वर्तनी सुधार कार्यशाला रिपोर्ट
शुद्ध वर्तनी लिखित भाषा का आधार और शृंगार: अरुण कैहरबा
कहा: पढऩे-लिखने की आदत में कमी के कारण बढ़ रही हैं वर्तनी की त्रुटियाँ
विद्यार्थियों की वर्तनी त्रुटियों में सुधार के लिए करवाया अभ्यास
![]() |
गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयोजित वर्तनी सुधार कार्यशाला में सक्रिय हिस्सेदारी करने वाले विद्यार्थियों के साथ हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा व नरेश मीत। |
करनाल जिला के गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में छठी से आठवीं तक के विद्यार्थियों के लिए हिन्दी वर्तनी सुधार कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला का संयोजन हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा व हिन्दी अध्यापक नरेश कुमार मीत द्वारा किया जा रहा है। 13 मार्च, 2024 को कार्यशाला की शुरूआत करते हुए हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि उच्चारण मौखिक भाषा और वर्तनी लिखित भाषा का मुख्य आधार और शृंगार है। उच्चारण एवं वर्तनी शुद्ध होने पर हमारी भाषा अच्छी होती है। उन्होंने कहा कि जो विद्यार्थी शुद्ध भाषा में लिखते हैं, उनके लिखित परीक्षाओं में भी अच्छे अंक आते हैं। उन्होंने कहा कि पढऩे और लिखने की आदत के निरंतर होते ह्रास के कारण विद्यार्थियों में वर्तनी की त्रुटियाँ अधिक पाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इन त्रुटियों को कम करने और भाषा में सुधार करने के लिए इस प्रकार की कार्यशालाओं का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि वर्तनी में सुधार के लिए विद्यार्थियों को सचेत रूप से प्रयास करने चाहिएं। उन्होंने कहा कि जब हम पढ़ते हैं तो शब्दों के चित्र हमारे मानस पटल पर अंकित होते हैं। यदि ये चित्र स्पष्ट ना हों तो वर्तनी की अशुद्धियाँ ज्यादा होती हैं। इन अशुद्धियों को दूर करने और स्पष्ट चित्र बनाने के लिए विद्यार्थियों को नए शब्दों को लिख कर देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि शुद्ध वर्तनी का रास्ता अभ्यास से होकर गुजरता है। अरुण कैहरबा ने कहा कि हिन्दी में अनेक प्रकार की वर्तनी संबंधी अशुद्धियां विद्यार्थियों द्वारा की जाती हैं। अशुद्ध वर्ण आकृति, गलत स्थान पर अनुस्वार व अनुनासिक, मात्राओं संबंधी अशुद्धियाँ, र व ऋ का गलत प्रयोग आदि मुख्य रूप से पाई जाने वाली अशुद्धियाँ हैं। उन्होंने कहा कि आज कल मोबाइल व सोशल मीडिया पर हिन्दी लिखते हुए अनेक प्रकार की अशुद्धियाँ आम हो गई हैं। ये अशुद्धियां लेखन का हिस्सा बनती जा रही हैं। इन अशुद्धियों में सुधार करके ही हम अपनी लिखित भाषा में सुधार कर सकते हैं। नरेश कुमार मीत ने विद्यार्थियों को विभिन्न शब्दों का अभ्यास करवाते हुए कहा कि सुंदर लिखाई और शुद्ध वर्तनी लिखित भाषा का शृंगार है। जैसे हमें शृंगार करने के लिए मेहनत करनी होती है, वैसे ही भाषा के शृंगार के लिए भी मेहनत करनी होगी।
![]() |
हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा के साथ छठी कक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थी। |
प्रतियोगिता में कृतिका ने पहला और प्राची ने दूसरा स्थान पाया-
कार्यशाला के शुरू में 20 शब्दों की वर्तनी पर आधारित एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। छठी कक्षा की प्रतियोगिता में कोशल ने पहला, खुशप्रीत ने दूसरा और तनवी, रूही, आदि कुमार ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। सभी कक्षाओं में कृतिका ने पहला और प्राची ने दूसरा स्थान प्राप्त किया। दोनों छात्राओं को अरुण कैहरबा व नरेश मीत द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा सातवीं व आठवीं में खुश्बू ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। रीतू, राधिका, भूमिका, हिमांशी, परी, नैतिक व देवांशी ने अच्छा प्रदर्शन किया।AMBALA COVERAGE 13-3-2024
No comments:
Post a Comment