शिक्षा की अलख जगाने वाली रोशनी बनी महिलाओं की चहेती।
अरुण कुमार कैहरबा
अपने नाम के अनुरूप रोशनी देवी लोगों में शिक्षा और जागरूकता की अलख जगा रही है। आशा वर्कर रोशनी अपने विचारों एवं कामों की बदौलत अपने गांव नन्दी खालसा में ही नहीं बल्कि बड़े क्षेत्र में महिलाओं की चहेती बनी हुई है। उनके जुझारू व्यक्तित्व को देखते हुए आशा वर्करों ने उन्हें यूनियन का प्रदेशाध्यक्ष चुना था। अपने पद की जिम्मेदारी का पालन करते हुए वे आशा वर्करों की मांगों को मनवाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। उनका कहना है कि आशा वर्कर जमीनी स्तर पर गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य, टीकाकरण, संस्थागत डिलीवरी और शिशु स्वास्थ्य के लिए मेहनत कर रही हैं, तो सरकार की भी जिम्मेदारी है कि उन्हें न्यूनतम वेतन व सुविधाएं प्रदान करे।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiu5Le7PLtb9Y_NhI86sI_cEQIiVjM3fBZWB_fjUJGdJKjDj6e2MVgbaf4V_GouXJnmThXwcuftN52eRszcK-NqEgVgpyAuwvFUgrJYkh5zgmw4iHtYnKD9KgdY76N18xTX-WsEodTGPkFp/s1600/PHOTO-1.jpg)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiqIddgS4vWroif7vAooVCwDZmKV-WDysrZ6aFpx-eW6MGapxxiC_dSIDTz3WZSdT3zHgcY2vSOI-sURsWf3R2sE1H_gY5RM5ACooJFcH5708sd-eFnx-vw63J3JwnovowuvPrBxNPktFTp/s1600/PHOTO-4.jpg)
आशा वर्कर के रूप में अपनी जिम्मेदारी के साथ न्याय करते हुए रोशनी वर्करों के अधिकारों के लिए पूरी तरह सजग है। इसके लिए वह यूनियन को हथियार बना रही है। हरियाणा सर्व कर्मचारी संघ ने जनवरी, 2009 में आशा वर्कर यूनियन बनाई, तो उसे इन्द्री खण्ड की प्रधान चुना गया। इसी वर्ष उसे जिला प्रधान की जिम्मेदारी सौंप दी गई। 2011 में उसे राज्याध्यक्ष बना दिया गया। यूनियन के मंच पर वह पूरे राज्य में निरंतर वर्करों की एकजुटता के लिए काम करती है। राज्य स्तरीय रैलियों में बेहद कम मानदेय में काम करने वाली आशा वर्करों की समस्याओं को बहुत मार्मिक ढ़ंग से उठाती हैं। यूनियन की उपलब्धियों के बारे में वे बताती हैं कि लंबे संघर्ष के बाद आशा वर्करों को थोड़ा-सा मानदेय मिलने का सरकार द्वारा भरोसा मिला है। गर्भवती महिला के पंजीकरण के लिए 25 रूपये से अब 125 रूपये मिलने लगे हैं। टीकाकरण शिविर के 25 रूपये से 150रूपये हो गए हैं। मासिक बैठक के लिए भी 150 रूपये का मानदेय मिलने लगा है। पहचान पत्र, नाम की प्लेट, सम्पर्क के लिए मोबाईल सिम व डायरी आदि सुविधाएं भी मिली हैं। रोशनी ने कहा कि न्यूनतम 15000रूपये प्रतिमास वेतन या फिर डीसी रेट देने पर फिलहाल सरकार के द्वारा सहमति व्यक्त नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि आशा वर्करों की कड़ी मेहनत के कारण ही हरियाणा संस्थागत डिलीवरी के मामले में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन मेहनत करने वालों को क्या मिल रहा है, सवाल तो यह है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में इस समय 17 हजार आशा वर्कर हैं। इतनी बड़ी संख्या में संगठित महिलाओं के हित में सरकार को ज्यादा से ज्यादा काम करना चाहिए।
No comments:
Post a Comment