है। शायद ही दुनिया में कोई देश हो, जहां पर समृद्ध भाषाएं हों, उनका विपुल साहित्य हो और समस्त कार्य की क्षमता हो। लेकिन यह भी सही है कि शायद ही दुनिया में कोई देश ऐसा हो, जिसमें आजादी के 78 साल बाद भी राजकार्य में विदेशी भाषा का इतना बोलबाला हो। उन्होंने कहा कि शिक्षा का माध्यम बनाए बिना हम हिन्दी सहित भारतीय भाषाओं को बढ़ावा नहीं दे पाएंगे।
कर्मचारियों को हिन्दी ज्ञान बढ़ाने के लिए पावर ग्रिड करती है प्रोत्साहित: अरविंद कुमार पांडे
महाप्रबंधक अरविंद कुमार पांडे ने कार्यशाला में चर्चा की शुरूआत करते हुए पावर ग्रिड में हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पावर ग्रिड में कर्मचारियों के हिन्दी ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 343 में देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है। लेकिन वास्तव में हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। इसके प्रति पावर ग्रिड पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
कार्यशाला के दौरान सभी प्रतिभागियों को तीन समूहों में बांटा गया। इन समूहों में वरिष्ठ उपमहाप्रबंधक पुरूषोत्तम दास सोलंकी, प्रबंधक मुकेश कुमार, प्रदीप कुमार व शुभांगी ने विस्तार से पावर ग्रिड के हिन्दी के बढ़ावा देने पर अपनी प्रस्तुति दी। पुरूषोत्तम दास सोलंकी ने बताया कि उत्तरी क्षेत्र में उनकी पावर ग्रिड ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में दो बार प्रथम स्थान पाया है। उपमहाप्रबंधक दुर्गावती मिश्रा, प्रबंधक अनूप कुमार, सुबोध कुमार व रिंकू कुमार आदि के समूह ने हिन्दी की महत्ता को बढ़ावा देने के लिए लघु नाटिका तैयार करके मंचित की। मानव संसाधन विभाग से मनोज गोयल के नेतृत्व वाले समूह ने शिक्षा में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए लघु नाटिका मंचित की। सभी ने विश्वास गीत के साथ चर्चा की शुरूआत की थी और अरुण कैहरबा के नेतृत्व में गाई गई दुष्यंत कुमार की गजल- इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है के साथ कार्यशाला का समापन हुआ।
![]() |
| INDORE SAMACHAR |












No comments:
Post a Comment