इन्द्री उपमंडल के गांव गढ़ीबीरबल स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयोजित किए जा रहे एनएसएस शिविर में सामाजिक बदलाव और अध्ययन संस्कृति विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कार्यक्रम अधिकारी सोहन लाल ने की और मुख्य वक्ता के रूप में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कैंप यमुनानगर में हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने पढऩे की संस्कृति को सामाजिक बदलाव का आधार बताया। एनएसएस स्वयंसेवियों ने प्रश्र पूछ कर चर्चा को आगे बढ़ाया।
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दैनिक ट्रिब्यून 9अप्रैल,2018 |
अरुण कैहरबा ने कहा कि आर्थिक दृष्टि से हरियाणा विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं। लेकिन सामाजिक विकास के मामले में प्रदेश में पिछड़ेपन के अनेक निशान हैं। कन्या भ्रूण हत्याएं, ऑनर कीलिंग व जातिगत हिंसा की घटनाओं ने विकास के मामले में एक बार फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि राजनैतिक व प्रशासनिक दायरों में आदर्श गांव और स्मार्ट सिटी का खूब प्रचार हो रहा है,
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दैनिक भास्कर 9अप्रैल, 2018 |
लेकिन बेहतर पुस्तकालय, पढऩे की संस्कृति व प्रेक्षागृह के बिना आदर्श गांव व स्मार्ट सिटी की बातें थोथी हैं। गांवों में बनी अनेक प्रकार की चौपालों व सार्वजनिक स्थानों में अच्छा साहित्य व किताबों के पढऩे का माहौल बनने पर समाज में विचारशीलता व संवेदनशीलता पैदा होगी। उन्होंने कहा कि जिन-जिन शख्सियतों ने देश व दुनिया में अपनी पहचान बनाई है, उसमें किताबों का अहम योगदान रहा है। किताबें विचार की वाहक बनती हैं और संकीर्णताओं को समाप्त करती हैं।
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पंजाब केसरी 9अप्रैल, 2018 |
उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति रहे अब्राहम लिंकन का उदाहरण देते हुए बताया कि वे लंबी दूरी तय करके किताबें उधार लाया करते थे और रात को स्ट्रीट लाईट की रोशनी में पढ़ते थे। आजादी की लड़ाई में किताबों और किताबों से मिले विचारों के जरिये ही डॉ. भीम राव आंबेडकर, भगत सिंह, महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू जैसी शख्सियतें उभरीं।
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अजीत समाचार 9अप्रैल, 2018 |
उन्होंने कहा कि भगत सिंह को जिस समय फांसी दी जानी थी, उस समय भी वे किताब पढ़ रहे थे। जब जेल का कर्मचारी फांसी के लिए भगत सिंह को ले जाने आता है तो वह भगत सिंह को किताब पढ़ते देखकर हैरान हो जाता है।
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दिल्ली पंजाब केसरी |
भगत सिंह किताब का आखिरी पेज पढ़ रहे थे और आखिरी पेज पढऩे की मोहलत यह कह कर मांगते हैं कि मैं अपने दोस्त से मिल रहा हूं। किताब का आखिरी पन्ना पूरा करके वे निर्भीकता के साथ चल पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि भगत सिंह का साहस और विचारशीलता में किताबों का बड़ा हाथ था।
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दैनिक सवेरा 9अप्रैल, 2018 |
अरुण कैहरबा ने सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली मलाला यूसूफजई का किस्सा सुनाते हुए कहा कि जब पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में तालीबान कब्जा कर लेता है। बमबारी, आतंक और पाबंदियों के बीच में स्कूल बंद हो जाते हैं तो नन्हीं बालिका मलाला अपनी भावनाओं को डायरी में लिखती है और आवाज बुलंद करती है। जर्मनी में हिटलर के क्रूर नाजीवादी दौर में नन्हीं बालिका ऐन फ्रैंक किताबों और डायरी लेखन को अपना सहारा बनाती है। उन्होंने कहा कि हमें अपने गांव में भी पढऩे और पढ़ी गई किताबों पर विचार-विमर्श के केन्द्र विकसित के लिए आगे आना चाहिए।
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दैनिक जागरण 9अप्रैल, 2018 |
सोहन लाल ने एनएसएस शिविर की गतिविधियों से अवगत करवाते हुए कहा कि शिविर में स्वयंसेवी स्कूल प्रांगण की सफाई के साथ-साथ विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श और सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सेदारी कर रहे हैं। राष्ट्रीय सेवा योजना एक ऐसा मंच है, जिससे विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होता है। विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों में कार्य संस्कृति और काम के सम्मान का भाव पैदा होता है।
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अमर उजाला 9अप्रैल, 2018 |
इस मौके पर एनएसएस स्वयंसेवी मनप्रीत, आरजू, तन्नु, दिव्या, मनदीप, अमनदीप, महक, भारती, शिवानी, काजल, आरती, राजबीर, सौरभ, आशीष, अरुण, विशाल, संदीप, सूरज, जतिन, साहिल ने सक्रिय हिस्सेदारी की।
धन्यवाद भाई साहब
ReplyDeleteधन्यवाद JAGDEEP JI
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