Saturday, June 26, 2021

Door to door Admission campaign

अध्यापकों ने चलाया द्वार-द्वार दाखिला अभियान

प्रवासी व स्थानीय मजदूरों के बच्चों के किए दाखिले

स्कूली विद्यार्थियों के घर जाकर हाल-चाल जाना
बच्चों से पढ़ाई की स्थिति के बारे में पूछा
यमुनानगर, 26 जून






सरकारी स्कूलों में दाखिले का अभियान चला हुआ है। इसी अभियान के तहत गांव करेड़ा खुर्द स्थित राजकीय उच्च विद्यालय के अध्यापकों ने आस-पास के तीन गांवों में घर-घर संपर्क करके स्कूल से बाहर छूट गए प्रवासी व स्थानीय मजदूरों के बच्चों का दाखिला किया। हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा, पंजाबी अध्यापिका सुखिन्दर कौर, संस्कृत अध्यापिका रजनी शास्त्री, प्राथमिक शिक्षिका वंदना शर्मा व ईएसएचएम विष्ण दत्त ने करेड़ा खुर्द, बाग का माजरा और तिगरी गांवों में जनसंपर्क किया। विभिन्न फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों के स्कूलों में नहीं जा रहे बच्चों का दाखिला किया। स्कूल में दाखिल बच्चों के घरों में जाकर हाल-चाल पूछा। उन्हें कोरोना वायरस से बचने के लिए उचित व्यवहार से अवगत करवाया। पढ़ाई की स्थिति का भी मूल्यांकन किया। संसाधनों के अभाव में जो बच्चे ऑनलाइन शिक्षा का लाभ नहीं ले पा रहे हैं, उन्हें उचित मार्गदर्शन दिया।
तिगरी गांव के राजकीय प्राथमिक पाठशाला में पहुंच कर करेड़ा खुर्द के अध्यापकों ने दाखिला अभियान पर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श किया। स्कूल के अध्यापक मोहिन्द्र कुमार, रेखा व विक्रम ने बताया कि कोरोना काल में उनका स्टाफ बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए प्रयत्नशील है। अरुण कैहरबा ने बताया कि ऑनलाइन शिक्षा के तहत व्हाट्सअप समूहों, गूगल मीट आदि माध्यमों से बच्चों को शिक्षा प्रदान करने की कोशिश तो की जा रही है, लेकिन स्मार्ट फोन व इंटरनेट पैक के अभाव में बहुत से बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से लाभान्वित नहीं हो पाते हैं। ऐसे में स्कूल में शिक्षक व विद्यार्थियों में आमने-सामने होने वाली शैक्षिक प्रक्रिया व गतिविधियों का कोई विकल्प नहीं है।
मां-बाप ने रोया निजी स्कूलों के लालच का दुखड़ा-
घर-घर जा रहे शिक्षकों के सामने निजी स्कूल में पढऩे वाले बहुत से बच्चों के अभिभावकों ने निजी स्कूलों द्वारा फीस के रूप में मांगे जा रहे रूपयों पर चिंता जताई और बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिल करवाने की इच्छा जताई। अभिभावकों ने कहा कि ऐसे भयानक संकट में भी प्राईवेट स्कूलों का लालच मंद नहीं पड़ रहा है। उन्होंने बच्चों की मोटी फीस बना रखी है, जिसे अदा करना उनके बस की बात नहीं है। बहुत से मां-बाप ने बताया कि लॉकडाउन के कारण उनका काम-काज ठप्प हो गया है। ऐसे में प्राइवेट स्कूलों की ऊंची फीस वे कैसे चुका सकते हैं। अभिभावकों ने कहा कि अध्यापकों के सामने बिना एसएलसी के बच्चों का सरकारी स्कूल में दाखिला करने का अनुरोध किया।
सरकारी स्कूलों में ही मिलती है मुफ्त शिक्षा: अरुण

हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार ने कहा कि संकट के समय में प्राइवेट स्कूल जहां बच्चों के अभिभावकों से फीस मांग रहे हैं। वहीं सरकारी स्कूल मुफ्त शिक्षा की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक समस्याओं से घिरे लोगों के सामने सरकारी स्कूल व सरकारी अस्पताल उम्मीद की किरण हैं। मौजूदा समय की शैक्षिक चुनौतियों का सामना करने के लिए अध्यापकों की कोशिशें अभिभावकों को रोशनी दिखा रही हैं। गांव में पहुंचने पर सरकारी स्कूल के अध्यापकों का अभिभावक स्वागत करते हैं। वे अपनी समस्याएं भी सुनाते हैं और बच्चों के दाखिले भी करवाते हैं।
AMAR UJALA 27-6-2021

No comments:

Post a Comment