स्कूली शिक्षा में नई पहल
भित्ति पत्रिका ‘बाल संगम’ की शुरूआत
पत्रिका देगी रचनात्मक अभिव्यक्ति को नए आयाम
वरिष्ठ साहित्यकार अशोक भाटिया ने किया स्वतंत्रता आंदोलन विशेषांक का विमोचन
इन्द्री, 23 अक्तूबर
उपमंडल के गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में बच्चों की रचनात्मक अभिव्यक्ति को नए पंख लगाने के लिए हिन्दी विभाग द्वारा भित्ति पत्रिका की शुरूआत की गई। बाल संगम के नाम की पाक्षिक भित्ति पत्रिका के पहले अंक का विमोचन वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अशोक भाटिया ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने की और संचालन हिन्दी अध्यापक नरेश मीत ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए डॉ. अशोक भाटिया ने पत्रिका के पहले अंक के बाल संपादक मंडल सिमरण, दीपिका, वर्षा, कविता, खुशी, साक्षी, आरती, प्रिया व मनप्रीत को अपनी किताबें-बालकांड-1 और बालकांड-2 भेंट कर सम्मानित किया।
मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. अशोक भाटिया ने कहा कि बच्चों की अभिव्यक्ति को निखारने और तराशने के लिए भित्ति पत्रिका की शुरूआत काफी अहम है। इससे बच्चों को रचनात्मक लेखन सीखने, रिपोर्ट, कहानी, संस्मरण, कविता सहित विभिन्न विधाओं में लिखने का मंच मिलेगा। उन्होंने कहा कि लिखने के लिए खास तरह की योग्यता की जरूरत नहीं होती है और ना ही इसके लिए बहुत भारी-भरकम शब्दों के भंडार की ही जरूरत होती है। लिखने के लिए हमें अपने आस-पास को गंभीरता व संवेदनशीलता के साथ देखने-समझने की जरूरत है। दूसरे शब्दों में कहें तो लिखने से हम अपनी भावनाओं और अनुभवों को आकार प्रदान करते हैं। उन्होंने अपनी खुद की पहली रचना के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि वे उस समय बीए प्रथम वर्ष के छात्र थे। जब कॉलेज से लौटने पर उन्हें बहुत तेज भूख लगी हुई थी। खाना खाने से पहले मां द्वारा पिता को दुकान पर भोजन देने का दायित्व दिया गया। साइकिल पर सवार होकर तेजी से पिता को खाना देने जाते हुए उन्होंने देखा कि एक ट्रक ने एक व्यक्ति को कुचल दिया था। इस घटना को देखकर उनका दिल दहल गया। घर जाकर मां ने जब खाना दिया तो उन्हें भूख नहीं थी। इस आंखों देखे अनुभव को उन्होंने चार पंक्तियों में लिखा। वे पंक्तियां सरिता पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। तब से उनके लेखन की शुरूआत हो गई थी।
डॉ. अशोक भाटिया ने कहा कि अपने आसपास समाज में होने वाले भेदभाव को हम लिख सकते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को अंधविश्वास से बचने और विवेकशील व तर्कसंगत दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। व्याख्यान के बाद प्राध्यापक मुकेश खंडवाल, विद्यार्थी सुभाना चैहान व कनिष्का सहित कईं विद्यार्थियों ने सवाल किए, जिसके जवाब मुख्य वक्ता ने दिए।
पत्रिका संरक्षक एवं मार्गदर्शक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि
भित्ति पत्रिका को तैयार करते हुए विद्यार्थियों को लिखने और संपादन के अनुभव प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि पत्रिका का मौजूदा अंक स्वतंत्रता आंदोलन विशेषांक है, जिसमें स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने वाले कवि माखनलाल चतुर्वेदी, नाना साहब की पुत्री देवी मैना पर लिखने वाली लेखिका चपला देवी, शहीद करतार सिंह सराभा, भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, उधम सिंह, अशफाक उल्ला खां, रामप्रसाद बिस्मिल, महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव अंबेडकर, प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, सरोजिनी नायडू सहित अनेक क्रांतिकारियों के चित्र, रचनाएं, प्रेरक प्रसंग और प्रेरक पंक्तियां हैं। जिन्हें विद्यार्थियों ने प्रस्तुत किया है और विद्यार्थियों ने संपादित किया है। आगामी अंक लड़कियों की शिक्षा पर आधारित होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि भित्ति पत्रिका सीखने का शानदार मंच बन कर उभरेगा। पत्रिका मार्गदर्शक नरेश मीत ने अपनी देखी घटनाओं पर लिखने के प्रसंग सुनाए और विद्यार्थियों को लिखने के लिए प्रेरित किया।
प्राध्यापक अरुण कैहरबा, सलिन्द्र कुमार, बलविन्द्र सिंह, नरेश मीत सहित समस्त स्टाफ ने डॉ. अशोक भाटिया को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। हिन्दी प्राध्यापक सलिन्द्र मंढ़ाण ने मुख्य अतिथि का आभार ज्ञापन करते हुए कहा कि डॉ. अशोक भाटिया के वक्तव्य से विद्यार्थियों ही नहीं अध्यापकों को भी लिखने की प्रेरणा मिली है। इस मौके पर अनिल पाल, राजेश सैनी, बलराज, विवेक कुमार, संदीप कुमार, दिनेश कुमार, महाबीर सिंह, नरेन्द्र कुमार, निशा कांबोज, सीमा गोयल उपस्थित रहे।
![]() |
JAGMARG 24-10-2023 |
![]() |
DAINIK JAGRAN 24-10-2023 |
![]() |
YUGMARG 24-10-2023 24-10-2023 |